
१४ जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व है, इसे उत्तरायण भी कहा जाता है। यह आध्यात्मिक उन्नति के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण पर्व है। पूज्य बापूजी के सत्संग वचनामृत में आता है :
उत्तरायण से सूर्य का रथ उत्तर की तरफ चलता है। यह नैसर्गिक पर्व है। सूर्यनारायण जिस दिन मकर राशि में प्रवेश करते हैं उस दिन मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। इस दिन तिल, गोबर, गोझरण (अथवा गोझरण अर्क*), तिलों का तेल और सप्तधान्य उबटन* आदि का मिश्रण करके घोल बना लेना फिर उसे लगाकर स्नान करना। यह पुण्यस्नान माना गया है। जो संक्रांति के दिन स्नान नहीं करता वह ७ जन्मों तक निर्धन व रोगी रहता है और जो संक्रांति का स्नान कर लेता है वह तेजस्वी और पुण्यात्मा हो जाता है । इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर जल में तिल डाल के जो स्नान करता है उसे १० हजार गौ-दान का फल मिलता है।
ब्रह्मांड पुराण में कथा आती है कि द्रोणाचार्य बड़ी गरीबी में जीवन-यापन करते थे। किसीसे कुछ माँगते नहीं थे । दुर्वासा ऋषि उनके घर गये। उस समय द्रोणाचार्य थे नहीं, उनकी धर्मपत्नी कृपी ने दुर्वासा ऋषि का यथाशक्ति आतिथ्यसत्कार किया। कृपी के चेहरे पर उदासी देख दुर्वासा ऋषि ने कहा : "बेटी ! तुम इतनी उदास क्यों हो?”
Diese Geschichte stammt aus der December 2024-Ausgabe von Rishi Prasad Hindi.
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संत श्री आशारामजी गुरुकुलों के विद्यार्थियों ने प्राप्त किये विविध पुरस्कार
बापू के बच्चे, नहीं रहते कच्चे

व्रत, उपवास व जागरण का महापर्व
२६ फरवरी : महाशिवरात्रि पर विशेष

हमें इस पर विचार करना चाहिए
चार प्रकार के आनंदाभास हमारे जीवन में भर गये हैं। एक तो हम यह समझते हैं कि यह भोगेंगे तब सुखी होंगे। अर्थात् अपने आनंद को उठाकर भोग में रख दिया। यदि भोग चला गया पेरिस तब हम दुःखी रहेंगे। दूसरा, संग्रह का आनंद अर्थात् हम इतना इकट्ठा कर लेंगे अथवा हमारे पास इतना है, इस अभिमान से हम सुखी होंगे। एक में मनुष्य संग्रह का त्याग करके भी भोग का आनंद लेता है और दूसरे में भोग का त्याग करके संग्रह का आनंद लेता है।

सोशल मीडिया से अधिक जुड़ाव है घातक : प्रधानमंत्री, ऑस्ट्रेलिया
इन प्लेटफॉर्म्स का दुरुपयोग उपयोगकर्ताओं को एकतरफा सोचनेवाला तथा निष्क्रिय बना सकता है।

शरणागत के मनोरथ पूरे करते हैं करुणावान विश्वात्मा संत
२० मार्च को 'संत एकनाथजी षष्ठी' है। एकनाथजी महाराज के जीवन का एक बहुत रोचक प्रसंग पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत में आता है :

युवाओं हेतु आदर्श जीवन का संदेश
विद्याध्ययन करते हुए आदर्श, विवेक, सारावलोकनी बुद्धि, दूरदर्शी दृष्टि एवं अपने- आपका तथा संसार का ज्ञान प्राप्त करने से पहले जो युवक अधिकार एवं सम्मान लाभ की सिद्धि के लिए दौड़ पड़ते हैं, वे भी दरिद्र ही रह जाते हैं, कोई महत्त्वपूर्ण आदर्श पदाधिकार नहीं प्राप्त कर पाते।

पूज्य बापूजी का पावन संदेश आप स्वधर्म में आ जाओ
भगवद्गीता (३.३५) में आता है : स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः ||

हृदय-ग्रंथि खोलो, अपने स्वभाव को जगाओ
१३ व १४ मार्च : होलिकोत्सव पर विशेष

यह जलनेति का चमत्कार है!
जैसे टूटे-फूटे पुराने बर्तन निकाल देते हैं वैसे टूटे-फूटे पुराने चश्मे बक्से में भरे हुए थे...

यह कैसी चाट-पूरी है!
श्री रामकृष्ण परमहंस जयंती (ति.अ.) : १ मार्च