एक तरफ जहां भारत की बेटियां टोक्यो ओलंपिक में पदक जीतने में पुरुषों से काफी आगे है तो फिर महिलाओं पर हो रहे अत्याचार आखिर रुक क्यों नहीं रहे हैं? एनसीआरबी के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले 10 वर्षों में महिलाओं के बलात्कार का खतरा 44 फीसदी तक बढ़ गया है। आंकड़ों के मुताबिक, 2010 से 2019 के बीच पूरे भारत में कुल 3, 13, 289 बलात्कार के मामले दर्ज हुए हैं। इन आंकड़ों से आजाद भारत में महिलाओं की वर्तमान स्थिति को देखा जा सकता है। यहां हर 16 मिनट में एक महिला का बलात्कार होता रहा है। हालांकि आज स्थिति यह है कि बलात्कार के संदर्भ में कठोरतम कानून होने के बावजूद इस तरह के प्रकरणों में कमी नहीं आ रही है। फिर समस्या कहां है? क्या कठोर कानून में कमी है? क्या समाज में कमी है? अनगिनत प्रश्न समाज के समक्ष मुंह बाए खड़ा है।
बढ़ते बलात्कार के क्या हैं कारण
रेप होने के कारणों में कुछ कारण भारतीय सिनेमा, वेब सीरीज और यहां तक कि कुछ टीवी सीरियल में दिखाई जाने वाली अश्लीलता को माना जाता है। लेकिन रेप के लिए सिनेमा रूपी माध्यम को या समाज के किसी खास वर्ग को कोसना या उसका नकारात्मक चित्रण करना उचित प्रतीत नहीं होता, क्योंकि आज हम उस दौर से बहुत आगे बढ़ चुके हैं। इंटरनेट क्रांति और स्मार्टफोन की सर्व सुलभता ने पोर्न या वीभत्स यौन-चित्रण को सबके पास आसानी से पहुंचा दिया है। अभी तो इंटरनेट पर एड के नाम पर भी अश्लीलता परोसी जाने लगी है। इन सब कंपनियों को इन बातों से कोई मतलब नहीं है कि इंटरनेट पर छोटे बच्चे पढ़ रहे हैं और उसी बीच में एड भी आ जाता है। इंटरनेट भी अब सहज उपलब्ध है। कल तक इसका उपभोक्ता केवल समाज का उच्च मध्य वर्ग या मध्य-वर्ग ही होता था, लेकिन आज यह समाज के हर वर्ग के लिए सुलभ हो चुका है। यह सबके हाथ में है और लगभग फ्री है। कीवर्ड लिखने तक की जरूरत नहीं, आप बस मुंह से बोलकर ही गूगल को आदेश दे सकते हैं। इसलिए इस परिघटना पर विचार करना किसी खास वर्ग या क्षेत्र के लोगों के बजाय हम सबकी आदिम प्रवृत्तियों को समझने का प्रयास है। तकनीकें और माध्यम बदलते रहते हैं, लेकिन हमारी प्रवृत्तियां कायम रहती हैं या स्वयं को नए माध्यमों के अनुरूप ढाल लेती हैं।
Diese Geschichte stammt aus der April 2024-Ausgabe von Grehlakshmi.
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