![अंजीर (तिमला) और बेडू की खेती](https://cdn.magzter.com/1400326928/1692547240/articles/KFm3azu7i1692601023463/1692601385993.jpg)
पहाड़ों में तिमला को तिमुल, तिमलु, अंजीर, गूलर और बेडू को जंगली अंजीर के नाम से जाना जाता है. तिमला व बेडू का फल हरे रंग का और पकने के बाद तिमला भूरे, बैगनी, हलके लाल व हलके पीले रंग का होता है, जबकि बेडू का फल बैगनी रंग का होता है.
तिमला व बेडू का फल बीज सहित खाने योग्य होता है. इन फलों को कच्चा खाया जाता है और सब्जी के रूप में भी उपयोग में लाया जाता है. तिमला का रायता बहुत लोकप्रिय है, तिमला के पत्तों का उपयोग पत्तल बनाने के लिए, जानवरों के चारे के लिए किया जाता है और इन का चारा दुधारू पशुओं के लिए अच्छा माना जाता है, क्योंकि इस से उन के दूध में वृद्धि होती है.
तिमला व बेडू के पेड़ों से सफेद रंग का दूध जैसा द्रव निकलता है और इन के दूध का उपयोग स्थानीय निवासियों द्वारा त्वचा में गहराई से फंसे कांटों को बाहर निकालने के लिए किया जाता है.
जैसा कि किसानों को विदित है कि तिमला यानी अंजीर और इस का रिश्तेदार बेडू, उत्तराखंड के हर क्षेत्र में अपनेआप उगने वाले फलदार पेड़ हैं. लोग इन के फलों को चाव से खाते हैं और इन की खासियत भी सब जानते हैं, लेकिन पर्वतीय क्षेत्र के किसानों द्वारा इन फलों की खेती नहीं की जाती, अपितु यह फलदार पौधे खुद ही उगते हैं. ये पेड़ जंगलों में बहुत कम पाए जाते हैं, लेकिन गांवों के आसपास, बंजर भूमि, खेतों व खेत की मेड़ पर उगते हैं.
पक्षी इस के बीजों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने में सहयोग करते हैं. कई कीट और पक्षी इस के परागण में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं.
बेडू : बेडू का पौधा उत्तराखंड के अलावा पंजाब, कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, नेपाल, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और सूडान में पाया जाता है, विश्व में बेडू की तकरीबन 800 प्रजातियां पाई जाती हैं. बेडू मध्य हिमालयी क्षेत्र के जंगली फलों में से एक है. समुद्र तल से 1,500 मीटर ऊपर के स्थानों पर जंगली अंजीर के पौधे बहुत ही सामान्य होते हैं. गढ़वाल और कुमाऊं के क्षेत्रों में इन का उपयोग अधिकता से किया जाता है.
बेडू के फायदे, गुण और उपयोग : बेडू के पूरे पौधे का उपयोग किया जाता है. इस की छाल, जड़, पत्ते और फल औषधि के गुणों से भरपूर होते हैं.
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![स्वाद का खजाना आम कलाकंद](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6498/1736096/ftjdpDP-u1718696255527/1718696374094.jpg)
स्वाद का खजाना आम कलाकंद
आम को यों ही फलों का राजा नहीं कहा जाता है, बल्कि इस की खूबियां और अलगअलग तरह के रंग, रूप और लाजवाब जायका इसे फलों के राजा का खिताब दिलाता है.
![राजस्थान की रेत में बागबानी से लखपति बनी महिला किसान संतोष देवी](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6498/1736096/6JS8voxEi1718695666493/1718696221227.jpg)
राजस्थान की रेत में बागबानी से लखपति बनी महिला किसान संतोष देवी
हमारे देश में महिला किसानों और खेत में काम करने वाली महिलाओं की संख्या पर अगर गौर करें, तो इन की कुल संख्या 84 फीसदी है. लेकिन मुख्य धारा की मीडिया में इन महिला किसानों की चर्चा बहुत कम होती है या कह लिया जाए कि न के बराबर होती है, जबकि देश में मुट्ठीभर बिजनैस वुमन की खबरें अकसर मीडिया के जरीए हम लोगों के सामने आती रहती हैं.
