![फसलों के रोग प्रबंधन में रासायनिक जीवनाशियों के वानस्पतिक विकल्प](https://cdn.magzter.com/1400326928/1692547240/articles/kdw4jkxvd1692599935842/1692600289448.jpg)
रोगों और नाशीकीटों से होने वाले नुकसान को रोकने के लिए हमें रासायनिक जीवनाशियों की जरूरत पड़ती है. इन रसायनों की खपत साल 1954 में 434 टन की तुलना में साल 1990 में 90,000 टन तक पहुंच गई थी, जो अब 55,000 टन के आसपास है.
इस में कोई संदेह नहीं है कि वर्तमान में हम इन रोगों और नाशीकीटों को रोकने में तो सक्षम रहे हैं, पर नाशीकीटों की रासायनिक जीवनाशियों के विरुद्ध प्रतिरोधक क्षमता, जो साल 1954 में 7 नाशीकीटों में विद्यमान थी, आज वह 504 से अधिक नाशीकीटों में पाई गई है.
इसी तरह फफूंद की भी कई ऐसी प्रजातियां हैं, जिन में रासायनिक फफूंदनाशियों के विरुद्ध प्रतिरोधक क्षमता पाई गई है. इसलिए पौधों में रोगों की रोकथाम के लिए वैकल्पिक तरीकों की आवश्यकता है, ताकि हम रासायनिक जीवनाशियों के उपयोग में कमी ला सकें.
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की साल 1996 में जारी रिपोर्ट के अनुसार, बाजार में 51 फीसदी विभिन्न कृषि खाद्य पदार्थों के नमूनों में विषैले जीवनाशियों के अवशेष पाए गए, जिन में से 20 फीसदी खाद्य पदार्थों में ये मात्रा इन जीवनाशियों की न्यूनतम सुरक्षित मात्रा से अधिक थी.
कृषि में रासायनिक जीवनाशियों के प्रयोग से कृषि उत्पाद में इन रसायनों के अवशेषों से इन का सेवन करने वाले लोगों की सेहत पर बुरा असर पड़ता है.
दुनियाभर में हर साल रासायनिक फफूंदनाशियों और कीटनाशियों की तीव्र विषाक्तता से अनजाने में तकरीबन 385 मिलियन किसान और अन्य लोग प्रभावित होते हैं, जिन में से तकरीबन 11,000 लोगों की मौत हो जाती है.
यदि हम कीटनाशकों की विषाक्तता की सीमा का और विश्लेषण करें, तो हम पाते हैं कि वैश्विक कृषि भूमि का 64 फीसदी भूभाग एक से अधिक प्रकार के कीटनाशी अणुओं द्वारा प्रदूषण के खतरे में है और 31 फीसदी उच्च जोखिम की श्रेणी में आता है.
भारत में साल 2008-18 के दौरान फलसब्जियों सहित 2.1 फीसदी खाद्य नमूनों में कीटनाशकों के अवशेष न्यूनतम स्तर से ऊपर पाए गए.
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![स्वाद का खजाना आम कलाकंद](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6498/1736096/ftjdpDP-u1718696255527/1718696374094.jpg)
स्वाद का खजाना आम कलाकंद
आम को यों ही फलों का राजा नहीं कहा जाता है, बल्कि इस की खूबियां और अलगअलग तरह के रंग, रूप और लाजवाब जायका इसे फलों के राजा का खिताब दिलाता है.
![राजस्थान की रेत में बागबानी से लखपति बनी महिला किसान संतोष देवी](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6498/1736096/6JS8voxEi1718695666493/1718696221227.jpg)
राजस्थान की रेत में बागबानी से लखपति बनी महिला किसान संतोष देवी
हमारे देश में महिला किसानों और खेत में काम करने वाली महिलाओं की संख्या पर अगर गौर करें, तो इन की कुल संख्या 84 फीसदी है. लेकिन मुख्य धारा की मीडिया में इन महिला किसानों की चर्चा बहुत कम होती है या कह लिया जाए कि न के बराबर होती है, जबकि देश में मुट्ठीभर बिजनैस वुमन की खबरें अकसर मीडिया के जरीए हम लोगों के सामने आती रहती हैं.
