राजधानी भोपाल के बगरोदा गांव का इंडस्ट्रियल एरिया में एक फैक्ट्री छापे के बाद से सुर्खियों में है। कीटनाशक बनाने वाली उस फैक्ट्री में कीटनाशक के बजाय नशीला पदार्थ मेफेड्रोन (एमडी) बनाया जा रहा था। चौंकाने वाला पहलू यह है कि छापे और आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद वहां काम कर रहे कर्मचारियों को पता चला कि वे कीटनाशक नहीं, बल्कि करोड़ों रुपये से भी ज्यादा मूल्य का नशीला पदार्थ बना रहे थे।
अक्टूबर की 5 तारीख को शनिवार था। उस दिन भोपाल के नजदीक बगरोदा गांव के इंडस्ट्रियल एरिया में सन्नाटा छाया था। दोपहर में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) और एटीएस, गुजरात की एक संयुक्त टुकड़ी भोपाल के कटारा हिल्स पुलिस के साथ इंडस्ट्रियल एरिया में पहुंच चुकी थी। उन्होंने प्लॉट नंबर एफ-63 में बनी शेडनुमा फैक्ट्री को चारों तरफ से घेर कर फैक्ट्री पर छापा मारा।
Diese Geschichte stammt aus der November 11, 2024-Ausgabe von Outlook Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent ? Anmelden
Diese Geschichte stammt aus der November 11, 2024-Ausgabe von Outlook Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent? Anmelden
'वाह उस्ताद' बोलिए!
पहला ग्रैमी पुरस्कार उन्हें विश्व प्रसिद्ध संगीतकार मिकी हार्ट के साथ काम करके संगीत अलबम के लिए मिला था। उसके बाद उन्होंने कुल चार ग्रैमी जीते
सिने प्रेमियों का महाकुंभ
विविध संस्कृतियों पर आधारित फिल्मों की शैली और फिल्म निर्माण का सबसे बड़ा उत्सव
विश्व चैंपियन गुकेश
18वें साल में काले-सफेद चौखानों का बादशाह बन जाने वाला युवा
सिनेमा, समाज और राजनीति का बाइस्कोप
भारतीय और विश्व सिनेमा पर विद्यार्थी चटर्जी के किए लेखन का तीन खंडों में छपना गंभीर सिने प्रेमियों के लिए एक संग्रहणीय सौगात
रफी-किशोर का सुरीला दोस्ताना
एक की आवाज में मिठास भरी गहराई थी, तो दूसरे की आवाज में खिलंदड़ापन, पर दोनों की तुलना बेमानी
हरफनमौला गायक, नेकदिल इंसान
मोहम्मद रफी का गायन और जीवन समर्पण, प्यार और अनुशासन की एक अभूतपूर्व कहानी
तुम मुझे यूं भुला ना पाओगे
रफी जैसा बनने में केवल हुनर काम नहीं आता, मेहनत, समर्पण और शख्सियत भी
'इंसानी भावनाओं को पर्दे पर उतारने में बेजोड़ थे राज साहब'
लव स्टोरी (1981), बेताब (1983), अर्जुन (1985), डकैत (1987), अंजाम (1994), और अर्जुन पंडित (1999) जैसी हिट फिल्मों के निर्देशन के लिए चर्चित राहुल रवैल दो बार सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए नामांकित हो चुके हैं।
आधी हकीकत, आधा फसाना
राज कपूर की निजी और सार्वजनिक अभिव्यक्ति का एक होना और नेहरूवादी दौर की सिनेमाई छवियां
संभल की चीखती चुप्पियां
संभल में मस्जिद के नीचे मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका के बाद हुई सांप्रदायिकता में एक और कड़ी