Panchjanya - February 12, 2023Add to Favorites

Panchjanya - February 12, 2023Add to Favorites

Obtén acceso ilimitado con Magzter ORO

Lea Panchjanya junto con 9,000 y otras revistas y periódicos con solo una suscripción   Ver catálogo

1 mes $9.99

1 año$99.99 $49.99

$4/mes

Guardar 50%
Hurry, Offer Ends in 15 Days
(OR)

Suscríbete solo a Panchjanya

comprar esta edición $0.99

Subscription plans are currently unavailable for this magazine. If you are a Magzter GOLD user, you can read all the back issues with your subscription. If you are not a Magzter GOLD user, you can purchase the back issues and read them.

Regalar Panchjanya

En este asunto

#पाञ्चजन्य विशेष्
बजट के रहस्य
वित्त मंत्री की जुबानी
इस बार के बजट की विशेषताओं की चर्चा बहुत कुछ आंखों पर पट्टी बांध कर हाथी को देखने जैसी रही। किसी को यह चुनावी बजट नजर आया, तो किसी को इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र को दी गई बढ़त दिखाई
दी।कृषि का पहलू तो अपने स्थान पर है ही।क्या कोई ऐसी भी बात थी, जो वास्तव में इन सारी बातों
का आपस में पिरोए हुई थी ? पाञ्चजन्य ने इस विषय पर बजट के उपरांत वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला
सीतारमण से हर संभव पहलू से बात की।स्वयं वित्त मंत्री की दृष्टि में वह सूत्र क्या था...देखिए इस
विशेष प्रस्तुति में...

अमृतकाल का पहला बजट - विकसित भारत की नींव

इस बार के बजट की विशेषताओं की चर्चा बहुत कुछ आंखों पर पट्टी बांधकर हाथी को देखने जैसी रही। किसी को यह चुनावी बजट नजर आया, तो किसी को इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र को दी गई बढ़त दिखाई दी। कृषि का पहलू तो अपने स्थान पर है ही। क्या कोई ऐसी भी बात थी, जो वास्तव में इन सारी बातों का आपस में पिरोए हुए थी ? पाञ्चजन्य ने इस विषय पर बजट के उपरांत वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण से हर संभव पहलू बात की। स्वयं वित्त मंत्री की दृष्टि में वह सूत्र क्या था... देखिए इस विशेष प्रस्तुति में...

अमृतकाल का पहला बजट - विकसित भारत की नींव

6 mins

सुनहरे भविष्य वाला चमकता सितारा भारत

मोदी शासन के जिम्मेदारी भरे बजट ने समावेशी आर्थिक समृद्धि और वैश्विक महत्वाकांक्षा के साथ उस 'नए भारत' की नींव रखी है, जो अपनी स्वाधीनता के सौवें वर्ष में साकार होगा। यह बजट 'अमृत काल' को सबसे अच्छे ढंग से रेखांकित करता है।

सुनहरे भविष्य वाला चमकता सितारा भारत

5 mins

श्री अन्नः खेती का नया मंत्र

केंद्र सरकार किसानों, कृषि में निवेश के लिए नई तकनीक, उपकरण के साथ अब मोटा अनाज उपजाने पर भी जोर दे रही है। यह आर्थिक दृष्टि से न केवल किसानों, बल्कि स्वास्थ्य की दृष्टि से देशवासियों के लिए भी लाभकारी है

श्री अन्नः खेती का नया मंत्र

5 mins

सनातन शक्ति का साक्षात्कार

जलगांव में आयोजित बंजारा, लबाना, नायकड़ा कुंभ में बड़ी संख्या में इन वर्गों के लोगों ने हिस्सा लेकर सनातन शक्ति का परिचय दिया। सबने यह संकल्प भी लिया कि हम सब हिंदू हैं और हिदू ही रहेंगे

सनातन शक्ति का साक्षात्कार

4 mins

नीति में खोट, नदियों पर चोट

वर्ष 2018 तक बिहार की 6 नदियां प्रदूषित थीं, लेकिन 2022 में इसमें तीन गुना वृद्धि हुई। नतीजतन, 2022 तक राज्य की 18 नदियों का पानी जहरीला हो गया, लेकिन राज्य सरकार अभी इस पर ध्यान नहीं दे रही

