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ट्रम्प की जल्दबाजी
Outlook Hindi
|March 03, 2025
पद संभालते ही आदेशों का शुरू हुआ सिलसिला कहां ले जाएगा अमेरिका को?

डोनाल्ड ट्रम्प की सरपरस्ती में अमेरिका ने अंतरराष्ट्रीय उदारवादी तंत्र का चक्का पीछे धकेल दिया है, जिसे खुद उसने ही दूसरे विश्व युद्ध के बाद 1945 में बनाया और दुनिया भर में दौड़ाया था। अपना दूसरा कार्यकाल ट्रम्प ने जिस रफ्तार से शुरू किया है, ऐसा लगता है कि उनका समय बीतते-बीतते चार साल बाद अमेरिकी की शक्लोसूरत पूरी तरह बदली हुई होगी। पद संभालते ही कार्यकारी आदेशों की जो झड़ी उन्होंने लगाई है, वह दिखाता है कि ट्रम्प ऐसा संरक्षणवादी अमेरिका गढ़ना चाहते हैं, जिसकी सामाजिक कसौटियां गोरे ईसाइयों के हिसाब से हों। मसलन, अमेरिका की आधिकारिक नीति में अब केवल दो लिंग मान्य होंगे- पुरुष और स्त्री। यानी लंबे समय से उत्पीड़ित एलजीबीटीक्यू + समुदाय के लिए मामला घूम-फिर कर वही ढाक के तीन पात हो गया है। ट्रम्प ने ऐसे कार्यकारी आदेशों को वापस ले लिया है, जिनके तहत लड़कियों के खेलों में ट्रांसजेंडर समुदाय को हिस्सा लेने की छूट मिलती थी और सार्वजनिक स्थलों पर ट्रांसजेंडर के लिए अलग शौचालय का प्रावधान किया गया था। ट्रम्प के जनाधार के लिए ट्रांसजेंडर अधिकारों का मुद्दा अहम था क्योंकि उनके दक्षिणपंथी ईसाई और ग्रामीणकस्बाई मतदाता तीसरे लिंग के खिलाफ थे।
This story is from the March 03, 2025 edition of Outlook Hindi.
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