टॉर्च बेचनेवाला
Naye Pallav|Naye Pallav 19
वह पहले चौराहों पर बिजली के टॉर्च बेचा करता था। बीच में कुछ दिन वह नहीं दिखा। कल फिर दिखा। मगर इस बार उसने दाढ़ी बढ़ा ली थी और लंबा कुरता पहन रखा था।
हरिशंकर परसाई
टॉर्च बेचनेवाला

मैंने पूछा, "कहां रहे? और यह दाढ़ी क्यों बढ़ा रखी है?" 

उसने जवाब दिया, "बाहर गया था।”

दाढ़ीवाले सवाल का उसने जवाब यह दिया कि दाढ़ी पर हाथ फेरने लगा। मैंने कहा, "आज तुम टॉर्च नहीं बेच रहे हो?"

उसने कहा, "वह काम बंद कर दिया। अब तो आत्मा के भीतर टॉर्च जल उठा है। ये 'सूरजछाप' टॉर्च अब व्यर्थ मालूम होते हैं।"

मैंने कहा, "तुम शायद संन्यास ले रहे हो। जिसकी आत्मा में प्रकाश फैल जाता है, वह इसी तरह हरामखोरी पर उतर आता है। किससे दीक्षा आए?"

मेरी बात से उसे पीड़ा हुई। उसने कहा, "ऐसे कठोर वचन मत बोलिए। आत्मा सबकी एक है। मेरी आत्मा को चोट पहुंचाकर आप अपनी ही आत्मा को घायल कर रहे हैं।"

मैंने कहा, "यह सब तो ठीक है। मगर यह बताओ कि तुम एकाएक ऐसे कैसे हो गए? क्या बीवी ने तुम्हें त्याग दिया? क्या उधार मिलना बंद हो गया? क्या हूकारों ने ज्यादा तंग करना शुरू कर दिया? क्या चोरी के मामले में फंस गए हो? आखिर बाहर का टॉर्च भीतर आत्मा में कैसे घुस गया?"

उसने कहा, "आपके सब अंदाज गलत हैं। ऐसा कुछ नहीं हुआ । एक घटना हो गई है, जिसने जीवन बदल दिया। उसे मैं गुप्त रखना चाहता हूं। पर क्योंकि मैं आज ही यहां से दूर जा रहा हूं, इसलिए आपको सारा किस्सा सुना देता हूं।" उसने बयान शुरू किया, "पांच साल पहले की बात है। मैं अपने एक दोस्त के साथ हताश एक जगह बैठा था। हमारे सामने आसमान को छूता हुआ एक सवाल खड़ा था। वह सवाल था 'पैसा कैसे पैदा करें?' हम दोनों ने उस सवाल की एक-एक टांग पकड़ी और उसे हटाने की कोशिश करने लगे। हमें पसीना आ गया, पर सवाल हिला भी नहीं। दोस्त ने कहा 'यार, इस सवाल के पांव जमीन में गहरे गड़े हैं। यह उखड़ेगा नहीं। इसे टाल जाएं।”

हमने दूसरी तरफ मुंह कर लिया। पर वह सवाल फिर हमारे सामने आकर खड़ा हो गया। तब मैंने कहा "यार, यह सवाल टलेगा नहीं। चलो, इसे हल ही कर दें। पैसा पैदा करने के लिए कुछ काम-धंधा करें। हम इसी वक्त अलग-अलग दिशाओं में अपनी-अपनी किस्मत आजमाने निकल पड़ें। पांच साल बाद ठीक इसी तारीख को इसी वक्त हम यहां मिलें।"

दोस्त ने कहा मैंने कहा "यार, साथ ही क्यों न चलें?" 

Diese Geschichte stammt aus der Naye Pallav 19-Ausgabe von Naye Pallav.

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