ड्रिप रेनपोर्ट सिस्टम : प्याज की खेती में सिंचाई और उन्नत किस्में
Farm and Food|February Second 2023
हर सब्जी में स्वाद लाने वाली प्याज महत्त्वपूर्ण नकदी फसल है. इस में फास्फोरस, पोटैशियम, कैल्शियम, मैगनीशियम वसा वगैरह पौष्टिक तत्त्व पाए जाते हैं. इसे अचार, चटनी व मसाले के रूप में भी काम में लिया जा सकता है. इस में अनेक औषधीय गुण भी पाए जाते हैं.
भानु प्रकाश राणा
ड्रिप रेनपोर्ट सिस्टम : प्याज की खेती में सिंचाई और उन्नत किस्में

जलवायु 

यह ठंडे मौसम की फसल है, लेकिन इसे कई तरह के वातावरण में उगाया जा सकता है, परंतु यह फसल ज्यादा और गरमी, बारिश सहन नहीं कर पाती है. शुरू में बढ़वार के दौरान कम तापमान में असमय फुलन और अचानक तापमान में बढ़ोतरी होने पर छोटे आकार की गांठें बन जाती हैं.

जमीन

प्याज की खेती बलुई दोमट से ले कर चिकनी दोमट मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन अच्छी प्याज पूसा रिद्धि Onion Pusa Riddhi D.P. 18/12/2021 पैदावार के लिए दोमट मिट्टी सही है. प्याज की खेती करने के लिए सही मात्रा में कार्बनिक पदार्थ जैसे अच्छी सड़ी गोबर की खाद, कंपोस्ट, वर्मी कंपोस्ट वगैरह का इस्तेमाल करना चाहिए.

मिट्टी अधिक क्षारीय या अम्लीय नहीं होनी चाहिए. ऐसा होने पर प्याज की गांठों की क्वालिटी और उत्पादन घटता है.

जिस मिट्टी में कार्बनिक खाद की ज्यादा मात्रा, 5.8 से 6.5 पीएच मान होने के साथसाथ पानी निकास की व्यवस्था अच्छी हो, इस फसल की खेती के लिए काफी आदर्श मानी जाती है.

प्याज की किस्में

प्याज की ज्यादा उपज हासिल करने के लिए उन्नतशील किस्मों का चयन करना चाहिए.

लाल रंग वाली किस्में : पूसा ह्वाइट, पूसा रैड, अर्का निकेतन, एग्रीफाउंड डार्क रैड, एग्रीफाउंड लाइट रैड, पंजाब रैड राउंड, एन. 241, एन. 53, अर्का कल्याण, बसवंत 780, इंडम डीआर 1, संकर 3, उदयपुर 101, उदयपुर 103, एनएचडीएफ रैड.

सफेद रंग वाली किस्में : पूसा ह्वाइट राउंड, उदयपुर 102, एग्रीफाउंड ह्वाइट, पंजाब 48, जेवी 12.

पीले रंग वाली किस्में : अर्लीग्रानो, फूले सुवर्णा, अर्का पीतांबर.

गुच्छेदार किस्में : सीओ 1, सीओ 2, सीओ 3, एग्रीफाउंड रैड, एमडीयू-1.

इस के अलावा भी बहुत सी निजी बीज कंपनियां अच्छी संकर और उन्नत किस्मों के बीज मुहैया करा रही हैं. इन का इस्तेमाल ड्रिप सिंचाई तकनीक अपनाने से प्याज के उत्पादन में ज्यादा बढ़ोतरी मिलती है.

खेत की तैयारी

मिट्टी पलटने वाले हल से खेत की एक गहरी जुताई करें. इस के बाद देशी हल से 2-3 जुताइयां कर के खेत तैयार करें, ताकि खेत की मिट्टी भुरभुरी हो जाए.

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