मां बनना बेहद सुखद एहसास है। जब कोई महिला मां बनती है तो उसे शारीरिक और भावनात्मक बदलावों से गुजरना ही पड़ता है। तभी तो प्रेग्नेंसी के दौरान खूब ख्याल रखना पड़ता है लेकिन बच्चे के जन्म के बाद कई बार वे उनके कामों में ऐसी रम जाती हैं कि खुद का ख्याल नहीं रख पाती हैं। यह जानना होगा कि मां और बच्चे दोनों के लिए डिलीवरी के बाद पहले 40 दिन बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। वैसे इसे वह समय माना जाता है जब एक नई मां को बच्चे के जन्म के बाद पूरी तरह स्वस्थ होने और एक नवजात शिशु को बाहरी दुनिया का सामना करने के लिए पर्याप्त मजबूत होने की जरूरत होती है।
आप देश के किस हिस्से से हैं, इसके आधार पर इन दिनों के दौरान प्रथाएं भिन्न हो सकती हैं। लेकिन मोटे तौर पर, पहले 40 दिनों की इस अवधि में घर में कैद रहने की परंपरा आपके स्वस्थ होने, ताकत हासिल करने और अपने नये बच्चे के साथ जुड़ने के लिए होती है। अब डिलीवरी चाहे ऑपरेशन से हुई हो या फिर नॉर्मल। बच्चे के जन्म के बाद 40 दिन मां को खास देखभाल की जरूरत होती है। इस दौरान सावधानी न बरतने पर भविष्य में शरीर से जुड़ी परेशानी बढ़ सकती हैं। इसलिए यह जानना बहुत जरूरी है कि डिलीवरी के बाद 40 दिन तक क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए -
पोस्टपार्टम पीरियड
डिलीवरी के बाद एक-दो सप्ताह तक महिलाओं को ब्लीडिंग की समस्या होती है। जिसके कारण शरीर में दर्द भी रहता है। ब्लीडिंग को कम करने और इस दर्द से आराम के लिए महिलाओं को किसी भी तरह की भाग-दौड़ से बचना बेहद जरूरी है। डिलीवरी के बाद पहला छह सप्ताह पोस्टपार्टम पीरियड कहलाता है और यह समय शरीर के घावों के भरने और नए बदलावों में ढलने का होता है। इस कारण से डॉक्टर 40 दिन तक शारीरिक तौर पर आराम करने की सलाह देते हैं। छह से आठ सप्ताह के अंदर महिलाएं पूरी तरह से स्वस्थ महसूस करती हैं। लेकिन अगर 40 दिन आराम न किया और जरूरी ख्याल न रखता तो दिक्कतें आगे आ सकती हैं।
टांकों का ख्याल
Diese Geschichte stammt aus der May 2024-Ausgabe von Grehlakshmi.
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