गायन के घराने और उनकी विशेषताएं
Naye Pallav|Naye Pallav 16
मध्य काल में देशी रियासतें बनीं, जहां घरानों का जन्म और विकास हुआ। तानसेन के पूर्व कोई घराना नहीं मिलता है। फिर मुगलों के पतन और ब्रिटिश राज्य की स्थापना से छोटी-छोटी रियासतें बनीं।
गायन के घराने और उनकी विशेषताएं

हरेक रियासत में कुछ गायक-वादक जरूर होते थे। उन्हें राजा को गायन-वादन से खुश करना पड़ता था और बदले में राजा से पूर्ण आश्रय मिलता था। वे बड़े आराम से अपनी जिंदगी बिताते और जब कभी कोई शिष्य उनसे सीखने आता, तो उसे सिखाने में कतराते नहीं थे। केवल वही शिष्य काफी दिनों तक लगे रहने के बाद थोड़ा-बहुत सीख पाता था, जो उस्ताद की सेवा करने में कुछ बाकी न रखता था।

शिष्य पर उस्ताद की बड़ी निगरानी रहती। न तो उसे किसी अन्य गायक को सुनने की इजाजत रहती और न बिना उस्ताद की इजाजत के कहीं गा पाता। उस समय रेडियो व संगीत-सम्मेलन आदि साधन उपलब्ध नहीं थे। इस नियंत्रण का परिणाम अच्छा भी था और बुरा भी। अच्छा इस दृष्टि से कि शिष्य पर बाह्य प्रभाव न पड़ता और उसके बहकने की गुंजाइश न रहती। बुरा इस दृष्टि से कि कभी-कभी अयोग्य गुरु के पंजों में फंसकर वह अपने को नष्ट कर देता और उसे आंख खोलने का अवसर न मिलता।

Diese Geschichte stammt aus der Naye Pallav 16-Ausgabe von Naye Pallav.

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तीन मछलियां
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तीन मछलियां

एक नदी के किनारे उसी नदी से जुड़ा एक बड़ा जलाशय था। \"जलाशय में पानी गहरा होता है, इसलिए उसमें काई तथा मछलियों का प्रिय भोजन जलीय सूक्ष्म पौधे उगते हैं। ऐसे स्थान मछलियों को बहुत रास आते हैं। उस जलाशय में भी नदी से बहुत-सी मछलियां आकर रहती थीं। अंडे देने के लिए तो सभी मछलियां उस जलाशय में आती थीं। वह जलाशय लंबी घास व झाड़ियों द्वारा घिरा होने के कारण आसानी से नजर नहीं आता था।

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टिटिहरी का जोड़ा और समुद्र का अभिमान
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समुद्रतट के एक भाग में एक टिटिहरी का जोड़ा रहता था। अंडे देने से पहले टिटिहरी ने अपने पति को किसी सुरक्षित प्रदेश की खोज करने के लिये कहा। टिटिहरे ने कहा \"यहां सभी स्थान पर्याप्त सुरक्षित हैं, तू चिन्ता न कर।\"

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लड़ते बकरे और सियार
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एकदिन एक सियार किसी गांव से गुजर रहा था। उसने गांव के \"बाजार के पास लोगों की एक भीड़ देखी।

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एक नेता का कबूलनामा
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चुनाव की घोषणा हो चुकी थी। सीट बंटवारे की पहली लिस्ट पार्टी जारी कर चुकी थी। कई नेताओं के नाम इस लिस्ट में नहीं थे। सभी असंतुष्ट नेता पार्टी कार्यालय में आकर हंगामा मचा रहे थे। कुछ नेता 'पार्टी अध्यक्ष मुर्दाबाद' के नारे लगा रहे थे, तो कुछ गमला-मेज-कुरसी पटक रहे थे। लोटन दास अपनी धोती खोलकर प्रवेश द्वार पर बिछा धरने पर बैठ गये। अन्य नेताओं से चिल्लाकर बोले, \"भाइयों, आप भी इस मनमानी के खिलाफ हमारा साथ दें। पैसे देकर खरीदे गये हैं टिकट ! इसके खिलाफ हम यहां नंग-धड़ंग धरना देंगे, प्रदर्शन करेंगे।\"

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भोलाराम का जीव
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ऐसा कभी नहीं हुआ था... धर्मराज लाखों वर्षों से असंख्य आदमियों को कर्म और सिफारिश के आधार पर स्वर्ग या नर्क में निवास - स्थान 'अलॉट करते आ रहे थे... पर ऐसा कभी नहीं हुआ था।

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सुबह पांच बजे गाड़ी मिली। उसने एक कंपार्टमेंट में अपना बिस्तर लगा दिया। समय पर गाड़ी ने झांसी छोड़ा और छह बजते-बजते डिब्बे में सुबह की रौशनी और ठंडक भरने लगी। हवा ने उसे कुछ गुदगुदाया। बाहर के दृश्य साफ हो रहे थे, जैसे कोई चित्रित कलाकृति पर से धीरे-धीरे ड्रेसिंग पेपर हटाता जा रहा हो। उसे यह सब बहुत भला - सा लगा। उसने अपनी चादर टांगों पर डाल ली। पैर सिकोड़कर बैठा ही था कि आवाज सुनाई दी, ' पढ़ो पटे सित्ताराम सित्ताराम...'

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हीरेजी को आप नहीं जानते और यह दुर्भाग्य की बात है। इसका यह अर्थ नहीं कि केवल आपका दुर्भाग्य है, दुर्भाग्य हीरोजी का भी है। कारण, वह बड़ा सीधा-सादा है। यदि आपका हीरोजी से परिचय हो जाए, तो आप निश्चय समझ लें कि आपका संसार के एक बहुत बड़े विद्वान से परिचय हो गया।

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जाह्नवी अपने बालू के कम्बल में ठिठुरकर सो रही थी। शीत कुहासा बनकर प्रत्यक्ष हो रहा था। दो-चार लाल धारायें प्राची के क्षितिज में बहना चाहती थीं। धार्मिक लोग स्नान करने के लिए आने लगे थे।

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