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पालमपुर बैठक और राम मंदिर
पालमपुर में 1989 की भाजपा कार्यसमिति में राम मंदिर का ऐतिहासिक प्रस्ताव पास हुआ था, उस वक्त सूबे में वीरभद्र सिंह की कांग्रेसी सरकार थी, लेकिन उन्होंने पूर्ण सहयोग किया, यानी राम मंदिर निर्माण में हिमाचल का योगदान है अहम
राम का चुनावी असर, उत्तर भारत के पार
राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा की अनुगूंज उत्तर को पार करके दक्षिण के राज्यों तक पहुंच चुकी है, कर्नाटक से लेकर केरल तक प्रचारक और स्वयंसेवक अक्षत लेकर पहुंचे
राम मंदिर का चुनावी नफा और नुकसान
रामायण के विभिन्न पात्रों का जो विशिष्ट सामाजिक-कथात्मक आधार है, यही भाजपा को आगामी चुनावों में लाभांश देगा
गांधी के राम और रामराज्य
आज राम के नाम पर जितना कुछ और जैसा कुछ हुआ है, उसकी चर्चा के साथ गांधी को जोड़ना एक तरह का गुनाह है
'इंडिया' टूटेगा या जोर का जुटेगा?
भाजपा की चालें और ईडी की दबिश ही बताती है कि विपक्षी गठजोड़ अभी कमजोर नहीं
अयोध्या कांड बनाम नीतीश कांड
एक झटके में राम मंदिर के देशव्यापी राग से राग बिहार में बदली सियासी फिजा को कैसे लेगा मतदाता
नीतीश का पंछी मन
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले नीतीश कुमार का एक बार फिर लालू प्रसाद की राजद को छोड़ जाना और वापस एनडीए में आना उनकी राजनीतिक सूझ-बूझ का परिचायक माना जाए या कुर्सी के लिए वैचारिक अवसरवाद का ऐतिहासिक प्रदर्शन?
हाशिए के लोगों के नायक
भारतीय राजनीति के प्रतीक पुरुषों को सत्ता की मर्यादाहीन राजनीति में इस्तेमाल कर लगातार उनकी अवमानना की जा रही
माओवादियों पर कड़ी दबिश
भाजपा सरकार ने नए सिरे से खोला माओवादियों के खिलाफ मोर्चा
रोजगार चाहिए, इजरायल जाओ
केंद्र सरकार इजरायल से भारतीयों को सुरक्षित निकालने में लगी है तो हरियाणा सरकार युवाओं को वहां नौकरी के नाम पर भेज रही
"कोई भी बड़ा काम एक दिन में नहीं होता"
संजना सांघी उन चुनिंदा कलाकारों में से हैं, जिन्होंने सीमित अवसरों में अपनी अलग पहचान बनाई है। संजना ने फिल्म रॉकस्टार से शुरुआत की और आने वाले कुछ वर्षों में दिल बेचारा, हिंदी मीडियम, जैसी फिल्मों से दर्शकों के बीच लोकप्रिय हो गईं। संजना, जी 5 ओटीटी प्लेटफॉर्म पर कड़क सिंह में संवेदनशील और रोचक किरदार में दिखी हैं। इसके लिए उन्हें समीक्षकों से जबर्दस्त सराहना मिल रही है। संजना से उनकी फिल्म और अभिनय यात्रा पर आउटलुक के मनीष पाण्डेय ने बातचीत की।
डॉक्टर्ड पिच का गोलमाल
आइसीसी को पिचों पर ध्यान देने की दरकार वरना एक समय आएगा, जब मैदान, पिचें, टीमें, खिलाड़ी तो होंगे लेकिन फैंस क्रिकेट के सबसे लंबे प्रारूप टेस्ट मैच से मुंह फेर लेंगे
किराना घराने का एक पुराना चिराग
प्रभा अत्रे (13 सितंबर 1932 - 13 जनवरी 2024)
विलंबित खयाल का माहिर
संगीत के आकाश में सूरज की तरह चमकने वाले बेजोड़ शास्त्रीय गायक उस्ताद राशिद खां नहीं रहे। नौ जनवरी को वह दुनिया को अलविदा कह गए। उस्ताद राशिद खां का गाना एक मायने में अलग मुकाम पर था। उत्तर प्रदेश के बदायूं में जन्मे राशिद के रंगों में संगीत बचपन से ही समाया हुआ था।
बघेल पर शिकंजा
ईडी का फंदा: भूपेश बघेल
पटवारी पहरेदार
कांग्रेस पीढ़ी परिवर्तन से 2024 के मद्देनजर नए जोश में
कल्पना होगी साकार?
