लेकिन वाराणसी के भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान ने भिंडी की ऐसी किस्म ईजाद की है, जिस का रंग भिंडी की दूसरी किस्मों से हट कर बैगनी और लाल रंग का होता है. इसे ईजाद करने वाले वैज्ञानिकों में डा. बिजेंद्र, डा. एसके सानवाल और डा. जीपी मिश्रा के साथ तकनीकी सहायक सुभाष चंद्र का नाम शामिल है.
इसे ईजाद करने वाले संस्थान ने इस किस्म का नाम 'काशी लालिमा' रखा है. इस को विकसित करने के लिए भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान द्वारा 1995-96 से लगातार शोध किया जा रहा था, जिस में 23 वर्षों की कड़ी मेहनत के बाद कृषि वैज्ञानिकों ने सफलता पाई.
इस किस्म को विकसित करने वाले वैज्ञानिकों के अनुसार, भिंडी की इस किस्म के बैगनीलाल होने की वजह इस में पाया जाने वाला ऐंथोसायनीन तत्त्व की उपलब्धता है. इसी के चलते इस किस्म का रंग लाल होता है.
कोरोना के चलते लोगों में पोषक तत्त्वों की प्रचुरता वाली सब्जियों की मांग बढ़ी है. ऐसे में भिंडी की 'काशी लालिमा' प्रजाति की खेती कर किसान ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं. ऐसा इसलिए है, क्योंकि हरी भिंडी के मुकाबले लाल भिंडी में अधिक पोषक तत्त्व पाए जाते हैं.
भिंडी की इस किस्म में एंटीऑक्सीडेंट, आयरन और कैल्शियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है. यह हृदय रोग, डायबिटीज, मोटापा जैसे सभी रोगों के लिए कारगर है.
इन कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, भिंडी की बैगनीलाल किस्म गर्भवती महिलाओं के लिए भी फायदेमंद मानी जा रही है, क्योंकि महिलाओं के गर्भ में जो शिशु पलता है, उस के मस्तिष्क के विकास के लिए इसे बहुत उपयोगी माना जा रहा है. गर्भवती महिलाओं में यह लाल भिंडी फोलिक एसिड की कमी को दूर करती है.
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