सभी किसान जानते हैं कि किसी भी फसल के उत्पादन के लिए बहुत सी चीजों की जरूरत होती है, जिन्हें हम इस तरह बांट सकते हैं, जैसे बाजार से खरीदी जाने वाली कई चीजें जैसे बीज, खाद व उर्वरक व पौध संरक्षण, खुद के संसाधन (ट्रैक्टर, मशीनरी, जैविक खाद, कृषि यंत्र आदि), लगने वाली इनसानी मेहनत और ऊर्जा (सिंचाई, खेत की तैयारी, फसल काल में निंदाईखुदाई, फसल में दवा का छिड़काव, फसल की कटाईगहाई) आदि.
कृषि उत्पादन में इन चीजों का इस्तेमाल किया जाना बेहद जरूरी है, परंतु सही समय पर, सही मात्रा में सही तरीके से इन चीजों का उपयोग कर के या इन का दुरुपयोग रोक कर फसल उत्पादन की लागत को कम किया जा सकता है. अनियंत्रित लागत किसान की फसल उत्पादन लागत को बढ़ाने के साथ ही मुनाफे को कम करती है. बहुत सी लागत को कुछ तरीकों से कम किया जा सकता है.
बीज की लागत कम करने के लिए निम्न उपाय अपनाएं:
• उन्नत किस्म का बीज इस्तेमाल करें.
• स्वयं का बीज उत्पादन करें या समूह के माध्यम से बीज उत्पादन करें.
• सिफारिश की गई बीज की मात्रा का ही इस्तेमाल करें. ज्यादा बीज दर से उत्पादन कम होता है.
• घर का बीज इस्तेमाल करने पर बोआई से पहले अंकुरण परीक्षण जरूर करें.
रासायनिक उर्वरकों की पूरी मात्रा कभी फसल को नहीं मिलती है. उर्वरक इस्तेमाल की सटीकता को बढ़ाने के लिए निम्न उपाय अपनाएं:
• अपनी भूमि का मिट्टी परीक्षण कराएं.
• मिट्टी परीक्षण की सिफारिश के आधार पर ही उर्वरकों का इस्तेमाल करें.
• जैविक खाद व जीवाणु खाद का इस्तेमाल जरूर करें.
• खड़ी फसल में दिया जाने वाला यूरिया सल्फर या नीम लेपित हो या खुद नीम खली से लेपित यूरिया तैयार कर फसल को दें.
• दूसरों को देख कर उर्वरकों का इस्तेमाल न करें.
• संतुलित पोषण के लिए मिट्टी परीक्षण के आधार पर सूक्ष्म पोषक तत्त्वों का इस्तेमाल करें.
सिंचाई की सटीकता बढ़ाने के लिए निम्न उपाय अपनाएं:
• क्यारियां छोटी बनाएं.
• स्प्रिंकलर विधि से सिंचाई करें और पानी बचाएं.
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फार्म एन फूड की ओर से सम्मान पाने वाले किसानों को फ्रेम कराने लायक यादगार भेंट
उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड
'चाइल्ड हैल्प फाउंडेशन' के अधिकारी हुए सम्मानित
भारत में काम करने वाली संस्था 'चाइल्ड हैल्प फाउंडेशन' से जुड़े 3 अधिकारियों संस्थापक ट्रस्टी सुनील वर्गीस, संस्थापक ट्रस्टी राजेंद्र पाठक और प्रोजैक्ट हैड सुनील पांडेय को गरीबी उन्मूलन और जीरो हंगर पर काम करने के लिए 'फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड' से नवाजा गया.
लखनऊ में हुआ उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के किसानों का सम्मान
पहली बार बड़े लैवल पर 'फार्म एन फूड' पत्रिका द्वारा राज्य स्तरीय 'फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड' का आयोजन लखनऊ की संगीत नाटक अकादमी में 17 अक्तूबर, 2024 को किया गया, जिस में उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड से आए तकरीबन 200 किसान शामिल हुए और खेती में नवाचार और तकनीकी के जरीए बदलाव लाने वाले तकरीबन 40 किसानों को राज्य स्तरीय 'फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड' से सम्मानित किया गया.
बढ़ेगी मूंगफली की पैदावार
महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने 7 अक्तूबर, 2024 को मूंगफली पर अनुसंधान एवं विकास को उत्कृष्टता प्रदान करने और किसानों की आय में वृद्धि करने हेतु मूंगफली अनुसंधान निदेशालय, जूनागढ़ के साथ समझौतापत्र पर हस्ताक्षर किए.
खाद्य तेल के दामों पर लगाम, एमआरपी से अधिक न हों दाम
केंद्र सरकार के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) के सचिव ने मूल्य निर्धारण रणनीति पर चर्चा करने के लिए पिछले दिनों भारतीय सौल्वेंट ऐक्सट्रैक्शन एसोसिएशन (एसईएआई), भारतीय वनस्पति तेल उत्पादक संघ (आईवीपीए) और सोयाबीन तेल उत्पादक संघ (सोपा) के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की अध्यक्षता की.
अक्तूबर महीने में खेती के खास काम
यह महीना खेतीबारी के नजरिए य से बहुत खास होता है इस महीने में जहां खरीफ की अधिकांश फसलों की कटाई और मड़ाई का काम जोरशोर से किया जाता है, वहीं रबी के सीजन में ली जाने वाली फसलों की रोपाई और बोआई का काम भी तेजी पर होता है.
किसान ने 50 मीट्रिक टन क्षमता का प्याज भंडारगृह बनाया
रकार की मंशा है कि खेती लाभ का धंधा बने. इस के लिए शासन द्वारा किसान हितैषी कई योजनाएं चलाई जा रही हैं.
खेती के साथ गौपालन : आत्मनिर्भर बने किसान निर्मल
आचार्य विद्यासागर गौ संवर्धन योजना का लाभ ले कर उन्नत नस्ल का गौपालन कर किसान एवं पशुपालक निर्मल कुमार पाटीदार एक समृद्ध पशुपालक बन गए हैं.
जीआई पंजीकरण से बढ़ाएं कृषि उत्पादों की अहमियत
हमारे देश में कृषि से जुड़ी फल, फूल और अनाज की ऐसी कई किस्में हैं, जो केवल क्षेत्र विशेष में ही उगाई जाती हैं. अगर इन किस्मों को उक्त क्षेत्र से इतर हट कर उगाने की कोशिश भी की गई, तो उन में वह क्वालिटी नहीं आ पाती है, जो उस क्षेत्र विशेष \" में उगाए जाने पर पाई जाती है.
पराली प्रबंधन पर्यावरण के लिए जरूरी
मौजूदा दौर में पराली प्रबंधन का मुद्दा खास है. पूरे देश में प्रदूषण का जहर लोगों की जिंदगी तबाह कर रहा है और प्रदूषण का दायरा बढ़ाने में पराली का सब से ज्यादा जिम्मा रहता है. सवाल उठता है कि पराली के जंजाल से कैसे निबटा जाए ?