क्या ईडी या चुनाव आयोग की कार्रवाई की सूरत में पत्नी को कुर्सी सौंप देंगे हेमंत सोरेन
अयोध्या का संदेश क्या होगा?
क्या 2024 के आम चुनाव में भाजपा राम मंदिर निर्माण से पूरे भारत में बंपर सीटें ला पाएगी
आस्था बनाम सियासत
इस राष्ट्र राज्य और लोकतंत्र से भी पांच गुना पुराना राम मंदिर का विवाद 22 जनवरी को हो रही प्राण प्रतिष्ठा के बाद खत्म होगा या नए सिरे से जिंदा, यह सवाल पूरे समाज को मथ रहा है, कहीं बेचैनी और कहीं भक्ति की लहर
राम राजनीति लीला
2024 के लोकसभा चुनावों के पहले अयोध्या में भव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा का अनुष्ठान बना सियासी मसला
गठजोड़ की तोड़
मोदी की गारंटी के भरोसे प्रदेश में सभी 10 लोकसभा सीटों पर भाजपा अकेले चुनाव लड़ने को तैयार
न्याय पथ के दावे और चुनौतियां
राहुल गांधी ने उत्तरायण पर अपनी दूसरी यात्रा शुरू की है, लेकिन सवाल है कि यह कवायद माहौल बनाने के लिए है या सियासत में भी कुछ बदलाव होगा
शहरनामा - फतेहगढ़
छावनी की यादें - गंगा के किनारे बसा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के उत्तर-पश्चिमी दिशा में स्थित है। फरूर्खाबाद जिले का फतेहगढ़ शहर सेना की छावनी होने के नाते और आस-पास के गांवों में आलू की बहुतायत पैदावार होने के नाते पूरे देश में जाना-पहचाना जाता है। इसी छोटे से शहर की छावनी यादों में बसी है। फतेहगढ़ का किला और फतेहगढ़ का घटियाघाट मेरी शिद्दत के साथ अंतरचेतना में मौजूद रहता है।
तूफानी संकेत
2023 झलकियां
बीच बहस में
चर्चा और बहस मुबाहिसे का बायस बन पिछले साल प्रकाशित पुस्तकों की एक मोटी फेहरिस्त
"धर्म सबसे बड़ा शोषक और जाति प्रथा सबसे घृणित"
इस साल अपने उपन्यास 'मुझे पहचानो' के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजे गए कथाकार संजीव से उनके लेखन कर्म, जीवन, मौजूदा समाज और राजनीति की दशा पर हरिमोहन मिश्र ने विस्तृत बातचीत की। उसके अंश:
सदैव अमृतामय
इमरोज (1926-2023)
लंबी रेस के घोड़े!
आइपीएल के मुनाफे में पैसों की बारिश के साथ, खिलाड़ियों की वह पहचान भी है, जिससे अब उन्हें पूरा देश जानने लगा है
सस्ता नशा महंगी कीमत
यूट्यूब, इंस्टाग्राम और टिकटॉक के दौर में आदमी ही कंटेंट है । वह जो करे, वही टैलेंट है। कौन, कब, कहां, कैसे, किस हरकत से स्टार बन जाए कहा नहीं जा सकता। अजीबोगरीब कंटेंट बनाने वाले कुछ सामान्य लोग, जिनके दीवानों की अच्छी-खासी फौज है
नई नियति, नए नियंता
कॉलिंस के शब्दकोश ने एआइ को 2023 का शब्द बताया, यथार्थ की जगह आभास, असल की जगह नकली मेधा, आदमी की जगह रोबोट, इनसानी विवेक की जगह अलगोरिद्म, और स्वतंत्रेच्छा की जगह नियति- कल की दुनिया इन्हीं से मिलकर बननी है, सोशल मीडिया की लत उस बड़ी बीमारी का महज लक्षण भर