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अंतर पहचानें हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट में
कार्डियक अरेस्ट को दिल से जुड़ी बीमारियों में सब से खतरनाक माना जाता है. लोग अकसर इसे दिल का दौरा पड़ना यानी हार्ट अटैक समझते हैं. लेकिन ये दोनों बीमारियां अलग हैं.
सुहागरात को कैसे बनाएं यादगार
शादी की पहली रात से पतिपत्नी के जीवन का नया अध्याय शुरू होता है, ऐसे में कोई भूल बड़ी समस्या खड़ी कर सकती है. सो, यह जान लेना जरूरी है कि पहली रात किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.
सड़क की जिम्मेदारी किस की
शहरी नागरिक के अधिकारों के साथसाथ कर्तव्य भी होते हैं. अमूमन सड़क दुर्घटनाओं, लापरवाही से हुई झड़पों व ट्रैफिक नियमों के दौरान ये नदारद दिखते हैं.
वसीयत बनाने में बराबरी किस हद तक
परिवार में होने वाले झगड़ों की सब से बड़ी वजह वसीयत विवाद होता है. वसीयत विवाद हर दूसरे घर का मसला है. वसीयत में किसे कितना मिला, यह झगड़े की जड़ होती है. ऐसे में वसीयत बनाते समय क्याक्या ध्यान में रखा जाए, जानें.
दुनियाभर में खुल गईं भगवाई कट्टरपंथी की परतें
सत्ता देश की जनता को किसी को पराया घोषित करने की खुली छूट देगी तो नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल की जैसी सांप्रदायिक व नफरती बातें मुंह से निकलेंगी ही. धर्म का कोई दुकानदार अपने धर्म के बारे में सच सहन नहीं कर सकता पर वह दूसरे धर्म के बारे में न कही जाने वाली बातें बोलेगा ही. नूपुर शर्मा का मामला दर्शाता है कि धर्म आधारित राजनीति करना झील में जमी बर्फ पर नाचनाकूदना है, न जाने कब कमजोर बर्फ की परत टूट जाए और भयंकर ट्रैजडी हो जाए.
दशकों से नारी व्यथा की चर्चा ढाक के तीन पात
हर छोटीछोटी बात पर महिलापुरुष के बीच भेदभाव दिख जाता है. हंसनेरोने, उठनेबैठने, आनेजाने हर चीज में महिला व पुरुषों के लिए नियमावली अलगअलग हैं. जो चीज पुरुषों के लिए जायज ठहरा दी गई, महिलाओं के लिए उस की मनाही है.
कितनी जायज है श्रवण कुमार से अपने बच्चों की तुलना
हर मातापिता चाहते हैं कि उन का बेटा उन की सेवा श्रवण कुमार की तरह ही करे, जिस के चलते वे बारबार अपने बच्चों की श्रवण कुमार से तुलना करने लगते हैं. बदलते दौर में यह कहां तक संभव है? क्या बच्चों पर श्रवण कुमार बनने का दबाव डालना सही है?
जनून
यह धीर का जनून ही था कि जंगल में फैली भयानक आग से एक बड़ी अनहोनी होने से बच गई. इस जनून में उस ने भले ही त्याग किया पर एक बड़ी सीख भी दे दी. क्या थी वह सीख?
अग्निपथ घटा नए सैनिकों का कद
सेना को कमजोर करना सरकार की सब से बड़ी भूल होगी. अग्निपथ योजना किसी भी कोण से यह आश्वस्त नहीं करती कि इस से सेना युवा और तेज होगी. उलटे यह हर साल रिटायर हो रहे तीनचौथाई ट्रेंड सैनिक देश की गरीबी, बेरोजगारी और युवा सपनों पर पानी फेरेगी.
उफ ! यह मोटापा
मोटापा सिर्फ शरीर में चरबी का भर जाना नहीं है, बल्कि मोटापे से जन्मती हैं कई शारीरिक, सामाजिक और मानसिक समस्याएं, जिन के चलते पीड़ित व्यक्ति गहरे अलगाव और अवसाद में चला जाता है. उस के लिए जीना दूभर हो जाता है.
'फिल्म असफल होने पर उस की जिम्मेदारी निर्देशक को लेनी पड़ेगी' प्रकाश झा
प्रकाश झा बौलीवुड इंडस्ट्री के सफल निर्देशकों में गिने जाते हैं. उन की अधिकतर फिल्में सिस्टम और समाज की गंभीर समस्याओं के इर्दगिर्द होती हैं. फिलहाल वे ‘आश्रम' वैब सीरीज से चर्चाओं में हैं.
