मुंबई पर अंडरवर्ल्ड का साया फिर से दिख रहा है। इस बार नया नाम लॉरेंस बिश्नोई का है। आप इसे कैसे देखते हैं?
लॉरेंस बिश्नोई का नाम कई बड़ी हत्याओं से जुड़ा है। हाल ही में खबर आई है कि वह बाबा सिद्दीकी हत्याकांड में भी शामिल है, हालांकि मैं इस बारे में कुछ नहीं कहना चाहूंगा क्योंकि अभी तक इस पर कोई ठोस सबूत नहीं है। पुलिस काम कर रही है। कई बार किसी हत्या के बाद जान-बूझ कर किसी गिरोह का नाम एजेंडे के तौर पर सामने लाया जाता है, ताकि वह सुर्खियां बटोर सके।
लॉरेंस बिश्नोई खुद को राष्ट्रवादी कहता है। इस पर आपका क्या कहना है?
जी, आजकल ऐसा देखा जा रहा है। आजकल किसी भी अपराध या अपराधी को राष्ट्रवाद से जोड़ने का नया चलन चल पड़ा है। इससे अपराधी लोगों की नजरों में जल्दी चढ़ जाता है। लोगों को समझना चाहिए कि अपराधी सिर्फ अपराधी होता है। वह न तो राष्ट्रवादी होता है और न ही राष्ट्र-विरोधी।
एक समय मुंबई में दाऊद इब्राहिम का खौफ था। अब खौफ का नया नाम लॉरेंस बिश्नोई है। दोनों के तरीके में आप क्या अंतर देखते हैं?
Diese Geschichte stammt aus der November 11, 2024-Ausgabe von Outlook Hindi.
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शहरनामा - मधेपुरा
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डाल्टनगंज '84
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मूर्धन्य कलाकार मोहन अगाशे की शख्सियत के कई पहलू हैं। एक अभिनेता के बतौर उन्होंने समानांतर सिनेमा के कई प्रतिष्ठित निर्देशकों के साथ काम किया। घासीराम कोतवाल (1972) नाटक में अपनी भूमिका के लिए वे खास तौर से जाने जाते हैं। वे मनोचिकित्सक भी हैं। मानसिक स्वास्थ्य पर उन्होंने कई फिल्में बनाई हैं। वे भारतीय फिल्म और टेलिविजन संस्थान (एफटीआइआइ) के निदेशक भी रह चुके हैं। उनके जीवन और काम के बारे में हाल ही में अरविंद दास ने उनसे बातचीत की। संपादित अंशः
एक शांत, समभाव, संकल्पबद्ध कारोबारी
कारोबारी दायरे के भीतर उन्हें विनम्र और संकोची व्यक्ति के रूप में जाना जाता था, जो धनबल का प्रदर्शन करने में दिलचस्पी नहीं रखता और पशु प्रेमी था
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पाकिस्तानी गर्दिश
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