आपके पूजाघर में रामजी की मूर्ति है क्या?" दक्षिण बेंगलुरू के एक रिहायशी इलाके में घर-घर दस्तक देने वाले कुछ भगवाधारी स्वयंसवकों में से एक ने यही सवाल पूछा था । ऐसे पांच से दस लोगों का समूह परचा और अक्षत लेकर यहां अन्य राज्यों की तरह इस राज्य के हिस्सों में लगातार हर दरवाजे घूम कर यही पूछ रहा था । जवाब के बाद उनका एक ही रटा-रटाया अनुरोध होता था कि 22 जनवरी को अयोध्या के नवनिर्मित राम मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा के दौरान जरूर राम की पूजा करें। दक्षिण बेंगलुरू में साठ साल से रह रहे चरण तेजा (बदला हुआ नाम) इस संपर्क अभियान से सकते में थे। आज तक उन्होंने कर्नाटक में घर-घर जाकर किसी धार्मिक मसले पर किया गया ऐसा संपर्क अभियान नहीं देखा। वे खुद भी राम के उपासक नहीं हैं। राम मंदिर के नाम पर चलाया गया यह अभियान सत्ताधारी भाजपा के दक्षिण में प्रवेशद्वार माने जाने वाले कर्नाटक की सरहद को पार कर केरल तक पहुंच गया, जहां आज तक भाजपा को कोई चुनावी कामयाबी नहीं मिली है।
विभिन्न भारतीय भाषाओं में 25000 से ज्यादा गाने गा चुकी और 'केरल की कोकिला' कही जाने वाली मलयाली गायिका केएस चित्रा ने सोशल मीडिया पर 22 जनवरी को सामूहिक पूजा और दीप प्रज्ज्वलन का आह्वान कर के खास सुर्खियां बंटोरीं। चित्रा वैसे तो अपनी गायन प्रतिभा और राजनीतिक विमर्श से दूर रहने के लिए जानी जाती हैं, लेकिन अयोध्या के आयोजन के समर्थन में जारी हुआ उनका वीडियो विवाद का विषय बन गया। उनकी यह कह कर आलोचना की गई कि राम मंदिर को उनके समर्थन ने बाबरी मस्जिद विध्वंस से भारतीय मुसलमानों के साथ हुई 'नाइंसाफी' को सहज बना डाला है।
एक युवा मलयाली गायक सूरज संतोष ने टिप्पणी की, “असल बात वह 'मासूमियत' है जिसमें इस तथ्य को भुला दिया गया है कि मंदिर का निर्माण मस्जिद ढहा कर किया गया है। जल्द ही और भी लोग चित्रा की तरह बेपर्द होंगे।"
एक और लोकप्रिय गायक वेणुगोपाल ने चित्रा की तरफ से सार्वजनिक माफी जारी करते हुए चित्रा का बचाव किया कि राजनीतिक मामलों में उनकी सीमित जानकारी के चलते ऐसा हुआ होगा।
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शहरनामा - मधेपुरा
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मूर्धन्य कलाकार मोहन अगाशे की शख्सियत के कई पहलू हैं। एक अभिनेता के बतौर उन्होंने समानांतर सिनेमा के कई प्रतिष्ठित निर्देशकों के साथ काम किया। घासीराम कोतवाल (1972) नाटक में अपनी भूमिका के लिए वे खास तौर से जाने जाते हैं। वे मनोचिकित्सक भी हैं। मानसिक स्वास्थ्य पर उन्होंने कई फिल्में बनाई हैं। वे भारतीय फिल्म और टेलिविजन संस्थान (एफटीआइआइ) के निदेशक भी रह चुके हैं। उनके जीवन और काम के बारे में हाल ही में अरविंद दास ने उनसे बातचीत की। संपादित अंशः
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'करता कोई और है, नाम किसी और का लगता है'
मुंबई पर 2011 में हुए हमले के बाद पकड़े गए अजमल कसाब के खिलाफ सरकारी वकील रहे उज्ज्वल निकम 1993 के मुंबई बम धमाकों, गुलशन कुमार हत्याकांड और प्रमोद महाजन की हत्या जैसे हाइ-प्रोफाइल मामलों से जुड़े रहे हैं। कसाब के केस में बिरयानी पर दिए अपने एक विवादास्पद बयान से वे राष्ट्रीय सुर्खियों में आए थे। उन्होंने 2024 में भाजपा के टिकट पर उत्तर-मध्य मुंबई से लोकसभा चुनाव लड़ा और हार गए। लॉरेंस बिश्नोई के उदय और मुंबई के अंडरवर्ल्ड पर आउटलुक के लिए राजीव नयन चतुर्वेदी ने उनसे बातचीत की। संपादित अंश:
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