लेकिन जब से लोगों की जिंदगी में स्मार्ट फोन ने अपनी दखलअंदाजी बढ़ाई है और सोशल मीडिया हम पर हावी हुआ है, तब से गांवदेहात और शहरों के गरीब नौजवानों खासकर लड़कियों के मानो अरमानों को नए पंख लग गए हैं. इस में 'टिकटौक', 'यूट्यूब', 'इंस्टाग्राम' और सोशल मीडिया के दूसरे तमाम साधनों ने बहुत बड़ा रोल निभाया है.
एक उदाहरण से इस बात को समझते हैं. वायरल हुए एक वीडियो में एक लड़की चूल्हे पर रोटी पकाते हुए दिखाई दे रही थी. वह कोई खास पकवान नहीं बना रही थी, बल्कि उस लड़की को लोगों ने इसलिए देखा क्योंकि वह बला की खूबसूरत थी, साथ ही उस की मासूमियत भी खास थी और लोग उसे फिल्म की हीरोइन तक बता रहे थे. वह वीडियो इतना ज्यादा वायरल हुआ कि लड़की अचानक से फेमस हो गई.
अगर उस वीडियो को ध्यान से देखें, तो वह लड़की एक खुली जगह पर बैठी थी, जो किसी गांव का इलाका लग रहा था और पीछे कुत्ते तक घूमते दिखाई दे रहे थे. बिना नहाए, मैलेकुचैले कपड़े पहने कुछ बच्चे किसी पाइप पर उलटे लटके हुए थे. और ज्यादा पीछे देखें तो घर भी कच्चेपक्के से थे, मतलब ठेठ देहाती इलाका.
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