अचानक उस की कान की एक बाली खुल कर गिर गई. स्वस्ति उस पर फिसल कर फर्श पर गिर गई. श्रोता सदमे से आह भरने लगे, लेकिन संगीत बंद नहीं हुआ. स्वस्ति ने उठकर अपना बाकी प्रदर्शन उसी ऊर्जा के साथ पूर्ण किया, जिस के साथ उस ने शुरुआत की थी. "बैवो, शाबाश," जैसे ही स्वस्ति ने अपना प्रदर्शन पूरा करते हुए अंतिम पोज दिया, दर्शक खुशी से झूमते हुए उस की प्रशंसा में चिल्लाने लगे.
"ओह, यह बहुत अनुचित है. मेरे साथ ऐसा क्यों हुआ?" स्वस्ति पैर पर चढ़े प्लास्टर को देख कर बड़बड़ाने लगी. वे डाक्टर के यहां से लौट रहे थे. गिरने और उस के बाद नृत्य करते रहने से उस के पैर में छोटा सा फ्रैक्चर हो गया था और डाक्टर ने शीघ्र ही उसे स्वस्थ होने के लिए बिस्तर पर आराम करने की सलाह दी थी.
"बेटा, जो अधिक महत्त्वपूर्ण है, वह है कि तुम ने मौके का फायदा उठाया और अपने दर्द को नजरअंदाज कर शानदार प्रदर्शन किया. यह सब से महान गुण है, स्वस्ति. मुझे तुम पर गर्व है," मम्मी ने स्वस्ति की पीठ सहलाते हुए सांत्वना देते हुए कहा.
"अगले सप्ताह मेरी गणित की परीक्षा है. मैम को अभी भी कुछ चैप्टर पूरे करने हैं, अगर मैं स्कूल नहीं गई तो वह छूट जाएंगे," स्वस्ति आने वाले सप्ताह को ले कर परेशान थी.
"कोई बात नहीं स्वस्ति. मैं जानती हूं कि तुम इस का सामना कर सकती हो. इसे खुद के अध्ययन से पूर्ण कर सकती हो इस बाधा को स्वयं को प्रशिक्षित करने के अवसर के रूप में देखो," मम्मी ने उसे आश्वस्त किया.
"ओह मम्मी, किसी न किसी तरह आप हर चीज को हमेशा एक नया मोड़ दे देती हैं और उसे एक अवसर में बदल देती हैं," स्वस्ति ने कहा. "वे कब तक प्लास्टर हटाएंगे?" उस ने पूछा.
"शायद एक या दो महीने, यह तुम्हारे उपचार पर निर्भर करता है. मैं बहुत निश्चित नहीं हूं," उस की झूठा वादा नहीं करना चाहती थीं.
"क्या? आने वाले दो सप्ताह में क्रिकेट टीम में मेरा राष्ट्रीय स्तर पर चयन होने वाला है. मैं इसे किसी भी तरह नहीं छोड़ सकती. नहीं, बिलकुल भी नहीं, इसे छोड़ना संभव नहीं है," स्वस्ति ने रोते हुए कहा.
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