![जून महीने में खेतीकिसानी के काम](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6498/1736096/BciAaXsop1718695442091/1718695664784.jpg)
जून महीने में खेतीकिसानी के काम
जून का महीना खेती के लिहाज से खासा अहम है. खरीफ फसलों को बोने के साथसाथ जानवरों का खास खयाल रखना जरूरी हो जाता है.
![ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई खेती के लिए लाभकारी](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6498/1736096/uubyp2FCV1718695246977/1718695438069.jpg)
ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई खेती के लिए लाभकारी
ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई से खेतों की उर्वराशक्ति, जल संवर्धन में वृद्धि एवं कीटों व रोगों के आक्रमण में भी कमी आती है.
!['नवोन्मेषी किसान सम्मेलन' का आयोजन](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6498/1736096/b5xUQYzaY1718695089085/1718695244231.jpg)
'नवोन्मेषी किसान सम्मेलन' का आयोजन
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा, नई दिल्ली
![धान की खेती में महिलाओं के लिए सस्ते सुलभ कृषि यंत्र](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6498/1736096/2wzy0EhyV1718694927530/1718695087369.jpg)
धान की खेती में महिलाओं के लिए सस्ते सुलभ कृषि यंत्र
जिन किसानों के पास खेती की कम जमीन है और वे उस पर धान की खेती करना चाहते हैं, उन के लिए धान की बोआई व रोपाई के ये दोनों यंत्र खासा मददगार हो सकते हैं, खासकर महिलाओं को ध्यान में रख कर इन यंत्रों को संस्थान ने बनाया है.
![खेती के विकास में स्मार्ट तकनीक](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6498/1736096/htiCw-WSi1718694609124/1718694925210.jpg)
खेती के विकास में स्मार्ट तकनीक
स्मार्ट खेती, वैज्ञानिक भाषा में परिशुद्ध या सटीक कृषि या प्रिसिजन फार्मिंग कहलाती है, जिस में उत्पादन क्षमता और कृषि उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए मौजूद कृषि पद्धतियों में उन्नत प्रौद्योगिकियों का एकीकरण किया जाता है. अतिरिक्त लाभ के रूप में किसानों के भारी श्रम और ज्यादा मेहनत वाले कामों को कम कर के उन के जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है.
![बांस एक फायदे अनेक](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6498/1736096/yKtbMs1W51718694486000/1718694607856.jpg)
बांस एक फायदे अनेक
बांस की बांसुरी से तो हम सब ही परिचित हैं. बांस को लोग आमतौर पर लकड़ी मान लेते हैं. बांस एक तरह की विशेष घास है. आज यह मनुष्य के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध हो रही है.
![मूंगफली की खेती](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6498/1736096/DpZwOkZXn1718694321141/1718694469983.jpg)
मूंगफली की खेती
भारत में मूंगफली के उत्पादन का तकरीबन 75 से 85 फीसदी हिस्सा तेल के रूप में इस्तेमाल होता है. खरीफ और जायद दोनों मौसमों में इस की खेती की जाती है. जायद के समय जहां पर ज्यादा बारिश होती है, वहां पर भी मूंगफली की खेती की जा सकती है. इस के लिए शुष्क जलवायु की जरूरत होती है.
![पावर टिलर: खेती के करे कई काम](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6498/1736096/Gv6XrN47w1718694099126/1718694319432.jpg)
पावर टिलर: खेती के करे कई काम
समय के साथ-साथ खेती करने के तरीकों में बदलाव आया है. अब ज्यादातर छोटेबड़े सभी किसान अपनी जरूरत के मुताबिक कृषि यंत्रों का इस्तेमाल करने लगे हैं.