अनीता ससुराल में कुल 4 महीने ही रह पाई थी कि उस के पति की एक सड़क हादसे में मौत हो गई. ससुराल वाले उसे इस बात के लिए ताना देते कि उस के कदम घर में पड़ते ही उन का बेटा दुनिया छोड़ गया.
ससुराल वालों के तानों से परेशान हो कर अनीता अपने पिता के घर पर रहने लगी. उस की हालत देख कर मां के मन में कई बार अपनी लड़की की फिर से शादी करने का विचार आता, पर वे अनीता के पिता से कभी इस का जिक्र नहीं कर सकीं.
अनीता की मां जानती थीं कि जातिबिरादरी की दकियानूसी परंपराओं के चलते अनीता के पिता कभी उस की दोबारा शादी के लिए तैयार नहीं होंगे.
इस घटना को 20 साल हो चुके हैं. तब से ले कर अब तक अनीता अपने पिता के घर पर अपनी पहाड़ सी जिंदगी बिताने को मजबूर है, दिनभर वह नौकरों की तरह घर के काम में लगी रहती है और अपनी कोई ख्वाहिश किसी के सामने जाहिर नहीं होने देती.
अनीता जैसी न जाने कितनी विधवा न लड़कियां हैं, जो सामाजिक रीतिरिवाजों के चलते जिंदगी की खुशियों से दूर हैं. ऊंची जातियों में फैली इन कुप्रथाओं को देख कर तो लगता है कि जिन जातियों को समाज में नीचा समझा जाता है, वे इन मामलों में कहीं बेहतर हैं.
हमारे देश में चल रही वर्ण व्यवस्था में ऊंची जाति के ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य भले ही दलितों को हिकारत की नजर से देखते हों, पर कम पढ़ेलिखे इन दलितों की सोच पढ़ेलिखे ऊंची जाति के ठेकेदारों से कहीं अच्छी है.
16 फरवरी, 2021 को संत रैदास जयंती पर दलित समाज के लोगों द्वारा कराई गई एक शादी की चर्चा करना बेहद जरूरी है.
मध्य प्रदेश के गाडरवारा में रहने वाले छिदामी लाल अहिरवार की 26 साल की बेटी ज्योति के पति की मौत अप्रैल, 2021 में कोरोना की तीसरी लहर में हो गई थी.
ज्योति के पति राजन प्राइवेट स्कूल में टीचर थे. उन की मौत के बाद ज्योति अपने बेटे को ले कर अपने पिता के पास रहने लगी.
पिता छिदामी लाल पेशे से सरकारी स्कूल में चपरासी हैं, पर उन की सोच बड़ी है. उन्हें अपनी बेटी के भविष्य की चिंता थी. उन्होंने सोचसमझ कर समाज के लोगों के बीच उस की दूसरी शादी की चर्चा की, तो शिक्षक वंशीलाल अहिरवार, मानक लाल मनु ने छिदामी लाल की इस पहल की तारीफ की.
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