प्रमुख रोग और उन का प्रबंधन
आल्टरनेरिया झुलसा : यह एक फफूंदजनित रोग है और सभी क्षेत्रों में व्यापक रूप से पाया जाता है. इस रोग का लक्षण सब से पहले पौधों की निचली पत्तियों की ऊपरी सतह पर बोआई के लगभग 35 से 70 दिन बाद कालेकाले बिंदु जैसे धब्बे के रूप में दिखाई पड़ता है, जो बाद में बढ़ कर गोल छल्लेदार गहरे कत्थई रंग के धागों में बदल जाता है.
जैसेजैसे रोग ऊपर बढ़ता है, वैसेवैसे निचली पत्तियां झुलस कर गिर जाती हैं और तने एवं फलियां काली पड़ कर सड़ने लगती हैं. फलियों में दाने सिकुड़ जाते हैं.
प्रबंधन
• सरसों की बोआई अक्तूबर माह में करें.
• संतुलित मात्रा में उर्वरक (एनपीके 60:40:40 प्रति हेक्टेयर) का प्रयोग करें.
• उन्नत किस्में एवं रोग प्रतिरोधी प्रजातियां बोएं.
• रोग के नियंत्रण के लिए मैंकोजेब 2 किलोग्राम या ब्लाइटौक्स 503 किलोग्राम 600-800 लिटर पानी में घोल कर प्रति हेक्टेयर की दर से पहला छिड़काव 50-60 दिन की फसल पर और अन्य 2 छिड़काव 20 दिन के अंतराल पर करें.
सफेद गेरुई
यह बीमारी देर से बोई जाने वाली फसलों में अकसर देखी जाती है. इस रोग में सब से पहले पत्तियों की निचली सतह पर सफेद दही के समान फफोले बनते हैं.
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बढ़ेगी मूंगफली की पैदावार
महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने 7 अक्तूबर, 2024 को मूंगफली पर अनुसंधान एवं विकास को उत्कृष्टता प्रदान करने और किसानों की आय में वृद्धि करने हेतु मूंगफली अनुसंधान निदेशालय, जूनागढ़ के साथ समझौतापत्र पर हस्ताक्षर किए.
खाद्य तेल के दामों पर लगाम, एमआरपी से अधिक न हों दाम
केंद्र सरकार के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) के सचिव ने मूल्य निर्धारण रणनीति पर चर्चा करने के लिए पिछले दिनों भारतीय सौल्वेंट ऐक्सट्रैक्शन एसोसिएशन (एसईएआई), भारतीय वनस्पति तेल उत्पादक संघ (आईवीपीए) और सोयाबीन तेल उत्पादक संघ (सोपा) के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की अध्यक्षता की.
अक्तूबर महीने में खेती के खास काम
यह महीना खेतीबारी के नजरिए य से बहुत खास होता है इस महीने में जहां खरीफ की अधिकांश फसलों की कटाई और मड़ाई का काम जोरशोर से किया जाता है, वहीं रबी के सीजन में ली जाने वाली फसलों की रोपाई और बोआई का काम भी तेजी पर होता है.
किसान ने 50 मीट्रिक टन क्षमता का प्याज भंडारगृह बनाया
रकार की मंशा है कि खेती लाभ का धंधा बने. इस के लिए शासन द्वारा किसान हितैषी कई योजनाएं चलाई जा रही हैं.
खेती के साथ गौपालन : आत्मनिर्भर बने किसान निर्मल
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जीआई पंजीकरण से बढ़ाएं कृषि उत्पादों की अहमियत
हमारे देश में कृषि से जुड़ी फल, फूल और अनाज की ऐसी कई किस्में हैं, जो केवल क्षेत्र विशेष में ही उगाई जाती हैं. अगर इन किस्मों को उक्त क्षेत्र से इतर हट कर उगाने की कोशिश भी की गई, तो उन में वह क्वालिटी नहीं आ पाती है, जो उस क्षेत्र विशेष \" में उगाए जाने पर पाई जाती है.
पराली प्रबंधन पर्यावरण के लिए जरूरी
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मक्का की नई हाईब्रिड किस्म एचक्यूपीएम-28
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धान की कटाई से भंडारण तक की तकनीकी
धान उत्पादन की दृष्टि से भारत दुनिया में सब से बड़े देशों में गिना जाता है.