![चैट जीपीटी टैक्नोलौजी के बढ़ते कदम चैट जीपीटी टैक्नोलौजी के बढ़ते कदम](https://cdn.magzter.com/1338812051/1684666998/articles/TAd-CHWja1684749982631/1684750333003.jpg)
आप सब ने चैट जीपीटी का नाम तो सुना ही होगा, बल्कि उम्मीद है कि अब तक एकाध बार इस्तेमाल भी कर लिया होगा. कोई रैसिपी पूछिए, कोई बुक की रिकमैंडेशन या फिर कहीं पर्यटन के लिए सुझाव मांगिए, तुरंत जवाब दे देगा. बढ़िया है न!
वाकई एकदो पंक्तियों वाले आसान से सवाल से ले कर देशदुनिया की तमाम बड़ी खबरों के बारे में विस्तार से जवाब देने में सक्षम है यह चैटबोट. इतना ही नहीं, चैट जीपीटी चैटबोट ने पिछले दिनों एमबीए, मैडिकल और लौ के एग्जाम भी पास किए हैं. आलम यह रहा कि लौंच होने के 5 दिनों के भीतर ही चैट जीपीटी के 10 लाख यूजर्स बन गए थे और महज 2 महीने में ही यह आंकड़ा 100 मिलियन तक पहुंच गया.
इस की तुलना यदि इंस्टाग्राम और टिकटौक से करें जहां 100 मिलियन यूजर्स बनाने में इन्हें क्रमश: ढाई साल और 9 महीने का वक्त लगा था, तब इस की लोकप्रियता का अंदाजा लगाना आसान होगा. आंकड़े बताते हैं, जनवरी महीने में हर दिन औसतन 13 मिलियन लोग इस से जुड़े थे.
सच कहें तो इसे ले कर इंटरनैट जगत में हंगामा सा मचा है. इस टैक्नोलौजी की क्षमता से हर कोई प्रभावित है. सब के मन में सवालों और आशंकाओं की झड़ी भी लगी है. कोई इसे इंसानों के लिए उपयोगी बता रहा है तो कई हैं जिन्हें इस में कुछ खास नहीं दिख रहा और कुछ लोग तो इसे मानव के लिए कई तरह के खतरों की घंटी मान रहे हैं. फिलहाल हम समझते हैं कि है क्या बला यह? आखिर क्यों खबरों में छाया है चैट जीपीटी?
चैट जीपीटी की कुछ खास बातें
चैट जीपीटी दरअसल एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल है जो यूजर्स के सवालों का लिखित और लगभग सटीक जवाब देता है. चैट मतलब बातचीत और जीपीटी का फुलफौर्म है जेनरेटिव परट्रैंड ट्रांसफार्मर. यानी, ऐसी मशीन जो सवालों को सुन कर उन्हें मशीनी भाषा से आम बोलचाल की भाषा में प्रवर्तित कर के जवाब देने के लिए प्रशिक्षित है.
मसलन, यह चैटबोट आप को जटिल लेकिन लजीज रैसिपी समझा सकता है. और तो और, इसी रैसिपी का नया वर्जन भी तुरंत क्रिएट कर सकता है. बस इतना ही नहीं, यह चैटबोट आप की निजी समस्याओं पर भी सलाह दे सकता है, नौकरी ढूंढ़ने में मदद कर सकता है, कविताएं, अकादमिक पेपर और यहां तक कि खास दोस्तों को खत लिखने में भी मदद कर सकता है.
Diese Geschichte stammt aus der May Second 2023-Ausgabe von Sarita.
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अमेरिका में भी पनप रहा ब्राह्मण व बनिया गठजोड़
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बंटोगे तो कटोगे वाला नारा प्रधान राष्ट्र
देश नारा प्रधान है. काम भले कुछ न हो रहा हो पर पार्टियां और सरकारों द्वारा उछाले नारों की खुमारी जनता पर खूब छाई रहती है.