सामान्य तौर पर मिट्टी में ये सभी तत्त्व मौजूद होते हैं, लेकिन लगातार अनेक तरह की फसल लेने से इन में अनेक पोषक तत्त्वों में कमी आ जाती है. इस के अलावा खेत में इस्तेमाल होने वाले रासायनिक पदार्थ व खेत में ही फसल अवशेषों का जला देना आदि भी खेत की मिट्टी खराब करते हैं और मिट्टी में मौजूद पोषक तत्त्वों में असमानता आ जाती है, जिस के चलते उचित पैदावार भी नहीं मिल पाती है.
इसी कमी की भरपाई के लिए खेत की मिट्टी जांच कराना अच्छा रहता है. मिट्टी जांच के बाद जो संस्तुति या नतीजे मिलते हैं, उसी के अनुसार खेत में उर्वरक व खादबीज आदि डाले जाते हैं.
भारत में मिट्टी जांच की शुरुआत साल 1956 में हुई थी और शुरुआत के समय 24 मिट्टी जांच केंद्र खोले गए थे.
आज तो चंद कदमों की दूरी पर मिट्टी जांच की सुविधाएं भी हैं. किसानों के काम भी आसान हो रहे हैं, इसलिए सही समय पर सही तरीके से मिट्टी की जांच करानी चाहिए.
मिट्टी नमूना लेने की विधि
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