"अँगूठी : इससे ऊर्जा का विकास होता है, मानसिक तनाव से व्यक्ति दूर रहता है, कामवासना पर नियंत्रण होता है। इसे पहनने से जीवनीशक्ति की सुरक्षा होती है, पाचन-तंत्र मजबूत बनता है, गठिया में लाभ होता है। परंतु अँगूठी सोने की हो और उसमें अन्य धातु का टाँका न लगा हो।
बाजूबंद : इससे महिलाओं में वीरता का गुण विकसित होता है। पाचन-तंत्र ठीक रहता है रक्त-संचरण अच्छी तरह से होता है । ये शरीर को सुडौल करने में मदद करते हैं।
कर्ण-कुंडल (बाली या झुमके ) : जो महिलाएँ कानों में कर्ण-कुंडल पहनती हैं वे भावना के साथ विचारशक्ति, बुद्धिशक्ति, निर्णायक शक्ति की धनी बनती हैं। उच्छृंखलता में नियंत्रण और वाणी का संयम होता है। गर्भाशय के रोग, हिस्टीरिया, हर्निया आदि दूसरे रोग उनको जल्दी नहीं होते हैं। दमा में लाभ होता है। कंधों व पीठ का दर्द कम होता है। कर्ण-मार्ग से संबंधित तकलीफें कम होती हैं। कान की चेतना बनी रहती है। मेरी माँ ८६ साल की थी, ठीक से सुनती थी। कैसी खोज है अपने ऋषि-मुनियों की!
Diese Geschichte stammt aus der August 2024-Ausgabe von Rishi Prasad Hindi.
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रूहानी सौदागर संत-फकीर
१५ नवम्बर को गुरु नानकजी की जयंती है। इस अवसर पर पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत से हम जानेंगे कि नानकजी जैसे सच्चे सौदागर (ब्रहाज्ञानी महापुरुष) समाज से क्या लेकर समाज को क्या देना चाहते हैं:
पितरों को सद्गति देनेवाला तथा आयु, आरोग्य व मोक्ष प्रदायक व्रत
एकादशी माहात्म्य - मोक्षदा एकादशी पर विशेष
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बाबा कृष्ण बन जाते हैं, कृष्ण बाबा बन जाते हैं।
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श्री अशोक सिंहलजी की जयंती पर हुए विशेष चर्चासत्र के कुछ अंश
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९ नवम्बर : गोपाष्टमी पर विशेष
कर्म करने से सिद्धि अवश्य मिलती है
गतासूनगतासुंश्च नानुशोचन्ति पण्डिताः ॥
अपने ज्ञानदाता गुरुदेव के प्रति कैसा अद्भुत प्रेम!
(गतांक के 'साध्वी रेखा बहन द्वारा बताये गये पूज्य बापूजी के संस्मरण' का शेष)
समर्थ साँईं लीलाशाहजी की अद्भुत लीला
साँईं श्री लीलाशाहजी महाराज के महानिर्वाण दिवस पर विशेष
धर्मांतरणग्रस्त क्षेत्रों में की गयी स्वधर्म के प्रति जागृति
ऋषि प्रसाद प्रतिनिधि।