Panchjanya - March 05, 2023Add to Favorites

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इस्लाम और इंटरनेट
स्लाम में एक नया चलन शुरू हुआ है- इस्लाम को नए सिरे से पेश करने का, इस्लाम के बारे में नए तर्क और नए तथ्य पेश करने का। एक स्पष्ट बेचैनी है, लेकिन किस कारण है? इसी हड़बड़ी में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के 34वें अधिवेशन में अरशद मदनी ने भारत को इस्लाम का जन्म स्थान और इस्लाम को भारत का सबसे पुराना मजहब बता दिया। प्रश्न है कि उलेमा इस्लाम के बारे में नई-नई बातें करने के लिए हड़बड़ी में क्यों हैं? क्या यह दबाव इस्लामी बिरादरी के भीतर चल रही हलचल के कारण है?

इस्लाम और इंटरनेट

इस्लाम भले ही अपने तर्क और तथ्य लोगों के सामने पेश कर रहा हो, लेकिन दुनिया भर में बड़ी संख्या में मुसलमानों की नई पीढ़ी इस्लाम छोड़ रही है। इंटरनेट युग में खुल कर युवा सामने आ रहे हैं। इसे लेकर इस्लाम के मरकजों में अंदरखाने बेचैनी है

इस्लाम और इंटरनेट

10 mins

मजहब से अब नहीं मतलब

दुनिया भर में बड़ी संख्या मुसलमान इस्लाम छोड़ रहे हैं। खासकर, केरल में तो बीते कुछ वर्षों में इस्लाम त्यागने वालों की संख्या काफी बढ़ी है। लेकिन मजहब से नाता तोड़ने वालों को शारीरिक, मानसिक और सामाजिक यातनाएं झेलनी पड़ती हैं। अब ऐसे लोगों के पीछे ‘एक्स मुस्लिम्स ऑफ केरल' नामक संगठन मजबूती से खड़ा है

मजहब से अब नहीं मतलब

7 mins

विषबेल की नर्सरी

जॉर्ज सोरोस भारत का ऐसा शत्रु है, जो परदे के पीछे से हमले करता है। भारत सहित दुनिया भर के मीडिया संस्थानों में फेक न्यूज के धंधे के पीछे उसी का हाथ है । वह देश में कठपुतली सरकार चाहता है, जो उसके इशारों पर चले

विषबेल की नर्सरी

5 mins

धर्मस्थलों की निखरेगी सूरत

कर्नाटक में बसवराज बोम्मई की सरकार ने मठ-मंदिरों के पुनरुद्धार के लिए बजट में 1,000 करोड़ रुपये की व्यवस्था की है। इसमें संदेह नहीं है कि कर्नाटक की भाजपा सरकार राज्य के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व के स्थलों को निखारने के लिए संकल्पबद्ध दिखती है

धर्मस्थलों की निखरेगी सूरत

5 mins

दुनिया के आसमान में भारतीय उड़ान

अमेरिकी विमानन कंपनी बोइंग और फ्रांस की एयरबस के साथ एयर इंडिया ने 80 अरब डॉलर का करार किया है। इसमें 470 छोटे-बड़े विमानों की खरीद शामिल है। साथ ही, 350 अतिरिक्त विमानों की खरीद का विकल्प भी है। विमानन क्षेत्र के इस सबसे बड़े सौदे से सन्न दुनिया

दुनिया के आसमान में भारतीय उड़ान

5 mins

पाप कांग्रेस का, धो रही है भाजपा

सोनिया- मनमोहन सरकार ने 2014 में लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद एक राजपत्र जारी कर दिल्ली की 123 संपत्तियों को वक्फ बोर्ड को देने का निर्णय लिया था। भारत सरकार ने उन्हें अपने पास ही रखने का फैसला लिया है

पाप कांग्रेस का, धो रही है भाजपा

6 mins

लोकजागरण के लिए लोकोत्सव

जनसाधारण को जलवायु परिवर्तन और बढ़ते वैश्विक तापमान से परिचित कराने के लिए कोल्हापुर में पंचमहाभूत लोकोत्सव का आयोजन हुआ। इसमें बड़ी संख्या में जनसामान्य के साथ पर्यावरणविदों ने भाग लिया

लोकजागरण के लिए लोकोत्सव

2 mins

शिंदे बने बाला साहेब के वारिस

चुनाव आयोग ने शिवसेना की बागडोर के साथ पार्टी चुनाव चिह्न भी एकनाथ शिंदे गुट के सुपुर्द किया। अर्थात् आयोग ने उन्हें बाला साहेब ठाकरे का वारिस माना। इससे उद्धव के सामने पैदा हुआ अस्तित्व का संकट

शिंदे बने बाला साहेब के वारिस

4 mins

ऐसे हुआ 'शून्य' का आविष्कार

'आग' और 'पहिए' के विकास के बाद ‘शून्य' का एक संख्या के रूप में प्रयोग करना के बौद्धिक विकास की क्रांतिकारी खोज था

ऐसे हुआ 'शून्य' का आविष्कार

5 mins

स्वरोजगार में जुटे शरणार्थी

दिल्ली में रहने वाले 58 पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों को कई सेवाभावी संगठनों की ओर से रोजगार के लिए दी गई मदद । कोई सब्जी, तो कोई फल, तो कोई बेच रहा है कचौरी

स्वरोजगार में जुटे शरणार्थी

4 mins

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Panchjanya Magazine Description:

EditorBharat Prakashan (Delhi) Limited

CategoríaPolitics

IdiomaHindi

FrecuenciaWeekly

स्वतंत्रता प्राप्ति के तुरन्त बाद 14 जनवरी, 1948 को मकर संक्राति के पावन पर्व पर अपने आवरण पृष्ठ पर भगवान श्रीकृष्ण के मुख से शंखनाद के साथ श्री अटल बिहारी वाजपेयी के संपादकत्व में 'पाञ्चजन्य' साप्ताहिक का अवतरण स्वाधीन भारत में स्वाधीनता आन्दोलन के प्रेरक आदशोंर् एवं राष्ट्रीय लक्ष्यों का स्मरण दिलाते रहने के संकल्प का उद्घोष ही था।

अटल जी के बाद 'पाञ्चजन्य' के सम्पादक पद को सुशोभित करने वालों की सूची में सर्वश्री राजीवलोचन अग्निहोत्री, ज्ञानेन्द्र सक्सेना, गिरीश चन्द्र मिश्र, महेन्द्र कुलश्रेष्ठ, तिलक सिंह परमार, यादव राव देशमुख, वचनेश त्रिपाठी, केवल रतन मलकानी, देवेन्द्र स्वरूप, दीनानाथ मिश्र, भानुप्रताप शुक्ल, रामशंकर अग्निहोत्री, प्रबाल मैत्र, तरुण विजय, बल्देव भाई शर्मा और हितेश शंकर जैसे नाम आते हैं। नाम बदले होंगे पर 'पाञ्चजन्य' की निष्ठा और स्वर में कभी कोई परिवर्तन नहीं आया, वे अविचल रहे।

किन्तु एक ऐसा नाम है जो इस सूची में कहीं नहीं है, परन्तु वह इस सूची के प्रत्येक नाम का प्रेरणा-स्रोत कहा जा सकता है जिसने सम्पादक के रूप में अपना नाम कभी नहीं छपवाया, किन्तु जिसकी कल्पना में से 'पाञ्चजन्य' का जन्म हुआ, वह नाम है पं. दीनदयाल उपाध्याय।

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