प्यार का बंधन टूटने से बचाना सीखें
Sarita|September First 2024
आप ही सोचिए क्या पेरेंट्स बच्चों से न बनने पर उन से रिश्ता तोड़ लेते हैं? नहीं न? बच्चों से वे अपना रिश्ता कायम रखते हैं न, तो फिर वे अपने वैवाहिक रिश्ते को बचाने की कोशिश क्यों नहीं करते? बच्चे मातापिता को डाइवोर्स नहीं दे सकते तो पतिपत्नी एकदूसरे के साथ कैसे नहीं निभा सकते, यह सोचने की जरूरत है.
ललिता
प्यार का बंधन टूटने से बचाना सीखें

सात जन्मों के शादी के रिश्ते को हमारे समाज का सब से पवित्र और अहम रिश्ता माना जाता है, लेकिन आज के समय में यह रिश्ता अपना अस्तित्व खोता जा रहा है. शादी जो प्यार, अपनेपन और विश्वास का रिश्ता होता था, आज की मौडर्न लाइफ में लोगों की इस रिश्ते को ले कर सोच बदल रही है. जो कपल शादी के फेरों के वक्त हमेशा एकदूसरे के साथ रहने, हर सुखदुख में साथ देने की कसमें खाते हैं वही शादी के कुछ समय बाद ही छोटीछोटी वजहों से अपनी शादी को अलविदा कह रहे हैं और तलाक के काफी ज्यादा केस देखने को मिल रहे हैं.

आज स्थिति ऐसी हो गई है कि मन का खाना न खिलाने, घूमने न ले जाने और शौपिंग न करवाने जैसी छोटीछोटी बातों पर लड़ाइयां शुरू हो जाती हैं और उन्हें सुलझाने की जगह बहस की चिनगारी को हवा दी जाती है और फिर बात रिश्ते को खत्म करने तक आ जाती है.

Diese Geschichte stammt aus der September First 2024-Ausgabe von Sarita.

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