![जून महीने में खेतीकिसानी के काम](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6498/1736096/BciAaXsop1718695442091/1718695664784.jpg)
जून महीने में खेतीकिसानी के काम
जून का महीना खेती के लिहाज से खासा अहम है. खरीफ फसलों को बोने के साथसाथ जानवरों का खास खयाल रखना जरूरी हो जाता है.
![ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई खेती के लिए लाभकारी](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6498/1736096/uubyp2FCV1718695246977/1718695438069.jpg)
ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई खेती के लिए लाभकारी
ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई से खेतों की उर्वराशक्ति, जल संवर्धन में वृद्धि एवं कीटों व रोगों के आक्रमण में भी कमी आती है.
!['नवोन्मेषी किसान सम्मेलन' का आयोजन](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6498/1736096/b5xUQYzaY1718695089085/1718695244231.jpg)
'नवोन्मेषी किसान सम्मेलन' का आयोजन
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा, नई दिल्ली
![धान की खेती में महिलाओं के लिए सस्ते सुलभ कृषि यंत्र](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6498/1736096/2wzy0EhyV1718694927530/1718695087369.jpg)
धान की खेती में महिलाओं के लिए सस्ते सुलभ कृषि यंत्र
जिन किसानों के पास खेती की कम जमीन है और वे उस पर धान की खेती करना चाहते हैं, उन के लिए धान की बोआई व रोपाई के ये दोनों यंत्र खासा मददगार हो सकते हैं, खासकर महिलाओं को ध्यान में रख कर इन यंत्रों को संस्थान ने बनाया है.
![खेती के विकास में स्मार्ट तकनीक](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6498/1736096/htiCw-WSi1718694609124/1718694925210.jpg)
खेती के विकास में स्मार्ट तकनीक
स्मार्ट खेती, वैज्ञानिक भाषा में परिशुद्ध या सटीक कृषि या प्रिसिजन फार्मिंग कहलाती है, जिस में उत्पादन क्षमता और कृषि उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए मौजूद कृषि पद्धतियों में उन्नत प्रौद्योगिकियों का एकीकरण किया जाता है. अतिरिक्त लाभ के रूप में किसानों के भारी श्रम और ज्यादा मेहनत वाले कामों को कम कर के उन के जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है.
![बांस एक फायदे अनेक](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6498/1736096/yKtbMs1W51718694486000/1718694607856.jpg)
बांस एक फायदे अनेक
बांस की बांसुरी से तो हम सब ही परिचित हैं. बांस को लोग आमतौर पर लकड़ी मान लेते हैं. बांस एक तरह की विशेष घास है. आज यह मनुष्य के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध हो रही है.
![मूंगफली की खेती](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6498/1736096/DpZwOkZXn1718694321141/1718694469983.jpg)
मूंगफली की खेती
भारत में मूंगफली के उत्पादन का तकरीबन 75 से 85 फीसदी हिस्सा तेल के रूप में इस्तेमाल होता है. खरीफ और जायद दोनों मौसमों में इस की खेती की जाती है. जायद के समय जहां पर ज्यादा बारिश होती है, वहां पर भी मूंगफली की खेती की जा सकती है. इस के लिए शुष्क जलवायु की जरूरत होती है.
![पावर टिलर: खेती के करे कई काम](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6498/1736096/Gv6XrN47w1718694099126/1718694319432.jpg)
पावर टिलर: खेती के करे कई काम
समय के साथ-साथ खेती करने के तरीकों में बदलाव आया है. अब ज्यादातर छोटेबड़े सभी किसान अपनी जरूरत के मुताबिक कृषि यंत्रों का इस्तेमाल करने लगे हैं.