कलमी या करमुआ साग की करें उन्नत खेती
Farm and Food|May Second 2024
पोषक गुणों से भरपूर प्रचलित सागसब्जियों के अलावा कुछ ऐसी भी सब्जियां हैं, जो आमतौर पर मिट्टी और पानी दोनों जगहों पर बहुत कम लागत और मेहनत में उगाई जा सकती हैं. हालांकि ऐसी सागसब्जियों का बहुत ज्यादा व्यावसायिक उत्पादन नहीं किया जा रहा है, ऐसे में अगर किसान कम चलन वाली पोषक गुणों से भरपूर इन सब्जियों की खेती करे, तो अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
बृहस्पति कुमार पांडेय
कलमी या करमुआ साग की करें उन्नत खेती

ऐसा नहीं है कि ऐसी सागसब्जियों की खेती बड़े लैवल पर नहीं होती है, तो बाजार नहीं मिलेगा, क्योंकि इस में से कुछ ऐसी भी हैं, जिन्हें आमतौर पर हर व्यक्ति जानता है और उस के खास स्वाद व पोषक गुणों के चलते पसंद भी करता है. मगर बाजार में ज्यादा आवक न होने के कारण लोगों तक इन की पहुंच नहीं हो पा रही है. इन्हीं में से एक है कलमी यानी करमुआ का साग, जिसे आमतौर पर जलीय पालक, वाटर पालक, स्कैंप कैबेज, करेमू, वाटर स्पिनेच या नारी के नाम से भी जाना जाता है. यह साग आमतौर पर तालाबों में अपनेआप उगता है और विकसित होता है, लेकिन इस की कई उन्नत किस्में भी हैं, जिन का तालाब और खेत दोनों में खेती किया जाना आसान है.

कलमी साग खाने में जितना लजीज होता है, उस से कहीं ज्यादा इस में मौजूद पोषक तत्त्व इसे खास बनाते हैं. कलमी साग के संपूर्ण भाग का उपयोग खाने में किया जाता है.

आमतौर पर इस के पौधे लतादार होते हैं, जो पानी पर तैरते रहते हैं. यह मुख्यतया उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा एवं कर्नाटक में साग के लिए उगाया जाता है. सामान्यतः इसे 2 वर्षीय या बहुवर्षीय साग के रूप में उगाया जा सकता है. कलमी साग के पत्ते एवं तने से सब्जी एवं मुलायम भाग को सलाद के रूप में प्रयोग करते हैं.

पोषक तत्त्वों से है भरपूर

कलमी साग में प्रचुर मात्रा में विटामिंस पाए जाते हैं. यह एक शुगर फ्री साग है, इसलिए इसे डायबिटीज के मरीज भी आसानी से खा सकते हैं. इस साग में वसा एवं ऊर्जा मूल्य कम होती है, जबकि जटिल कार्बोहाइड्रेट की मात्रा अधिक होती है. यह शरीर में कोलैस्ट्रोल के स्तर को कम करने में काफी मददगार है. शाकाहारी व्यक्तियों के लिए यह साग सस्ते प्रोटीन का एक अच्छा विकल्प है.

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