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कट्टरवाद का केयरटेकर फेसबुक
भारत में मुख्यधारा का मीडिया अपनी विश्वसनीयता खो चुका है. मीडिया के कई संस्थान सत्ता के साथ सांठगांठ कर उस के हित के लिए देश में धार्मिक कट्टरता व नफरत फैलाने में लिप्त हैं. वे असल मुद्दों पर ज्यादा फोकस नहीं कर रहे. विकल्प के तौर पर फेसबुक और व्हाट्सऐप आमजन की अभिव्यक्ति के सरल माध्यम बने थे. लेकिन, क्या ये सच में आमजन की अभिव्यक्ति के सच्चे साधन बन पाए? अलगअलग हो रहे खुलासों से तो ऐसा लग रहा है कि फेसबुक कट्टरवाद का केयरटेकर सा बन गया है.
"मौका मिला तो मैं भी अपना टैलेंट दिखा सकता हूं "चंदन राय सान्याल
चंदन राय सान्याल ने अभिनय की शुरुआत थिएटर से की. सिनेमाई परदे पर वे जाने गए फिल्म 'कमीने' से. इस समय वे वैब सीरीज 'आश्रम' में अपने किरदार भोपा स्वामी से दर्शकों का ध्यान खींच रहे हैं. वे अपने अभिनय कैरियर की शुरुआत ले कर अब तक की जर्नी को रोचक बताते हैं.
उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों को लुभाने में जुटी भाजपा
मंडल कमीशन लागू होने के बाद भाजपा के राज में ब्राह्मण सदियों बाद पूरे देश में सत्ता में आए हैं. पर अब उन का एक वर्ग नाराज होने लगा है.
महंगी शिक्षा घटते रोजगार बंद होते कालेज
कोरोना के कारण मातापिता पर चौतरफा मार पड़ रही है. जहां एक तरफ नौकरी का खतरा सिर पर मंडरा रहा है, वहीं इन विषम परिस्थितियों में आसमान छूती स्कूलकालेज की फीस ने उन की कमर तोड़ दी है. आखिर करें तो करें क्या?
बौलीवुड का ड्रग कनैक्शन
बौलीवुड और ड्रग्स का रिश्ता पुराना रहा है. आंखें चुंधियाती दूधिया रोशनी से सराबोर बौलीवुड के पीछे नशे और अपराध की बजबजाती दुनिया भी है, यह कोई ढकीछिपी बात नहीं रह गई है.
वर्क फ्रोम होम के दौर में औफिस का क्या
लौकडाउन के चलते औफिस का काम घर से करने की पनपी संस्कृति अनलौक होने के बाद भी जारी रह सकती है, जैसा कि कई कंपनियां संकेत दे रही हैं. ऐसे में औफिस की क्या भूमिका होगी...
हमारी वर्जिनिटी हमारे लिए नहीं तो बचाएं क्यों?
पुरुषवर्ग लड़कियों से वर्जिन रहने की अपेक्षा करता है जबकि वही उन की वर्जिनिटी पर हमला करने से बाज नहीं आता. वहीं, स्त्रीवर्ग में अब यह सोच उभरने लगी है कि जब वर्जिनिटी उस की हो कर भी उस के लिए नहीं, तो वह उसे बचाए क्यों...
“मैं सिर्फ जीवन जीता हूं" नमित दास
अभिनेता नमित दास ने बौलीवुड ही नहीं, बल्कि छोटे परदे और कुछ वैब सीरीज में भी हाथ आजमाया है. साथ ही, वे संगीत का भी शौक रखते हैं और म्यूजिकल नाटक कर चुके हैं. ऐसी ही और भी अनसुनी बातें हैं जिन पर नमित ने खुल कर बात की.
कोरोनाकाल में क्या खाए क्या न खाएं
कोरोना के दौरान लोगों को पहले घर से कम से कम बाहर निकलना चाहिए. वहीं, डाइट में उन चीजों को शामिल करना चाहिए जो पौष्टिक होने के साथ लंबे समय तक सुरक्षित रहें.
मिक्स्ड कल्चर की महिलाओं से घबराए कट्टरवादी
अमेरिका में कट्टरवाद का सामना कर रहीं कमला हैरिस दुनिया की अकेली महिला नहीं हैं. हमारे देश भारत में भी ऐसे उदाहरणों की कमी नहीं जो बताते हैं कि भिन्न पृष्ठभूमि वाले कपल्स और उन की संतानों को प्रताड़ित व हतोत्साहित करने के लिए कैसे कैसे धार्मिक हथकंडे अपनाए जाते हैं.
कैसे शुरू होगी फिल्मों की शूटिंग
देश कोरोना महामारी के चलते काफी दिक्कत झेल चुका है. इस झटके से एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री भी अछूती नहीं रही जहां कई शोज और फिल्म की शूटिंग अधर में लटकी पड़ी हैं. कई निर्माता, कलाकार, स्टाफवर्कर कोरोना और आर्थिक मार दोनों झेल रहे हैं.
