खेतीकिसानी के लिहाज से यह खासा खुशगवार महीना होता है. खेतीबारी के हिसाब से सितंबर महीने में आलू बोए जाते है. आइए, गौर करते हैं सितंबर महीने में होने वाली खेतीकिसानी संबंधी गतिविधियों पर :
• अगर बारिश न हो, तो गन्ने की सिंचाई का खयाल रखें. अगर ज्यादा पानी बरस जाए और खेतों में पानी भर जाए, तो उसे निकालना बेहद जरूरी है, वरना गन्ने की फसल पर बुरा असर पड़ेगा.
• इस बीच गन्ने के पौधे खासा बड़े हो जाते हैं. लिहाजा, उन का ज्यादा खयाल रखना पड़ता है. ये मध्यम आकार के पौधे तीखी हवाओं को बरदाश्त नहीं कर पाते, इसलिए उन्हें गिरने से बचाने का इंतजाम करना चाहिए.
• गन्ने के पौधों को ठीक से देखें और बीमारी की चपेट में आए पौधों को जड़ से उखाड़ दें. इन बीमार पौधों को या तो जमीन में गहरा गड्ढा खोद कर गाड़ दें या फिर उन्हें जला कर नष्ट कर दें.
• धान के खेतों की जांच करें और पानी न बरसने की हालत में जरूरत के मुताबिक सिंचाई करें. अगर पानी ज्यादा बरसे और धान के खेतों में भर जाए, तो उसे निकालने का इंतजाम करें.
• धान के खेतों में अगर गंधी बग कीट का प्रकोप नजर आए, तो उस की रोकथाम के लिए 5 फीसदी मैलाथियान के घोल को फसल पर छिड़कें. कीटों के अलावा बीमारी का भी खतरा रहता है. रोगों के लिहाज से भी धान की देखभाल जरूरी होती है.
• देर से तैयार होने वाली धान की किस्मों के खेतों में अभी तक नाइट्रोजन की बची मात्रा नहीं डाली गई हो, तो उसे जल्दी से जल्दी डालें.
• कीटों के लिहाज से भी अरहर के खेतों की जांच करें. यदि फलीछेदक कीट का हमला दिखाई दे, तो रोकथाम करें.
• सोयाबीन के खेतों का जायजा लें और देखें कि खेत की सतह सूखी तो नहीं है. अगर ऐसा हो तो खेत की बाकायदा सिंचाई करें. दरअसल, फसल में फूल आने व फलियां तैयार होने के दौरान खेत में नमी होना जरूरी है.
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