गरमी और बारिश के मौसम में इस के पौधों का अच्छा विकास होता है. इस के कंद में प्रमुख रूप से स्टार्च एवं पत्तियों में विटामिन ए, कैल्शियम, फास्फोरस और आयरन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है.
भूमि एवं जलवायु: अरबी की खेती के लिए उचित जल निकास वाली बलुई दोमट भूमि सब से उपयुक्त मानी जाती है, जिस का पीएच मान 5.5 से 7 के मध्य हो.
उष्ण एवं समशीतोष्ण जलवायु अरबी की खेती के लिए उपयुक्त मानी जाती है. अधिक गरमी और सर्द जलवायु इस के पौधों के लिए हानिकारक होती है.
सर्दियों के मौसम में पाला से पौधों की बढ़वार रुक जाती है. अरबी के कंद 20 से 25 डिगरी सैल्सियस तापमान में अच्छी वृद्धि करते हैं.
खेत की तैयारी व उर्वरक प्रबंधन: अरबी की रोपाई से पूर्व खेत को मिट्टी पलटने वाले हल से गहरी जुताई करनी चाहिए. इस से खेत में मौजूद पुराने फसल अवशेष पूरी तरह से नष्ट हो जाएं. इस के बाद खेत में 200 से 250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर सड़ी गोबर की खाद अवश्य मिला दें. इस के पश्चात 2-3 जुताई कल्टीवेटर से कर के मिट्टी भुरभुरी बना लेनी चाहिए.
बोआई से पूर्व प्रति हेक्टेयर 40 किलोग्राम नाइट्रोजन, 50 किलोग्राम फास्फोरस एवं 60 किलोग्राम पोटाश का प्रयोग करें और पौधों के विकास के समय रोपाई के 60 दिन बाद खेत में सिंचाई करते समय 20 से 25 किलोग्राम यूरिया का टौप ड्रैसिंग के रूप में प्रयोग करने से अच्छा उत्पादन मिलता है.
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फार्म एन फूड की ओर से सम्मान पाने वाले किसानों को फ्रेम कराने लायक यादगार भेंट
उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड
'चाइल्ड हैल्प फाउंडेशन' के अधिकारी हुए सम्मानित
भारत में काम करने वाली संस्था 'चाइल्ड हैल्प फाउंडेशन' से जुड़े 3 अधिकारियों संस्थापक ट्रस्टी सुनील वर्गीस, संस्थापक ट्रस्टी राजेंद्र पाठक और प्रोजैक्ट हैड सुनील पांडेय को गरीबी उन्मूलन और जीरो हंगर पर काम करने के लिए 'फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड' से नवाजा गया.
लखनऊ में हुआ उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के किसानों का सम्मान
पहली बार बड़े लैवल पर 'फार्म एन फूड' पत्रिका द्वारा राज्य स्तरीय 'फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड' का आयोजन लखनऊ की संगीत नाटक अकादमी में 17 अक्तूबर, 2024 को किया गया, जिस में उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड से आए तकरीबन 200 किसान शामिल हुए और खेती में नवाचार और तकनीकी के जरीए बदलाव लाने वाले तकरीबन 40 किसानों को राज्य स्तरीय 'फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड' से सम्मानित किया गया.
बढ़ेगी मूंगफली की पैदावार
महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने 7 अक्तूबर, 2024 को मूंगफली पर अनुसंधान एवं विकास को उत्कृष्टता प्रदान करने और किसानों की आय में वृद्धि करने हेतु मूंगफली अनुसंधान निदेशालय, जूनागढ़ के साथ समझौतापत्र पर हस्ताक्षर किए.
खाद्य तेल के दामों पर लगाम, एमआरपी से अधिक न हों दाम
केंद्र सरकार के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) के सचिव ने मूल्य निर्धारण रणनीति पर चर्चा करने के लिए पिछले दिनों भारतीय सौल्वेंट ऐक्सट्रैक्शन एसोसिएशन (एसईएआई), भारतीय वनस्पति तेल उत्पादक संघ (आईवीपीए) और सोयाबीन तेल उत्पादक संघ (सोपा) के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की अध्यक्षता की.
अक्तूबर महीने में खेती के खास काम
यह महीना खेतीबारी के नजरिए य से बहुत खास होता है इस महीने में जहां खरीफ की अधिकांश फसलों की कटाई और मड़ाई का काम जोरशोर से किया जाता है, वहीं रबी के सीजन में ली जाने वाली फसलों की रोपाई और बोआई का काम भी तेजी पर होता है.
किसान ने 50 मीट्रिक टन क्षमता का प्याज भंडारगृह बनाया
रकार की मंशा है कि खेती लाभ का धंधा बने. इस के लिए शासन द्वारा किसान हितैषी कई योजनाएं चलाई जा रही हैं.
खेती के साथ गौपालन : आत्मनिर्भर बने किसान निर्मल
आचार्य विद्यासागर गौ संवर्धन योजना का लाभ ले कर उन्नत नस्ल का गौपालन कर किसान एवं पशुपालक निर्मल कुमार पाटीदार एक समृद्ध पशुपालक बन गए हैं.
जीआई पंजीकरण से बढ़ाएं कृषि उत्पादों की अहमियत
हमारे देश में कृषि से जुड़ी फल, फूल और अनाज की ऐसी कई किस्में हैं, जो केवल क्षेत्र विशेष में ही उगाई जाती हैं. अगर इन किस्मों को उक्त क्षेत्र से इतर हट कर उगाने की कोशिश भी की गई, तो उन में वह क्वालिटी नहीं आ पाती है, जो उस क्षेत्र विशेष \" में उगाए जाने पर पाई जाती है.
पराली प्रबंधन पर्यावरण के लिए जरूरी
मौजूदा दौर में पराली प्रबंधन का मुद्दा खास है. पूरे देश में प्रदूषण का जहर लोगों की जिंदगी तबाह कर रहा है और प्रदूषण का दायरा बढ़ाने में पराली का सब से ज्यादा जिम्मा रहता है. सवाल उठता है कि पराली के जंजाल से कैसे निबटा जाए ?