![केले की वैज्ञानिक खेती](https://cdn.magzter.com/1400326928/1692547083/articles/WSRTPGhcX1692604300324/1692604580134.jpg)
भारत केले का प्रमुख उत्पादक देश है, जो 5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र से 17.50 मिलियन टन उपज प्रात करता है. यह अधिकतर तमिलनाडु, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और गुजरात में उगाया जाता है. असम, बिहार, केरल, मध्य प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में भी केले की खेती की जाती है.
जलवायु
केला उष्ण कटिबंधीय फल है, पर यह आर्द्र और उपोष्ण, 2,000 एमएसएल की ऊंचाई को भी सह सकता है. यह कम तापमान और पानी की रुकावट को नहीं सह सकता. नए पत्तों का निकलना और फलों का विकास मुख्यतः तापमान पर निर्भर करता है.
मिट्टी
यह गहरी दोमट, हवादार और हलकी मिट्टी में अच्छा उगता है. यह 6.5 से 8.0 तक के पीएच मान को सह सकता है.
प्रजातियां
ग्रैंड नेने, रोबस्टा, ड्वार्फ केवेंडिश, पूवन, रसथाली, नेंद्रन, कर्पूरवल्ली, नेय पूवन, मोंथान और पहाड़ी केले की कुछ प्रमुख प्रजातियां हैं.
प्रतिपादन
पारस्परिक तरीके से सकर अर्थात पौध या फिर कंदों के जरीए केले के पौधों को उगाया जाता है. चौड़े पानीदार सकरों की अपेक्षा तलवार या खड्ग के आकार के और पतले लंबे पत्तों वाले सकर को चुना जाता है.
छंटाई किए गए सकर अथवा टुकड़ों का वजन 1.0 से 1.5 किलोग्राम तक हो होना चाहिए, जिस में से अंकुर फूट रहा हो. रोपण सामग्री का वर्गीकरण बहुत ही महत्त्वपूर्ण होता है. इस से फसल का विकास और घारों के निकलने का समय सभी में एकरूपता होती है.
रोपण
रोपण के पहले 45x45×45 सैंटीमीटर गड्ढों में अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद डाली जाती है अथवा उन गड्ढों में 20-30 किलोग्राम प्रति गड्ढा कंपोस्ट भरा जाता है. चुने हुए सकर की अनावश्यक पत्तियां, वानस्पतिक विकास और अत्यधिक जड़ों को काट दिया जाता है.
इन सकरों को सूत्रकृमि एवं तना विविल से बचाने के लिए कंदों को मिट्टी के घोल में 20-40 कण प्रति सकर के हिसाब से कार्बोफ्यूरान डाल कर उस में इन्हें डुबोया जाता है.
जूनजुलाई रोपण के लिए उचित महीने हैं. वैसे तो वर्ष के किसी भी समय रोपण किया जा सकता है, बशर्ते सर्दियों को छोड़ कर अन्य मौसम में सिंचाई की पूरी सुविधा हो.
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![स्वाद का खजाना आम कलाकंद](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6498/1736096/ftjdpDP-u1718696255527/1718696374094.jpg)
स्वाद का खजाना आम कलाकंद
आम को यों ही फलों का राजा नहीं कहा जाता है, बल्कि इस की खूबियां और अलगअलग तरह के रंग, रूप और लाजवाब जायका इसे फलों के राजा का खिताब दिलाता है.
![राजस्थान की रेत में बागबानी से लखपति बनी महिला किसान संतोष देवी](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6498/1736096/6JS8voxEi1718695666493/1718696221227.jpg)
राजस्थान की रेत में बागबानी से लखपति बनी महिला किसान संतोष देवी
हमारे देश में महिला किसानों और खेत में काम करने वाली महिलाओं की संख्या पर अगर गौर करें, तो इन की कुल संख्या 84 फीसदी है. लेकिन मुख्य धारा की मीडिया में इन महिला किसानों की चर्चा बहुत कम होती है या कह लिया जाए कि न के बराबर होती है, जबकि देश में मुट्ठीभर बिजनैस वुमन की खबरें अकसर मीडिया के जरीए हम लोगों के सामने आती रहती हैं.
