गाजा और लेबनान में चल रही जंग पर अरब जगत की प्रतिक्रिया उदासीन रही है। गाजा के लोगों के दुख-दर्द और मानवीय त्रासदी को अरब की सरकारें किनारे बैठकर देखती रही हैं और युद्धविराम की रस्मी मांग उठाकर फारिग हो गई हैं। इस मामले में कतर अपवाद रहा, जिसने अमेरिका और मिस्र के साथ मिलकर शांति समझौता करवाने में अपनी भूमिका निभाई है। इसके अलावा, कतर की सरकार से आंशिक अनुदान प्राप्त दोहा से प्रसारित होने वाले निजी टेलिविजन चैनल अल जजीरा ने गाजा और लेबनान का घटनाक्रम दुनिया के सामने लाने का एक महत्वपूर्ण काम किया है। इजरायल और वेस्ट बैंक में काम करने पर इजरायल का अल जजीरा के ऊपर लगाया प्रतिबंध इस लिहाज से आश्चर्य पैदा नहीं करता। इस इलाके के घटनाक्रम पर करीबी नजर रखने वाले जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के पश्चिमी एशिया अध्ययन विभाग के पूर्व अध्यक्ष आफताब कमल पाशा कहते हैं, "अरब की ज्यादातर सरकारें या तो राजशाही हैं या तानाशाही और कुछेक केवल नाम के लिए लोकतंत्र हैं। अरब के लोग इजरायल को अमेरिका और पश्चिम के समर्थन पर नाराज हैं। वे उन्हें गाजा के कत्लेआम, लेबनान में हुए हमलों और यमन में हूथी के दमन का जिम्मेदार मानते हैं। इसलिए वहां की सरकारें अपने ही लोगों के गुस्से को लेकर डरी हुई हैं, लेकिन उनकी मजबूरी यह है कि अपने खानदानी शासन को बरकरार रखने के लिए वे अमेरिका और पश्चिम के समर्थन के भरोसे हैं। कुल मिलाकर अरब की सरकारें भीतरी और बाहरी दबावों के बीच फंसी हुई हैं।"
Diese Geschichte stammt aus der November 11, 2024-Ausgabe von Outlook Hindi.
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शहरनामा - मधेपुरा
बिहार के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित, अपनी ऐतिहासिक धरोहर, सांस्कृतिक वैभव और प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध मधेपुरा कोसी नदी के किनारे बसा है, जिसे 'बिहार का शोक' कहा जाता है।
डाल्टनगंज '84
जब कोई ऐतिहासिक घटना समय के साथ महज राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का मुद्दा बनकर रह जाए, तब उसे एक अस्थापित लोकेशन से याद करना उस पर रचे गए विपुल साहित्य में एक अहम योगदान की गुंजाइश बनाता है।
गांधी के आईने में आज
फिल्म लगे रहो मुन्ना भाई के दो पात्र मुन्ना और गांधी का प्रेत चित्रपट से कृष्ण कुमार की नई पुस्तक थैंक यू, गांधी से अकादमिक विमर्श में जगह बना रहे हैं। आजाद भारत के शिक्षा विमर्श में शिक्षा शास्त्री कृष्ण कुमार की खास जगह है।
'मुझे ऐसा सिनेमा पसंद है जो सोचने पर मजबूर कर दे'
मूर्धन्य कलाकार मोहन अगाशे की शख्सियत के कई पहलू हैं। एक अभिनेता के बतौर उन्होंने समानांतर सिनेमा के कई प्रतिष्ठित निर्देशकों के साथ काम किया। घासीराम कोतवाल (1972) नाटक में अपनी भूमिका के लिए वे खास तौर से जाने जाते हैं। वे मनोचिकित्सक भी हैं। मानसिक स्वास्थ्य पर उन्होंने कई फिल्में बनाई हैं। वे भारतीय फिल्म और टेलिविजन संस्थान (एफटीआइआइ) के निदेशक भी रह चुके हैं। उनके जीवन और काम के बारे में हाल ही में अरविंद दास ने उनसे बातचीत की। संपादित अंशः
एक शांत, समभाव, संकल्पबद्ध कारोबारी
कारोबारी दायरे के भीतर उन्हें विनम्र और संकोची व्यक्ति के रूप में जाना जाता था, जो धनबल का प्रदर्शन करने में दिलचस्पी नहीं रखता और पशु प्रेमी था
विरासत बन गई कोलकाता की ट्राम
दुनिया की सबसे पुरानी सार्वजनिक परिवहन सेवाओं में एक कोलकाता की ट्राम अब केवल सैलानियों के लिए चला करेगी
पाकिस्तानी गर्दिश
कभी क्रिकेट की बड़ी ताकत के चर्चित टीम की दुर्दशा से वहां खेल के वजूद पर ही संकट
नशे का नया ठिकाना
कीटनाशक के नाम पर नशीली दवा बनाने वाले कारखाने का भंडाफोड़
'करता कोई और है, नाम किसी और का लगता है'
मुंबई पर 2011 में हुए हमले के बाद पकड़े गए अजमल कसाब के खिलाफ सरकारी वकील रहे उज्ज्वल निकम 1993 के मुंबई बम धमाकों, गुलशन कुमार हत्याकांड और प्रमोद महाजन की हत्या जैसे हाइ-प्रोफाइल मामलों से जुड़े रहे हैं। कसाब के केस में बिरयानी पर दिए अपने एक विवादास्पद बयान से वे राष्ट्रीय सुर्खियों में आए थे। उन्होंने 2024 में भाजपा के टिकट पर उत्तर-मध्य मुंबई से लोकसभा चुनाव लड़ा और हार गए। लॉरेंस बिश्नोई के उदय और मुंबई के अंडरवर्ल्ड पर आउटलुक के लिए राजीव नयन चतुर्वेदी ने उनसे बातचीत की। संपादित अंश:
मायानगरी की सियासत में जरायम के नए चेहरे
मायापुरी में अपराध भी फिल्मी अंदाज में होते हैं, बस एक हत्या, और बी दशकों की कई जुर्म कथाओं पर चर्चा का बाजार गरम