सवाल : मोटे अनाज किसे कहते हैं?
लघु या छोटे धान्य फसलों जैसे- मंडुआ, सांवा, कोदो, चीना, काकुन, ज्वार, बाजरा आदि को मोटा अनाज कहा जाता है. इन सभी फसलों के दानों का आकार बहुत छोटा होता है.
मोटे अनाज की उपयोगिता क्या है?
मोटे अनाज पोषक तत्त्वों और रेशे से परिपूर्ण होने के कारण इन का औषधीय उपयोग भी है और ये आयरन, कैल्शियम, प्रोटीन और फास्फोरस का अच्छा स्त्रोत है. यही वजह है कि मंडुआ से रोटी, ब्रैड, सत्तू, लड्डू, बिसकुट आदि एवं सांवा, कोदो, चीना व काकुन को चावल, खीर, दलिया व मर्रा के रूप में उपयोग करते हैं और पशुओं को चारा भी मिल जाता है.
सवाल : मोटे अनाज की खेती कब की जाती है?
ये खरीफ की फसलें हैं, जो जूनजुलाई माह तक लगाई जा सकती हैं. जिन जगहों पर मुख्य अन्य फसलें नहीं उगाई जा सकती हैं, वहां पर ये फसलें सुगमतापूर्वक उगा ली जाती हैं. ये फसलें कम पानी में पैदा होने वाली हैं.
सवाल : इस तरह की फसलें कितने दिन में तैयार हो जाती हैं?
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बढ़ेगी मूंगफली की पैदावार
महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने 7 अक्तूबर, 2024 को मूंगफली पर अनुसंधान एवं विकास को उत्कृष्टता प्रदान करने और किसानों की आय में वृद्धि करने हेतु मूंगफली अनुसंधान निदेशालय, जूनागढ़ के साथ समझौतापत्र पर हस्ताक्षर किए.
खाद्य तेल के दामों पर लगाम, एमआरपी से अधिक न हों दाम
केंद्र सरकार के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) के सचिव ने मूल्य निर्धारण रणनीति पर चर्चा करने के लिए पिछले दिनों भारतीय सौल्वेंट ऐक्सट्रैक्शन एसोसिएशन (एसईएआई), भारतीय वनस्पति तेल उत्पादक संघ (आईवीपीए) और सोयाबीन तेल उत्पादक संघ (सोपा) के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की अध्यक्षता की.
अक्तूबर महीने में खेती के खास काम
यह महीना खेतीबारी के नजरिए य से बहुत खास होता है इस महीने में जहां खरीफ की अधिकांश फसलों की कटाई और मड़ाई का काम जोरशोर से किया जाता है, वहीं रबी के सीजन में ली जाने वाली फसलों की रोपाई और बोआई का काम भी तेजी पर होता है.
किसान ने 50 मीट्रिक टन क्षमता का प्याज भंडारगृह बनाया
रकार की मंशा है कि खेती लाभ का धंधा बने. इस के लिए शासन द्वारा किसान हितैषी कई योजनाएं चलाई जा रही हैं.
खेती के साथ गौपालन : आत्मनिर्भर बने किसान निर्मल
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जीआई पंजीकरण से बढ़ाएं कृषि उत्पादों की अहमियत
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धान की कटाई से भंडारण तक की तकनीकी
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