![जून महीने में खेतीकिसानी के काम](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6498/1736096/BciAaXsop1718695442091/1718695664784.jpg)
जून महीने में खेतीकिसानी के काम
जून का महीना खेती के लिहाज से खासा अहम है. खरीफ फसलों को बोने के साथसाथ जानवरों का खास खयाल रखना जरूरी हो जाता है.
![ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई खेती के लिए लाभकारी](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6498/1736096/uubyp2FCV1718695246977/1718695438069.jpg)
ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई खेती के लिए लाभकारी
ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई से खेतों की उर्वराशक्ति, जल संवर्धन में वृद्धि एवं कीटों व रोगों के आक्रमण में भी कमी आती है.
!['नवोन्मेषी किसान सम्मेलन' का आयोजन](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6498/1736096/b5xUQYzaY1718695089085/1718695244231.jpg)
'नवोन्मेषी किसान सम्मेलन' का आयोजन
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा, नई दिल्ली
![धान की खेती में महिलाओं के लिए सस्ते सुलभ कृषि यंत्र](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6498/1736096/2wzy0EhyV1718694927530/1718695087369.jpg)
धान की खेती में महिलाओं के लिए सस्ते सुलभ कृषि यंत्र
जिन किसानों के पास खेती की कम जमीन है और वे उस पर धान की खेती करना चाहते हैं, उन के लिए धान की बोआई व रोपाई के ये दोनों यंत्र खासा मददगार हो सकते हैं, खासकर महिलाओं को ध्यान में रख कर इन यंत्रों को संस्थान ने बनाया है.
![खेती के विकास में स्मार्ट तकनीक](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6498/1736096/htiCw-WSi1718694609124/1718694925210.jpg)
खेती के विकास में स्मार्ट तकनीक
स्मार्ट खेती, वैज्ञानिक भाषा में परिशुद्ध या सटीक कृषि या प्रिसिजन फार्मिंग कहलाती है, जिस में उत्पादन क्षमता और कृषि उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए मौजूद कृषि पद्धतियों में उन्नत प्रौद्योगिकियों का एकीकरण किया जाता है. अतिरिक्त लाभ के रूप में किसानों के भारी श्रम और ज्यादा मेहनत वाले कामों को कम कर के उन के जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है.
![बांस एक फायदे अनेक](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6498/1736096/yKtbMs1W51718694486000/1718694607856.jpg)
बांस एक फायदे अनेक
बांस की बांसुरी से तो हम सब ही परिचित हैं. बांस को लोग आमतौर पर लकड़ी मान लेते हैं. बांस एक तरह की विशेष घास है. आज यह मनुष्य के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध हो रही है.
![मूंगफली की खेती](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6498/1736096/DpZwOkZXn1718694321141/1718694469983.jpg)
मूंगफली की खेती
भारत में मूंगफली के उत्पादन का तकरीबन 75 से 85 फीसदी हिस्सा तेल के रूप में इस्तेमाल होता है. खरीफ और जायद दोनों मौसमों में इस की खेती की जाती है. जायद के समय जहां पर ज्यादा बारिश होती है, वहां पर भी मूंगफली की खेती की जा सकती है. इस के लिए शुष्क जलवायु की जरूरत होती है.
![पावर टिलर: खेती के करे कई काम](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6498/1736096/Gv6XrN47w1718694099126/1718694319432.jpg)
पावर टिलर: खेती के करे कई काम
समय के साथ-साथ खेती करने के तरीकों में बदलाव आया है. अब ज्यादातर छोटेबड़े सभी किसान अपनी जरूरत के मुताबिक कृषि यंत्रों का इस्तेमाल करने लगे हैं.