रजनी पहली कक्षा में पढ़ती थी, तभी उसकी मम्मी ने उसे कराटे क्लास में भर्ती करा दिया था। यह सोच कर कि बेटियों को सेल्फ डिफेंस तो आना ही चाहिए। आज वह 16 साल की है। कराटे में उसके पास ब्लैक बेल्ट है। उसका आत्मविश्वास भी काफी बढ़ गया है। सेल्फ डिफेंस आने के बावजूद उसकी मां की चिंता कम नहीं हुई है। दरअसल, एकतरफा प्यार में लड़कियों के साथ होने वाले अपराधों को देख कर आज हर माता-पिता अपनी बेटी के भविष्य को लेकर चिंतित रहते हैं।
बच्चों पर रखें नजर
माता-पिता अपनी बेटियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उन पर पाबन्दी लगा देते हैं। कुछ अभिभावक अपने बच्चों के सोशल मीडिया के एकाउंट डिलीट करा देते हैं, ताकि कोई उन्हें ब्लैकमेल न कर सके। कुछेक बेटी के मोबाइल और उसके दोस्तों पर पैनी नजर रखनी शुरू कर देते हैं। इन सब चीजों के बीच एक बात साफ है कि माता-पिता का अविश्वास बेटी पर नहीं बल्कि दुनिया पर ही अधिक है।
डिजिटल डिफेंस है जरूरी
एक दशक पहले तक माता-पिता बेटे और बेटी की सहेलियों और दोस्तों पर नजर रखते थे। स्कूल में उनके साथ पढ़ने वाले लड़कों और लड़कियों की पूरी सूची उनकी जुबान पर रहती थी। ट्यूशन क्लास में या एक्स्ट्रा क्लास में लड़का या लड़की किस के साथ आता-जाता है, उस पर भी उनकी नजर बाज की तरह होती थी। अब हर किसी के पास अपना मोबाइल फोन है। सोशल मीडिया पर अपने एकाउंट हैं इसलिए इस समय माता-पिता बच्चों दोनों को 'डिजिटल डिफेंस' सिखाना जरूरी है।
चैटिंग का तरीका सिखाएं
Diese Geschichte stammt aus der November 2022-Ausgabe von Grehlakshmi.
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