ज्ञानवापी विवाद एक नए फसाद की शुरुआत
मंदिरमसजिद विवाद एक ऐसी अंतहीन बहस है जिस के छिड़ने भर से बवाल होना तय है. यही कारण था कि 1991 में तत्कालीन सरकार ने पूजास्थल कानून बनाया. ज्ञानवापी विवाद के भड़कने से न सिर्फ इस कानून के सामने चुनौती खड़ी हुई है बल्कि बचेखुचे सांप्रदायिक सौहार्द्र के गहरे पतन में चले जाने की आशंका बढ़ गई है.
हकीकत गंदगी के पहाड़ों के नीचे
हमारी आबादी के बड़े हिस्से को गंदा रहने की आदत पड़ चुकी है. क्यों? क्योंकि मैला ढोना, साफसफाई रखना अति निचली जातियों का काम माना जाता था. ऐसे में सफाई न करना भारतीयों की संस्कृति बनी हुई है. ऐसी संस्कृति को तोड़ने की जरूरत है.
मंजिल से भी खूबसूरत सफर
मंजिल तो एक बिंदु होता है जहां पहुंचना होता है और जहां पहुंच कर खुशी का एहसास होता है, पर असल याद सफर बनाती है जो मंजिल तक पहुंचाती है. सफर ही है जो खट्टेमीठे अनुभव देता है.
अरबों की ठगी पिरामिड स्कीमें
लोग शौर्टकट तरीके से पैसा कमाना चाहते हैं और ठग इसी तरह के लोगों के इंतजार में रहते हैं. ठग कई शक्लों में सामने हैं. अरबों की ठगी करने वाले अब पिरामिड स्कीमें बेच कर पहले निवेशकों से निवेश कराते हैं, फिर जाल में फांसते हैं.
क्यों आते हैं दिन में सपने
दिन में सपने देखना आम बात है, इसे डेड्रीमिंग कहते हैं. ये कहीं भी कभी भी दिख सकते हैं. सवाल यह है कि हम इन्हें क्यों देखते हैं और इन का हमारे ऊपर क्या असर होता है? आइए जानते हैं.
आर्यन खान बरी चालू मीडिया पर आंच भी नहीं
आर्यन खान को नशीली दवाओं को रखने के आरोप में बरी कर दिया गया पर असली दोषी नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो नहीं, वह चालू मीडिया है जिस ने बेगुनाहों को न्यूज रिपोर्टों से कुचल डाला और अब भी उन्हें रत्तीभर भी अफसोस नहीं है.
अमेरिका में बढ़ता गन कल्चर
अमेरिका वर्षों से हो रही मास शूटिंगों के बाद भी अपने गन कल्चर को खत्म नहीं कर पाया है. इस की 2 प्रमुख वजहें हैं. पहली, कई अमेरिकी राष्ट्रपति से ले कर वहां के राज्यों के गवर्नर तक इस कल्चर को बनाए रखने की वकालत करते रहे हैं. दूसरी, धर्म और चर्च का इन को मूक समर्थन रहता है.
मृत देह का अभाव
मैडिकल संस्थानों में मृत देह का अभाव होना विज्ञान व स्वास्थ्य उपचारों में नई खोजों पर अड़ंगा पड़ने जैसा है. मृत देह की कमी होने का मुख्य कारण लोगों का विज्ञान के लिए देह दान न करना है जो समाज में फैले धार्मिक अंधविश्वास से पैदा हो रहा है.
“हमें रिजैक्शन को हैंडल करना भी आना चाहिए” - सिमरिथी बठिजा
सिमरिथी बठिजा कला की धनी हैं. उन्होंने न सिर्फ मौडलिंग में खुद को साबित किया है बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर वे स्पोर्ट्स खेल चुकी हैं. फिलहाल उन्होंने अभिनय की तरफ रुख किया है. आइए जानते हैं उन के बारे में उन्हीं से.
