कोलकाता की डेढ़ सौ साल पुरानी ऐतिहासिक ट्राम सेवा अब पूरी तरह से बंद होने जा रही है। यह फैसला राज्य सरकार ने लिया है। केवल एक रूट को छोड़ कर बाकी सभी रूट पर यह सेवा बंद की जा रही है। पहले ही कई रूट पर यह सेवा बंद की जा चुकी है। पश्चिम बंगाल के परिवहन मंत्री स्नेहाशीष चक्रवर्ती ने बताया, ‘‘एक हेरिटेज ट्राम एसप्लानेड से मैदान के बीच बची रहेगी जिसका आनंद सैलानी ले सकेंगे। बाकी रूट से हम ट्राम हटाने जा रहे हैं। उनका कहना है कि कोलकाता की सड़कें संकरी होने और दिन-ब-दिन यातायात बढ़ते जाने के कारण ट्राम को चलाना मुश्किल हो रहा था क्योंकि इससे जाम लग रहा था।
उन्होंने मीडिया को बताया, ‘‘ट्रैफिक जाम के कारण लोगों को दफ्तर जाने में देरी न हो जाए, इसलिए हमें कुछ कठिन निर्णय करने पड़ रहे हैं, जिनमें ट्राम को बंद करना भी शामिल है।’’
आज से पंद्रह साल पहले तक कोलकाता में 37 रूटों पर ट्राम चला करती थी। ये रूट 2011 तक कायम रहा। कोरोना की महामारी के बाद 2022 में केवल दो रूट बचे रह गए। कुल 7000 कर्मचारी 2011 में ट्रामों में काम करते थे। अब एक भी कर्मचारी नहीं बचा है। शहर में 2011 में 61 किलोमीटर ट्राम लाइनें थीं जो 2022 में घटकर 12 किलोमीटर रह गईं। 2011 में 70,000 से ज्यादा सवारियां ट्राम में चलती थीं। अब केवल पांच से सात हजार सवारियां बच गई हैं। राज्य सरकार ने 2018 से ही ट्राम में पैसा लगाना बंद कर दिया था।
पर्यावरण पर काम करने वाले कई संगठनों ने ट्राम सेवाएं बंद करने पर गंभीर एतराज जताया है। उधर, कोलकाता के लोगों की राय सरकार के इस फैसले पर बंटी हुई है। कुछ लोग कह रहे हैं कि मेट्रो रेल जैसी तीव्र सुविधाओं के लिए अब डेढ़ सौ साल पुरानी संस्था को धीरे-धीरे बंद करने का वक्त आ गया है। ऐसे लोग मानते हैं कि शहर को अब वित्तीय रूप से व्यावहारिक परिवहन साधन चाहिए। ऐसे लोग ट्राम नेटवर्क के आधुनिकीकरण की बात भी करते हैं। इनके मुताबिक सीमित जगह वाली सड़कों को तीव्र परिवहन माध्यमों के हिसाब से खाली किया जाना चाहिए।
This story is from the November 11, 2024 edition of Outlook Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the November 11, 2024 edition of Outlook Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
शहरनामा - मधेपुरा
बिहार के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित, अपनी ऐतिहासिक धरोहर, सांस्कृतिक वैभव और प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध मधेपुरा कोसी नदी के किनारे बसा है, जिसे 'बिहार का शोक' कहा जाता है।
डाल्टनगंज '84
जब कोई ऐतिहासिक घटना समय के साथ महज राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का मुद्दा बनकर रह जाए, तब उसे एक अस्थापित लोकेशन से याद करना उस पर रचे गए विपुल साहित्य में एक अहम योगदान की गुंजाइश बनाता है।
गांधी के आईने में आज
फिल्म लगे रहो मुन्ना भाई के दो पात्र मुन्ना और गांधी का प्रेत चित्रपट से कृष्ण कुमार की नई पुस्तक थैंक यू, गांधी से अकादमिक विमर्श में जगह बना रहे हैं। आजाद भारत के शिक्षा विमर्श में शिक्षा शास्त्री कृष्ण कुमार की खास जगह है।
'मुझे ऐसा सिनेमा पसंद है जो सोचने पर मजबूर कर दे'
मूर्धन्य कलाकार मोहन अगाशे की शख्सियत के कई पहलू हैं। एक अभिनेता के बतौर उन्होंने समानांतर सिनेमा के कई प्रतिष्ठित निर्देशकों के साथ काम किया। घासीराम कोतवाल (1972) नाटक में अपनी भूमिका के लिए वे खास तौर से जाने जाते हैं। वे मनोचिकित्सक भी हैं। मानसिक स्वास्थ्य पर उन्होंने कई फिल्में बनाई हैं। वे भारतीय फिल्म और टेलिविजन संस्थान (एफटीआइआइ) के निदेशक भी रह चुके हैं। उनके जीवन और काम के बारे में हाल ही में अरविंद दास ने उनसे बातचीत की। संपादित अंशः
एक शांत, समभाव, संकल्पबद्ध कारोबारी
कारोबारी दायरे के भीतर उन्हें विनम्र और संकोची व्यक्ति के रूप में जाना जाता था, जो धनबल का प्रदर्शन करने में दिलचस्पी नहीं रखता और पशु प्रेमी था
विरासत बन गई कोलकाता की ट्राम
दुनिया की सबसे पुरानी सार्वजनिक परिवहन सेवाओं में एक कोलकाता की ट्राम अब केवल सैलानियों के लिए चला करेगी
पाकिस्तानी गर्दिश
कभी क्रिकेट की बड़ी ताकत के चर्चित टीम की दुर्दशा से वहां खेल के वजूद पर ही संकट
नशे का नया ठिकाना
कीटनाशक के नाम पर नशीली दवा बनाने वाले कारखाने का भंडाफोड़
'करता कोई और है, नाम किसी और का लगता है'
मुंबई पर 2011 में हुए हमले के बाद पकड़े गए अजमल कसाब के खिलाफ सरकारी वकील रहे उज्ज्वल निकम 1993 के मुंबई बम धमाकों, गुलशन कुमार हत्याकांड और प्रमोद महाजन की हत्या जैसे हाइ-प्रोफाइल मामलों से जुड़े रहे हैं। कसाब के केस में बिरयानी पर दिए अपने एक विवादास्पद बयान से वे राष्ट्रीय सुर्खियों में आए थे। उन्होंने 2024 में भाजपा के टिकट पर उत्तर-मध्य मुंबई से लोकसभा चुनाव लड़ा और हार गए। लॉरेंस बिश्नोई के उदय और मुंबई के अंडरवर्ल्ड पर आउटलुक के लिए राजीव नयन चतुर्वेदी ने उनसे बातचीत की। संपादित अंश:
मायानगरी की सियासत में जरायम के नए चेहरे
मायापुरी में अपराध भी फिल्मी अंदाज में होते हैं, बस एक हत्या, और बी दशकों की कई जुर्म कथाओं पर चर्चा का बाजार गरम