कीट व बीमारी से बचाएं सरसों की फसल
Farm and Food|October 2024
सरसों की खेती में उस की स बोआई से ले कर फसल तैयार होने तक अनेक तरह के कीटों और बीमारियों का प्रकोप होता है, जिस से फसल से पैदावार में कमी आती है. इसलिए जरूरी है कि फसल की देखरेख का खास ध्यान रखें और फसल में बीमारी व कीटों का प्रकोप दिखने पर तुरंत ही उस का निदान करें.
बृहस्पति कुमार पांडेय
कीट व बीमारी से बचाएं सरसों की फसल

सरसों की फसल में कीटों का प्रकोप व नियंत्रण

आरा मक्खी : सरसों की फसल में अंकुरण के 25 से 30 दिन बाद आरा मक्खी का प्रकोप शुरू हो जाता है. यह कीट फसल को अधिक नुकसान पहुंचाता है. शुरुआत में ये कीट फसल के छोटे पौधों पर दिखाई देते हैं. इस दौरान इस की गिडारें पत्तियों को कुतरना शुरू करती हैं. इस के बाद ये खाने के लिए किनारे से मध्य शिरा की ओर बढ़ती हैं.

ये कीट पत्तियों को तेजी से खात हैं और पत्तियों में अनगिनत छेद बनाते हैं. गंभीर संक्रमण के मामलों में पत्तियां पूरी तरह से शिराओं के जाल में बदल जाती हैं.

आरा मक्खी के प्रबंधन के लिए अंकुरित अवस्था में सिंचाई करने से ज्यादातर लार्वा डूबने के प्रभाव से मर जाते हैं. अगर कीटों का प्रकोप ज्यादा है, तो इस की रोकथाम के लिए मैलाथियान ईसी 50 फीसदी प्रति 1200 मिलीलिटर 400-800 लिटर पानी प्रति हेक्टेयर की दर से या मिथाइल पैराथियान 2 फीसदी डीपी प्रति 12,000 ग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से किसी एक का छिड़काव करें.

माहू कीट : सरसों की फसल को नुकसान पहुंचाने वाला दूसरा सब से महत्त्वपूर्ण कीट माहू यानी चैंपा है. इस के वयस्क और शिशु दोनों ही पत्तियों, कलियों और फलियों का रस चूस कर अपना भोजन ग्रहण करते हैं. इस से संक्रमित पत्तियां मुड़ जाती हैं और बाद के चरण में पौधे सूख कर मुरझा जाते हैं, पौधों का विकास रुक जाता है. इस कारण पौधे बौने रह जाते हैं.

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