सिमरिया मौब लिंचिंग हिंदू न मानने की सजा
गौमांस बहाना है. असल मकसद आदिवासियों को डराना है ताकि वे खुद को कट्टर हिंदू मानने लगें. कट्टर हिंदूवादियों की यह जिद और कोशिश आजादी के बाद से ही मुहिम की शक्ल में परवान चढ़ने लगी थी. इस बैर की कहानी महज दो लफ्जों की है कि आदिवासी हिंदू हैं या नहीं.
मेरे अपने
प्रकाश और फिर अविनाश दोनों के अंबिका को ठुकरा कर चले जाने से टूट कर रह गई वह मन में कोई इच्छा शेष न रह गई, पर उसे क्या पता उस की खुशियों में आग लगाने वाला कोई और नहीं उस के अपने ही थे.
ध्वस्त होती इमेज
देश की इमेज खराब होती है तब बड़ी परेशानी आम लोगों को भी होती है क्योंकि हकीकत होती कुछ और है और दिखाई कुछ और जाती है. इस से आम लोगों का आत्मविश्वास कम होता है जिस से उन की कार्यक्षमता पर बुरा असर पड़ता है. हर कोई चाहता है कि उस के देश का सिर दुनिया में ऊंचा हो, लेकिन झूठ, नफरत और हिंसा के चलते देश की छवि की भद पिट रही है.
धर्म की पोल खोलने पर मुकदमे
विडंबना है कि देश में अंधविश्वास फैलाने वालों को शासन, प्रशासन और न्यायिक व्यवस्था द्वारा नजरअंदाज किया जा रहा है और जो इन की दुकानों की पोल खोलते हैं उन के ही खिलाफ गैरकानूनी तौर पर गंभीर धाराएं लगा कर कैद किया जा रहा है.
बरबाद श्रीलंका
श्रीलंका के पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने राष्ट्रवाद की आंधी पैदा की, बहुसंख्यक समुदाय में उन्माद जगाया, अच्छे दिनों के सब्जबाग दिखाए और अल्पसंख्यकों के प्रति नफरत को हवा दी. नतीजा बरबादी. आखिरकार वहां की जनता ने अपने देश के किंग को कुरसी से खींच कर जमीन पर दे पटका. मगर तब तक महिंदा राजपक्षे के परिवार ने देश का जो नुकसान कर दिया उस की भरपाई करने में देश को 10-15 साल लगेंगे.
क्या करे ससुर जब नई बहू घर आए
घर में नई बहू आती है तो शुरूशुरू में परिवार में एक असहजता दिखने लगती है. खासकर ससुर, जो पहले ठसक के रहता था, को संयमित रहना पड़ता है. इस नए बदलाव से उखड़े नहीं, ऐसा होता ही है, बल्कि सामंजस्य बैठाने की कोशिश करें.
एक औरत का भ्रष्ट हो जाना
कुछ दशकों के दौरान महिलाओं ने हर फील्ड में अपने पैर जमाए हैं. वे ऊंचे ओहदों पर भी पहुंचीं. इस से महिलाओं के प्रति समाज की सोच सकारात्मक तो हुई लेकिन हालफिलहाल में सामने आई भ्रष्टाचार में महिला अधिकारियों की लिप्तता आधी आबादी के वजूद के लिए खतरे की घंटी से कम नहीं है.
इकलौती लड़की बूढ़े मांबाप
जिस तरह बच्चों की देखभाल के लिए पेरेंट्स की भूमिका अहम होती है उसी तरह बुढ़ापे में संतानों की भूमिका अहम हो जाती है, पर क्या हो अगर संतान इकलौती लड़की हो और उस की शादी हो गई हो ?
अलजाइमर जरूरी है दिमागी कसरत
आमतौर पर अलजाइमर की समस्या बुढ़ापे में अधिक देखने को मिलती है पर आजकल 30 वर्ष की उम्र के बाद यह समस्या युवाओं में भी दिखने लगी है. ऐसा न हो, इसलिए दिमागी कसरत जरूरी है.
हे भगवान! है भगवान ?
कुछ अच्छा हुआ तो भगवान, कुछ बुरा हुआ तो भगवान कुछ हुआ तो भगवान, कुछ नहीं हुआ तो भगवान. आखिर भगवान हर मसले के बीच में कैसे घुस गया? हर सवाल का जवाब भगवान कैसे बन गया? भगवान सच है या मुफ्तखोरों की बनाई कोरी कल्पना है? क्या भगवान पर हमारा विश्वास करना सही है? यह सब जानने व समझने के लिए पढ़ें यह लेख.