तालाबों में जल संरक्षण के साथ हों मखाने की खेती
Farm and Food|August First 2024
दुनिया का 90 फीसदी मखाना भारत में होता है और अकेले बिहार में इस का उत्पादन 85 फीसदी से अधिक होता है. इस के अलावा देश के उत्तरपूर्वी इलाकों में भी इस की खेती आसानी से की जा सकती है. यहां पर जो तालाब हैं, उन में पानी भर कर मखाने की खेती को बढ़ावा दिया जा सकता है, जिस से किसानों को फायदा होगा. साथ ही, जल संरक्षण को भी बढ़ावा मिल सकेगा.
गरिमा शर्मा और प्रो. आरएस सेंगर
तालाबों में जल संरक्षण के साथ हों मखाने की खेती

पिछले साल पूर्व सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने इस विषय पर पहल की थी और उन्होंने एक योजना तैयार कराई थी कि मेरठ के आसपास के जो तालाब खाली पड़े हैं, उन में जल संरक्षण किया जा सकता है. यदि वहां पर मखाने की खेती शुरू कर दी जाए, तो शायद किसानों को फायदा मिलेगा और भूमि के गिरते जल स्तर को भी ठीक किया जा सकेगा.

प्रो. आरएस सेंगर, प्लांट बायोटैक्नोलॉजी डिवीजन के विभागाध्यक्ष ने बताया कि देश में जिस तरह की जलवायु है, इस के अनुकूल मखाने की खेती करना यहां आसान माना जाता है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी तालाबों और पोखरों में इस की खेती की जा सकती है.

वैसे, मखाना उष्ण जलवायु का पौधा है. गरम मौसम और फसल को उगाने के लिए पानी बेहद जरूरी है. मखाने की खेती के लिए चिकनी दोमट मिट्टी सब से अच्छी होती है. जलाशयों, तालाबों, निचली जमीन में रुके हुए पानी में इस की अच्छी उपज होती है. जहां धान की खेती होती है, वहां मखाने का अच्छा उत्पादन होता है, इसलिए तालाबों में जो पश्चिम उत्तर प्रदेश में मौजूद हैं, उन में सरकार को पहल कर के आगे आना चाहिए और मखाने की खेती शुरू की जानी चाहिए.

मखाना की खेती से मिट्टी को होने वाले लाभ

मखाना के पौधे या बीज की रोपाई करते समय बीज की दूरी 1.20 मीटर और कतार से कतार की दूरी 1.25 मीटर रखी जाती है. इस प्रकार एक हेक्टेयर क्षेत्रफल में 6,666 पौधे आते हैं.

मखाना की खेती से मिट्टी की उर्वराशक्ति पर क्या प्रभाव पड़ता है, इसे जानने के लिए 10 पौधे का चयन रैंडम तरीके से किया गया, तो यह देखा गया कि मखाना के पौधे में औसतन 90 फीसदी पानी की मात्रा होती है. इस प्रकार एक पौधे का शुष्क भार 1.0 किलोग्राम से ले कर 1.50 किलोग्राम तक होता है.

मखाना के पौधे सड़ने के बाद मिट्टी में 6.7 से 10.0 टन प्रति हेक्टेयर की दर से कार्बनिक प्रदार्थ का जुड़ाव करते हैं. इसलिए मखाने के पौधे सड़ने के बाद मिट्टी में नाइट्रोजन 30.73, फास्फोरस 46.99, पोटाश 40.11, लौह 22.13 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से जरूरी पोषक तत्त्व प्रदान करते हैं.

कैसे उगाया जाता है मखाना

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