नीति में खोट, नदियों पर चोट

5 mins

रामचरितमानस जलाने वाले

सोशल मीडिया - भारतीय जीवनधारा में अग्नि को पवित्र माना गया है। यहां किसी जीवंत वस्तु, सत्ता, प्राणी को जलाया नहीं जाता। कें जलाई गईं। रामचरितमानस जलाने वाले राजनीतिक हथकंडेबाज हैं, जिनके पास न तो ग्रंथ को समझने की है, उसकी बौद्धिक काट। ये अपने गुरु पेरियार के पदचिह्न पर चल रहे हैं।

रामचरितमानस जलाने वाले

2 mins

हिमालयी क्षेत्र से अटल जी को था विशेष लगाव

अटल जी का हृदय उत्तर-पूर्व से लेकर उत्तर-पश्चिम तक सम्पूर्ण हिमालयी क्षेत्र के लिए अतीव प्रेम से आपूरित रहता था। उत्तराखण्ड को राज्य बनाने की बात हो, या वहां के लिए विशेष पैकेज, अटल जी ने सदैव अत्यंत सहजता से कदम बढ़ाए

हिमालयी क्षेत्र से अटल जी को था विशेष लगाव

5 mins

ग्वादर के समंदर में उफान के मायने

ग्वादर इन दिनों सुर्खियों में है क्योंकि वहां एक बड़ा आंदोलन चल रहा है। लेकिन इस आंदोलन में उतना ही नहीं है, जितना दिख रहा है। इसमें अलग-अलग धाराएं काम कर रही हैं और सबके अपने-अपने हित

ग्वादर के समंदर में उफान के मायने

5 mins

Leer todas las historias de Panchjanya

Panchjanya Magazine Description:

EditorBharat Prakashan (Delhi) Limited

CategoríaPolitics

IdiomaHindi

FrecuenciaWeekly

स्वतंत्रता प्राप्ति के तुरन्त बाद 14 जनवरी, 1948 को मकर संक्राति के पावन पर्व पर अपने आवरण पृष्ठ पर भगवान श्रीकृष्ण के मुख से शंखनाद के साथ श्री अटल बिहारी वाजपेयी के संपादकत्व में 'पाञ्चजन्य' साप्ताहिक का अवतरण स्वाधीन भारत में स्वाधीनता आन्दोलन के प्रेरक आदशोंर् एवं राष्ट्रीय लक्ष्यों का स्मरण दिलाते रहने के संकल्प का उद्घोष ही था।

अटल जी के बाद 'पाञ्चजन्य' के सम्पादक पद को सुशोभित करने वालों की सूची में सर्वश्री राजीवलोचन अग्निहोत्री, ज्ञानेन्द्र सक्सेना, गिरीश चन्द्र मिश्र, महेन्द्र कुलश्रेष्ठ, तिलक सिंह परमार, यादव राव देशमुख, वचनेश त्रिपाठी, केवल रतन मलकानी, देवेन्द्र स्वरूप, दीनानाथ मिश्र, भानुप्रताप शुक्ल, रामशंकर अग्निहोत्री, प्रबाल मैत्र, तरुण विजय, बल्देव भाई शर्मा और हितेश शंकर जैसे नाम आते हैं। नाम बदले होंगे पर 'पाञ्चजन्य' की निष्ठा और स्वर में कभी कोई परिवर्तन नहीं आया, वे अविचल रहे।

किन्तु एक ऐसा नाम है जो इस सूची में कहीं नहीं है, परन्तु वह इस सूची के प्रत्येक नाम का प्रेरणा-स्रोत कहा जा सकता है जिसने सम्पादक के रूप में अपना नाम कभी नहीं छपवाया, किन्तु जिसकी कल्पना में से 'पाञ्चजन्य' का जन्म हुआ, वह नाम है पं. दीनदयाल उपाध्याय।

  • cancel anytimeCancela en cualquier momento [ Mis compromisos ]
  • digital onlySolo digital