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वसंत का असमंजस
Outlook Hindi
|March 31, 2025
वसंत की चिंता सिर्फ ट्रम्प के कारण होती तो मुसीबत इतनी बड़ी न होती, वह दृष्टि पंचायतों, परिषदों में फैली हुई है

वसंत पंचमी के दिन लगा था कि इस बार वसंत समय पर आ पहुंचा है। आश्चर्य हुआ था कि जब हर ऋतु आगे पीछे चल रही है, तो वसंत को कैसे निर्धारित दिन याद रहा। फिर ध्यान आया कि वह ऋतुराज है, जिम्मेदारी समझता है, मनुष्य के प्रति हमदर्दी रखता है, अतः अपनी तरफ से नियम की कोताही नहीं करना चाहता। आखिर इतने बड़े-बड़े कवियों ने उसका बखान किया है, इसलिए वह हमें निराश नहीं करना चाहता.
अगले ही दिन ठंड लौट आई और मेरी सुखद कल्पना धराशायी हो गई। बगीचे में कई फूल खिल चुके थे, एकदम बैठ गए। दो-चार तितलियां भी उन पर मंडराई थीं, निराश होकर लौट गईं। मैंने सोचा, एक-दो दिन की बात है-वसंत लौटेगा, अभी तो फरवरी शुरू ही हुई है। पर ठंड लगातार चार दिन बनी रही, फिर अचानक मौसम गरमाया-इतना जैसे सीधे गरमी आ पहुंची हो। भविष्यवक्ताओं ने कहा, हमने कहा नहीं था कि इस वर्ष गरमी गहुत ज्यादा पड़ेगी?
This story is from the March 31, 2025 edition of Outlook Hindi.
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