आजकल लोग वजन कम करने के लिए कई तरह के तरीके अपनाते हैं, जिनमें एक निश्चित डाइट फॉलो करना सबसे अहम तरीका है। मार्केट में कई तरह के डाइट प्लान हैं जिन्हें लोग फॉलो करते हैं। कुछ तो बहुत ही कॉमन हैं और कुछ बड़ी ही मुश्किल। कुछ डाइट ऐसी भी होती हैं, जिन्हें करने के लिए बहुत सावधानी की जरूरत होती है, लेकिन अक्सर लोग इस बात पर ध्यान नहीं देते और परेशानियों का सामना करते हैं। आइए जानते हैं, डाइट के प्रकारों के बारे में और उनसे जुड़ी बातों के बारे में-
कीटोजेनिक डाइट
इसे सिर्फ 'कीटो डाइट' के नाम से भी जाना जाता है। यह शरीर के फैट को जल्दी बर्न करने में बहुत प्रभावी है। इस डाइट के जरिये कॉमेडियन तन्मय भट्ट ने एक साल में 109 किलो वजन कम किया था। तभी से यह डाइट चर्चा में आई। इसमें कम कैलोरी, मीडियम प्रोटीन और हाई फैट डाइट ली जाती है, ताकि शरीर को कीटोसिस की स्थिति में लाया जा सके। कीटोसिस शरीर की ऐसी मेटाबॉलिक स्थिति है, जिसमें शरीर ब्लड ग्लूकोज के बजाय फैट के टुकड़ों (कीटोन्स) को एनर्जी के रूप में इस्तेमाल करता है।
फायदे
• यह डाइट लेने से शरीर फैट को ऊर्जा के रूप में इस्तेमाल करने लगता है। इस तरह से यह वजन कम करने में मदद करता है।
• कम कैलोरी वाली डाइट लेने से शरीर में ब्लड शुगर का स्तर कम हो जाता है। इस कारण यह डाइबिटीज़ से बचाने में मदद करती है।
• सन 1900 के समय इस डाइट का उपयोग एपिलेप्सी (मिर्गी) के उपचार के लिए सफलतापूर्वक किया जाता था। अभी भी यह डाइट उन बच्चों को दी जाती है, जो मिर्गी की समस्या से पीड़ित हैं।
• इस डाइट को लेने से बालों के झड़ने की समस्या दूर होती है। साथ ही त्वचा में भी निखार आता है।
नुकसान
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तुलसी से दूर करें वास्तुदोष
हिन्दू धर्म में तुलसी का पौधा हर घर-आंगन की शोभा है। तुलसी सिर्फ हमारे घर की शोभा ही नहीं बल्कि शुभ फलदायी भी है। कैसे, जानें इस लेख से।
क्यों हुआ तुलसी का विवाह?
कार्तिक शुक्ल एकादशी को तुलसी पूजन का उत्सव वैसे तो पूरे भारत में मनाया जाता है, किंतु उत्तर भारत में इसका कुछ ज्यादा ही महत्त्व है। नवमी, दशमी व एकादशी को व्रत एवं पूजन कर अगले दिन तुलसी का पौधा किसी ब्राह्मण को देना बड़ा ही शुभ माना जाता है।
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हिन्दू धर्म में पूर्णिमा का महत्त्वपूर्ण स्थान है। बारह पूर्णिमाओं में कार्तिक पूर्णिमा का महत्त्व सर्वाधिक है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
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सिरवों के प्रथम गुरु थे नानक | अंधविश्वास एवं आडंबरों के विरोधी गुरुनानक का प्रकाश उत्सव अर्थात् उनका जन्मदिन कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है। गुरु नानक का मानना था कि ईश्वर कण-कण में व्याप्त है। संपूर्ण विश्व उन्हें सांप्रदायिक एकता, शांति एवं सद्भाव के लिए स्मरण करता है।
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एक समाज, एक निष्ठा एवं श्रद्धा की छटा का पर्व 'छठ'
छठ की दिनोंदिन बढ़ती आस्था और लोकप्रियता इस बात का प्रमाण है कि कुछ तो विशेष है इस पर्व में जो सबको अपनी ओर खींच लेता है। पूजा के दौरान अपने लोकगीतों को गाते हुए, जमीन से जुड़ी परम्पराओं को निभाते हुए हर वर्ग भेद मिट जाता है। सबका एक साथ आकर बिना किसी भेदभाव के ईश्वर का ध्यान करना... यही तो भारतीय संस्कृति है, और इसीलिए छठ है भारतीय संस्कृति का प्रतीक।
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