कांग्रेस पार्टी सवाल नेतृत्व का
नेतृत्व को ले कर कांग्रेस के 23 बड़े नेताओं द्वारा हाई कमान को लिखी गई चिट्ठी पर पार्टी में खूब घमासान मचा. इतिहास साक्षी है कि अनुभवी कांग्रेस ऐसी कई उठापटकों से हो कर आगे निकलती रही है. अब मुद्दा यह है कि इस विशाल राष्ट्रीय पार्टी की मिक्स्ड कल्चर वाली विचारधारा को क्या गैरगांधीनेहरु परिवार से आया कोई दूसरा नेता ढो पाएगा? जानें इस लेख में.
संविधान भक्त कोर्ट के कठघरे में
सुप्रीम कोर्ट में चला यह दिलचस्प मुकदमा है जिस में प्रशांत भूषण को 1 रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई गई या फिर 3 महीने की कैद भुगतने को कहा गया. इस मुकदमे ने कई मिथक तोड़े हैं तो कई गढ़े भी हैं. लेकिन सुप्रीम कोर्ट की लाचारी और भी ज्यादा हैरान कर देने वाली है जो अपने ही बिछाए जाल में फंसा नजर आ रहा है. पेश है अदालतों की बदहाली की पड़ताल करती खास रिपोर्ट.
सपा-बसपा-कांग्रेस ब्राह्मण वोटबैंक के बहकावे में
भाजपा द्वारा अयोध्या में राम की मूर्ति लगाने के बीच समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश में परशुराम की सब से ऊंची मूर्ति लगाने की बात क्या की कि बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस भी ब्राह्मणों को लुभाने पर उतर आईं. योगी सरकार को ब्राह्मणविरोधी बता ये पार्टियां ब्राह्मण वोटबैंक को तरहतरह से प्रभावित करने में लगी हैं.
सीनियर सिटिजन घटती आमदनी, बढ़ता खर्च
जिंदगीभर मेहनत कर बुढ़ापे के सहारे के लिए एकएक पाई बैंक में जमा की. सोचा था इस पर मिलने वाले ब्याज से सहायता मिलेगी, पर गलत आर्थिक नीतियों के शिकार बैंकों द्वारा की गई ब्याजदरों में कटौती से ब्याज आधा रह गया, जबकि महंगाई चारगुना बढ़ गई.
सुपरफूड्स बच्चों की याद्दाश्त बढ़ाएं
आज के समय में बच्चों की हर जिद के आगे पेरेंट्स को झुकना पड़ता है. उन की जिदें पूरी करना पेरेंट्स को सुकून भी देता है. पौष्टिक आहार के मामले में भी उन से लाड़ दिखाएं लेकिन उन्हें दिमागीतौर पर कमजोर न होने दें. जानें कैसे?
डाक्टर से औनलाइन परामर्श कैसे लें
औनलाइन डाक्टरी परामर्श से आप अपने मर्ज का निदान पा सकते हैं. डाक्टर की सलाह से आप पूरी तरह संतुष्ट होना चाहते हैं, तो परामर्श लेने से पहले क्या और कैसे पूछना है, यह आप को पता होना चाहिए.
राममंदिर सभी के लिए मंगलकारी नहीं
अयोध्या राममंदिर निर्माण में शिलान्यास के साथ ही दूसरे फसाद भी शुरू हो गए हैं, जो कल गुल खिलाएंगे. लेकिन आज, देश जिस हालत में है वह भी कम चिंताजनक नहीं है.दिक्कत यह है कि देश के कर्णधार ही अपनी प्राथमिकताएं निर्धारित नहीं कर पा रहे जिस से आम और खास दोनों वर्ग के लोग भ्रमित हैं. देश की धर्मभीरु सरकार भी, शायद, यही चाहती है कि लोग धर्मकर्म में उलझे रहें.
ओटीटी ने किया बौलीवुड स्क्रीनों पर कब्जा
ओटीटी प्लेटफौर्म की लगातार बढ़ती लोकप्रियता ने पहले ही बौलीवुड के स्क्रीन प्रदर्शन को चुनौती देनी शुरू कर दी थी और कोरोना वायरस के चलते जहां बौलीवुड ठप पड़ने लगा वहीं ओटीटी ने रफ्तार पकड़ ली. क्या बौलीवुड ओटीटी प्लेटफौर्स की मार से बच पाएगा?
रक्षा उत्पादों पर विदेशी निर्भरता क्यों
आत्मनिर्भरता के माने अगर केवल मंदिर बनाना है तो हम आत्मनिर्भर हो गए हैं लेकिन रक्षा उत्पादों के मामले में विदेशों की मुहताजी हमें महंगी पड़ रही है.
