युवाओं के सपनों के घर पर डाका

प्रा *इवेट सैक्टर में काम करने वाले 36 साल के राहुल ने बैंक से लोन ले कर दिल्ली में 2 कमरे का फ्लैट बुक कराया. बिल्डर ने उसे 2 साल बाद पजेशन देने की बात कही.
उस ने सोचा, धीरेधीरे लोन चुकता कर देगा, फिर तो यह घर उस का अपना हो जाएगा और उसे किराए के घर में नहीं रहना पड़ेगा. 2 साल बाद उसे अपने घर का पजेशन मिल गया और वह अपनी पत्नी के साथ अपने नए घर में रहने भी लगा. सबकुछ सही चल रहा था. बैंक का लोन भी वह हर महीने भर रहा था.
तभी अचानक एक दिन उस की पत्नी की तबीयत बहुत खराब हो गई, जिस के कारण उसे अपनी पत्नी को अस्पताल में भरती करवाना पड़ा, जहां डाक्टर ने कुछ टैस्ट कराए. पता चला कि उस की पत्नी की ओवरी में गांठ है और जल्द ही उस का औपरेशन करवाना पड़ेगा. इलाज तो हुआ लेकिन पत्नी की बीमारी में राहुल की सारी जमापूंजी खत्म हो गई, बल्कि उसे अपने रिश्तेदार से कर्ज भी लेना पड़ गया.
रिकवरी एजेंसियों का तकाजा
राहुल की आर्थिक स्थिति इतनी खस्ता हो गई कि वह 3 महीने अपने घर की ईएमआई नहीं भर पाया. लोन न भर पाने के कारण रिकवरी एजेंसियों का स्टाफ उस के मोबाइल पर लगातार कौल कर वसूली के लिए दबाव बनाने लगा. हर बार राहुल का यही कहना था कि अभी उसे पैसों की थोड़ी तंगी है, इसलिए पैसा आते ही वह ईएमआई चुका देगा.
लेकिन रिकवरी एजेंसी अब उसे व्हाट्सऐप कौल करने लगी. उस से भी बात न बनी तो बदतमीजी वाले मैसेज भेजने लगी. कौल पिक न करने पर रैफरेंस में लिखवाए गए उस के एक रिश्तेदार के नंबर पर कौल कर बोला गया कि अपने रिश्तेदार से कहो, फोन उठाए और लोन भरे वरना उस का घर बैंक अपने कब्जे में ले लेगा.
लेकिन वह लोन चुकाता कहां से जब उस के पास पैसे ही नहीं थे तो ? ईएमआई न चुका पाने के कारण एक दिन बैंक ने राहुल का घर सील कर दिया और राहुल अपने परिवार सहित सड़क पर आ गया.
एक मोबाइल शौप विक्रेता का कहना है कि उस की छोटी सी मोबाइल शौप थी.
वह एक बड़ी दुकान खरीद कर अपना बिजनैस बड़ा करना चाहता था, इसलिए उस ने बैंक से 20 लाख रुपए का लोन ले कर और बड़ी दुकान खरीद ली. सोचा, दुकान अच्छी चल रही है तो जल्द ही लोन चुकता कर देगा.
लेकिन उस का सोचा हुआ, हुआ नहीं, क्योंकि, वहां उस जगह पर उस के कंपीटिशन में और कई मोबाइल शौप्स खुल गईं. उस का धंधा मंदा पड़ने लगा.
This story is from the February First 2025 edition of Sarita.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the February First 2025 edition of Sarita.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In

शादी या बच्चे खुशी का पैमाना नहीं
अब तुम्हारी उम्र हो गई है शादी की, उम्र निकल गई तो अच्छी लड़की या लड़का नहीं मिलेगा, एडजस्ट करना पड़ेगा, चौइस नहीं बचेगी आदिआदि. सिर्फ पेरैंट्स ही नहीं, सोसाइटी के लोग भी ये डायलौग्स बोलबोल कर शादी का प्रैशर बनाना शुरू कर देते हैं. क्या सच में शादी के बिना जीवन व्यर्थ है?

तीये की रस्म
सब मोहमाया है लेकिन मायारामजी ने माया जिंदगीभर छोड़ी ही नहीं. लेकिन मोक्षधाम में एंट्री से वंचित न रह जाएं, इस का इंतजाम जीतेजी जरूर करवा लिया था.

बच्चों के इंस्टा अकाउंट पर रहेगी नजर
मेटा ने भारत में इंस्टाग्राम किशोर अकाउंट नीतियों में बदलाव की घोषणा की है. नए नियमों के तहत बच्चों और किशोरों के लिए सुरक्षा उपाय बढ़ाए जाएंगे.

तार्किक लोगों के श्मशान घाट
कहने वाले गलत नहीं कहते कि मौत का खौफ आदमी को चैन और सुकून से जीने भी नहीं देता. कैसेकैसे होते हैं ये डर और कौन इन्हें फैलाता है, यह जानते समझते हुए भी लोग खामोश रहते हैं.

क्या छोटे दलों को लील जाएगी भाजपा
बड़ी मछली मछली मछली को खा जाती है..छोटी राजनीति में भी बड़े दल पहले छोटे दलों को लोलीपोप देते हैं, फिर उन को खत्म कर देते हैं. भाजपा अब बड़ी मछली बन कर छोटे दलों को खा रही है.

फ्लैट कल्चर और आप की प्राइवेसी
बढ़ती जनसंख्या ने जगह तंग कर दी है. अब लोग आगेपीछे, दाएंबाएं फैलने की जगह ऊपर की तरफ बढ़ रहे हैं. कहने का अर्थ यह कि अब रहने के लिए घर नहीं बल्कि फ्लैट अधिक बन रहे हैं. ऊंचीऊंची बिल्डिंगों में कबूतरखाने हैं, जहां प्राइवेसी का नामोनिशान नहीं.

मुसलिम लड़कों की शादी में अड़चन क्यों
20 साल पहले तक मुसलिम समाज में आपसी शादियों का प्रचलन जोरों पर था. गरीब हो या अमीर, मुसलमानों के बीच खून के रिश्तों में निकाह हो जाना आम बात थी. मगर अब यह चलन कम होता जा रहा है और मुसलिम शादियों में भी कई तरह की अड़चनें आने लगी हैं.

नींद की गोलियां इतनी भी नुकसानदेह नहीं
आजकल हर कोई नींद न आने की समस्या से ग्रस्त और त्रस्त है जिस की अपनी अलग अलग वजहें भी हैं. लेकिन नींद की गोली से सभी बचने की हर मुमकिन कोशिश करते हैं. इस के पीछे पूर्वाग्रह ही हैं नहीं तो नींद की गोली उतनी बुरी भी नहीं.

रोने को हथियार न बनाएं
कुछ लोगों के लिए रोना अपने इमोशन, दुख को एक्सप्रैस करने का एक जरिया होता है तो कुछ लोग जानबूझ कर रोते हैं ताकि सामने वाला उन्हें गंभीरता से सुने और उन की इच्छा पूरी हो.

पति भी पत्नी के खिलाफ कर सकता है शिकायत
जिस तरह ससुराल से प्रताड़ित महिला को कानूनों से हक मिले हुए हैं वैसे ही पुरुष को भी मिले हैं. पति भी पत्नी की प्रताड़ना की शिकायत करा सकते हैं.