टाटा का मतलब ओके होता था। चाहे नमक हो, स्टील या सॉफ्टवेयर। टाटा ब्रांड में लोगों का ऐसा भरोसा था, जैसे कोई भीतरी ईमानदारी, जिसे आंख मूंद कर लाखों भारतीय गले लगाते हों। इसका बहुत सा श्रेय रतन नवल टाटा को जाता है, जिन्होंने एक विशाल कंपनी के लिए इस ढंग से धंधा करने की राह तैयार की।
रतन टाटा ने जब 1991 में जेआरडी टाटा से कंपनी की कमान ली थी, तब तक टाटा समूह विशालकाय हो चुका था। अगले तीन दशक तक उन्होंने इस समूह को जिस तरह से चलाया, उसे अनजाने बाजारों तक देश के भीतर और बाहर लेकर गए और लगातार राजनीतिक होते गए कारोबारी माहौल में भी इसे प्रासंगिक और नेतृत्वकारी बनाए रखा, वह सब कुछ रतन टाटा के निजी व्यक्तित्व की बदौलत था।
कारोबारी दायरे के भीतर उन्हें विनम्र और संकोची व्यक्ति के रूप में जाना जाता था, जो अपने धनबल का प्रदर्शन करने में दिलचस्पी नहीं रखता। माना जाता था कि वे कंपनी के कर्मचारियों का खयाल रखते हैं, पशु प्रेमी हैं और उनका संकल्प इस्पाती है। कम से कम तीन मौकों पर उन्होंने यह कहा था कि उनके माथे पर बंदूक रखकर कोई उनसे अपनी बात नहीं मनवा सकता।
Diese Geschichte stammt aus der November 11, 2024-Ausgabe von Outlook Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent ? Anmelden
Diese Geschichte stammt aus der November 11, 2024-Ausgabe von Outlook Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent? Anmelden
हमेशा गूंजेगी आवाज
लोककला के एक मजबूत स्तंभ का अवसान, अपनी आवाज में जिंदा रहेंगी शारदा
क्या है अमिताभ फिनामिना
एक फ्रांसिसी फिल्मकार की डॉक्यूमेंट्री बच्चन की सितारा बनने के सफर और उनके प्रति दीवानगी का खोलती है राज
'एक टीस-सी है, नया रोल इसलिए'
भारतीय महिला हॉकी की स्टार रानी रामपाल की 28 नंबर की जर्सी को हॉकी इंडिया ने सम्मान के तौर पर रिटायर कर दिया। अब वे गुरु की टोपी पहनने को तैयार हैं। 16 साल तक मैदान पर भारतीय हॉकी के उतार-चढ़ाव को करीब से देखने वाली 'हॉकी की रानी' अपने संन्यास की घोषणा के बाद अगली चुनौती को लेकर उत्सुक हैं।
सस्ती जान पर भारी पराली
पराली पर कसे फंदे, खाद न मिलने और लागत बेहिसाब बढ़ने से हरियाणा-पंजाब में किसान अपनी जान लेने पर मजबूर, हुक्मरान बेफिक्र, दोबारा दिल्ली कूच की तैयारी
विशेष दर्जे की आवाज
विधानसभा के पहले सत्र में विशेष दर्जे की बहाली का प्रस्ताव पास कर एनसी का वादा निभाने का दावा, मगर पीडीपी ने आधा-अधूरा बताया
महान बनाने की कीमत
नाल्ड ट्रम्प की जीत लोगों के अनिश्चय और राजनीतिक पहचान के आपस में नत्थी हो जाने का नतीजा
पश्चिम एशिया में क्या करेंगे ट्रम्प ?
ट्रम्प की जीत से नेतन्याहू को थोड़ी राहत मिली होगी, लेकिन फलस्तीन पर दोनों की योजनाएं अस्पष्ट
स्त्री-सम्मान पर उठे गहरे सवाल
ट्रम्प के चुनाव ने महिला अधिकारों पर पश्चिम की दावेदारी का खोखलापन उजागर कर दिया
जलवायु नीतियों का भविष्य
राष्ट्रपति के चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प की जीत रिपब्लिकन पार्टी के समर्थकों के लिए जश्न का कारण हो सकती है लेकिन पर्यावरण पर काम करने वाले लोग इससे चिंतित हैं।
दोस्ती बनी रहे, धंधा भी
ट्रम्प अपने विदेश, रक्षा, वाणिज्य, न्याय, सुरक्षा का जिम्मा किसे सौंपते हैं, भारत के लिए यह अहम