पहला, मुख्य पोषक तत्त्व और दूसरा, सूक्ष्म पोषक तत्त्व. सूक्ष्म पोषक तत्त्व ऐसे पोषक तत्त्व हैं, जो पौधों की वृद्धि के लिए जरूरी है, लेकिन प्राथमिक पोषक तत्त्वों (नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटैशियम) की तुलना में बहुत कम मात्रा में जरूरी है. जरूरी सूक्ष्म पोषक तत्त्वों में जस्ता, बोरान, कौपर, आयरन, मैंगनीज, मौलिब्डेनम आदि शामिल हैं.
सूक्ष्म पोषक तत्त्व पौधों की वृद्धि, चयापचय और प्रजनन चरण को काफी प्रभावित करते हैं. हाल के वर्षों में भारतीय मृदा में सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की व्यापक कमी दिनोंदिन बढ़ती जा रही है. नतीजतन, फसल की पैदावार में काफी कमी हुई है.
संकर और उच्च उपज देने वाली किस्म का चयन मृदा से सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की उच्च मात्रा को हटाता है और पौधों के सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की मांग को बढ़ाता है. मृदा परीक्षण और पौधों के विश्लेषण के उपयोग के माध्यम से कई मृदाओं में इन सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की कमी को सत्यापित किया गया है.
कैसे करें सूक्ष्म पोषक तत्त्वों का प्रयोग
सूक्ष्म पोषक तत्त्वों को बोआई से पूर्व या खड़ी फसल में प्रयोग कर सकते हैं. मृदा परीक्षण के आधार पर पोषक तत्त्वों की निर्धारित मात्रा को बारीक रेत में मिला कर बोआई से पूर्व खेत में एकसमान छिड़क दें.
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बढ़ेगी मूंगफली की पैदावार
महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने 7 अक्तूबर, 2024 को मूंगफली पर अनुसंधान एवं विकास को उत्कृष्टता प्रदान करने और किसानों की आय में वृद्धि करने हेतु मूंगफली अनुसंधान निदेशालय, जूनागढ़ के साथ समझौतापत्र पर हस्ताक्षर किए.
खाद्य तेल के दामों पर लगाम, एमआरपी से अधिक न हों दाम
केंद्र सरकार के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) के सचिव ने मूल्य निर्धारण रणनीति पर चर्चा करने के लिए पिछले दिनों भारतीय सौल्वेंट ऐक्सट्रैक्शन एसोसिएशन (एसईएआई), भारतीय वनस्पति तेल उत्पादक संघ (आईवीपीए) और सोयाबीन तेल उत्पादक संघ (सोपा) के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की अध्यक्षता की.
अक्तूबर महीने में खेती के खास काम
यह महीना खेतीबारी के नजरिए य से बहुत खास होता है इस महीने में जहां खरीफ की अधिकांश फसलों की कटाई और मड़ाई का काम जोरशोर से किया जाता है, वहीं रबी के सीजन में ली जाने वाली फसलों की रोपाई और बोआई का काम भी तेजी पर होता है.
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रकार की मंशा है कि खेती लाभ का धंधा बने. इस के लिए शासन द्वारा किसान हितैषी कई योजनाएं चलाई जा रही हैं.
खेती के साथ गौपालन : आत्मनिर्भर बने किसान निर्मल
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जीआई पंजीकरण से बढ़ाएं कृषि उत्पादों की अहमियत
हमारे देश में कृषि से जुड़ी फल, फूल और अनाज की ऐसी कई किस्में हैं, जो केवल क्षेत्र विशेष में ही उगाई जाती हैं. अगर इन किस्मों को उक्त क्षेत्र से इतर हट कर उगाने की कोशिश भी की गई, तो उन में वह क्वालिटी नहीं आ पाती है, जो उस क्षेत्र विशेष \" में उगाए जाने पर पाई जाती है.
पराली प्रबंधन पर्यावरण के लिए जरूरी
मौजूदा दौर में पराली प्रबंधन का मुद्दा खास है. पूरे देश में प्रदूषण का जहर लोगों की जिंदगी तबाह कर रहा है और प्रदूषण का दायरा बढ़ाने में पराली का सब से ज्यादा जिम्मा रहता है. सवाल उठता है कि पराली के जंजाल से कैसे निबटा जाए ?
मक्का की नई हाईब्रिड किस्म एचक्यूपीएम-28
हरियाणा के चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र, करनाल ने चारे के लिए अधिक पैदावार देने वाली उच्च गुणवत्तायुक्त प्रोटीन मक्का (एचक्यूपीएम) की संकर किस्म एचक्यूपीएम 28 विकसित की है.
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धान की कटाई से भंडारण तक की तकनीकी
धान उत्पादन की दृष्टि से भारत दुनिया में सब से बड़े देशों में गिना जाता है.