महेंद्र सिंह धौनी शायराना अंदाज में कहा क्रिकेट को अलविदा
कोरोना कहर के बीच महेंद्र सिंह धौनी और सुरेश रैना के संन्यास की खबरें बेचैनी को और बढ़ाने वाली हैं. इन दोनों ही खिलाड़ियों ने भारतीय क्रिकेट को ऊंचे मुकाम तक पहुंचाने में अहम योगदान दिया है. इन दोनों को नजरंदाज करना किसी के लिए भी आसान नहीं होगा क्योंकि इन की उपलब्धियों के पीछे जीत के जज्बे का सबक भी है.
सुशांत की मौत से भी अशांत बौलीवुड
सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या ने बहुत से बड़े सितारों की छवि को खराब किया है और खबरों को मनमरजी मोड़ देने वाले टीवी न्यूज चैनलों ने नारेबाजी की ताकि बड़े सितारों को कटघरों में खड़ा कर सकें. ये सितारे फुल स्क्रीन चालू होने के बाद भी अब इस कालिख को नहीं मिटा पाएंगे.
कोरोना ने बताई रिश्तों की अहमियत और असलियत
रिश्ते मजबूत होते हैं, लेकिन जब हालात बिगड़ते हैं तो वही रिश्ते संवेदनशील और नाजुक हो जाते हैं. कोरोना के समय में अकसर रिश्तों में कड़वाहट आने लगी है. कहीं आप के साथ भी तो ऐसा नहीं हो रहा है?
अमेरिका में उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार भारतीय मूल की कमला हैरिस
भारतीय मूल की कमला हैरिस की अमेरिकी उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी से दुनिया के सब से सशक्त लोकतांत्रिक देश का चुनाव और रोमांचकारी हो गया है. उदारवादी डैमोक्रेटिक पार्टी ने ट्रंप चाल चल दी है जिस की काट रिपब्लिकन पार्टी और डोनाल्ड ट्रंप नहीं ढूंढ़ पा रहे हैं. पढ़िए, इस विशेष रिपोर्ट में.
औनलाइन क्लासेज शिक्षा का मजाक
शिक्षा का व्यापारीकरण होते तो हम सभी ने बीते कई सालों में देखा है लेकिन अब जो हो रहा है वह केवल व्यापारीकरण भर नहीं है. महामारी में बच्चों को औनलाइन शिक्षा देना अच्छा सुनाई पड़ता है, परंतु असमृद्ध परिवारों के लिए यह एक नई महामारी के जन्म जैसा है.
"आत्मविश्वास है तो आप कुछ भी कर सकते हैं" विद्या बालन
अभिनेत्री विद्या बालन अपने किरदारों से जानी जाती हैं, चाहे वह 'द डर्टी पिक्चर' की सिल्क का किरदार हो या 'कहानी' की विद्या का. अपनी जर्नी के बारे में विद्या ने रोचक बातें बताईं. पेश हैं अंश.
राममंदिर के साइड इफैक्ट्स
राममंदिर निर्माण को ले कर कुछ सवर्णों को छोड़ बाकी लोगों में 30 वर्षों पहले सा उत्साह नहीं है. कुछ लोग ही दीये जला रहे हैं. ऐसा इसलिए कि देश और समाज न केवल बंट रहे हैं बल्कि आर्थिक दौड़ में पिछड़ भी रहे हैं. पेश है बदहाली और कोरोना संक्रमण के इस दौर में राममंदिर की प्रासंगिकता पर उठते कुछ सवाल बताती यह विशेष रिपोर्ट.
कोरोना वैक्सीन कब तक?
कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण और लगातार हो रही मौतों के बीच दुनिया उन डाक्टर्स, रिसर्चर्स और वैज्ञानिकों की ओर बड़ी उम्मीदों से ताक रही है जो इस का इलाज ढूंढ़ने की कोशिशों में रातदिन एक किए हुए हैं. इस वक्त दुनिया को इंतजार है तो, बस, कोरोना के वैक्सीन का, जो मौत के ब्लैकहोल में तेजी से जाती जिंदगियों को बचा ले. सब की निगाहें इसी ओर लगी हैं कि कब कोविड- 19 को खत्म करने वाली वैक्सीन बनेगी और स्थितियां सामान्य होने की ओर लौटेंगी.
लौकडाउन में बढ़े घरेलू हिंसा के मामले
घरेलू हिंसा के मामले पहले भी बड़ी संख्या में सामने आते रहे हैं लेकिन लौकडाउन के दौरान ये लगातार बढ़े हैं. आखिर इन औरतों की गलती क्या है जो अपने ही परिवार के बीच यह सुरक्षित नहीं हैं?
पुलिस की बढ़ती बर्बरता
तूतुकुड़ी पुलिस बर्बरता का हालिया मामला मन में अनगिनत सवाल खड़े करता है. जिस पुलिस को लोगों के रक्षक की भूमिका निभानी चाहिए वह भक्षक का रूप ले चुकी है. क्या यही हमारे देश का न्याय और न्यायिक प्रणाली है?