धान की फसल में कीट नियंत्रण
Farm and Food|August First 2024
बरसात की प्रमुख फसल होने के नाते धान की फसल की सुरक्षा पर ध्यान देना जरूरी हो जाता है, क्योंकि इस समय फसल में कीटपंतगों का प्रकोप कुछ ज्यादा ही होता है. धान की फसल में सिंचित व असिंचित दशा में अलगअलग तरह के कीटों का प्रकोप होता है, जो फसल की अलगअलग अवस्थाओं में नुकसान पहुंचाते हैं, जिस से धान की फसल पूरी तरह बरबाद हो जाती है और फसल उत्पादन घट जाता है.
बृहस्पति कुमार पांडेय
धान की फसल में कीट नियंत्रण

बातचीत : डा. प्रेम शंकर, वैज्ञानिक, फसल सुरक्षा

इस अवस्था में किसानों को धान में लगने वाले हानिकारक कीटों के बारे में जानकारी रखने के साथ ही उस की पहचान व समय से नियंत्रण के उपायों पर भी जानकारी रखनी चाहिए. धान की फसल में कीट नियंत्रण कैसे करें? इस विषय पर कृषि विज्ञान केंद्र, बस्ती में फसल सुरक्षा वैज्ञानिक डा. प्रेम शंकर से लंबी बातचीत हुई. पेश हैं, उसी के खास अंश :

धान की फसल में कौनकौन से कीटों का प्रकोप ज्यादा होता है?

धान की फसल में लगने वाले कीट असिंचित दशा में कम नुकसान पहुंचाते हैं, जबकि सिंचित दशा में फसल में कीटों का प्रकोप ज्यादा होता है. इस में दीमक, जड़ की सूंड़ी, नरई कीट, पत्ती लपेटक, हिस्पां, बंका कीट, तना बेधक, हरा फुदका, भूरा फुदका, सफेद फुदका, गंधी बग, सैनिक कीट आदि प्रमुख हैं.

आप ने जिन कीटों के नाम बताए हैं, ये अलगअलग तरह से धान की फसल को किस तरह का नुकसान पहुंचाते हैं? इन की पहचान कैसे की जाए?

धान की फसल में अगर समय रहते हानिकारक कीटों की पहचान न की जाए, तो ये धान की पूरी फसल को नष्ट कर सकते हैं. किसान को अलगअलग कीटों से होने वाले नुकसान व उस की पहचान के बारे में बता रहा हूं, जिस से किसान समय से अपने खेत में कीट नियंत्रण कर पाएं.

दीमक : यह कीट पीलापन लिए होता है. इस का शरीर सफेद व पंखहीन होता है, जो धान की जड़ों को खा कर नष्ट कर देता है.

जड़ की सूंड़ी : यह सफेद रंग के ब हुए चावल के समान होती है. सूंड़ियां जड़ के मध्य में रह कर पौधों के रस को चूस लेती हैं, जिस से पौधे का रंग पीला पड़ जाता है.

नरई : यह कीट धान के पौधे के अंदर घुस कर गोभ को नष्ट कर देता है, जिस से फसल में बाली नहीं आती है.

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