जय कन्हैया लाल की
Aha Zindagi|August 2024
द्वापर के अवतार की, कलजुग के कालजयी किरदार की। अधरों पर मंद मुस्कान धरे- प्रेम, ज्ञान, मैत्री, भक्ति और मुक्ति के धुरीधार की। भारतीय दर्शन की आत्मा, भादव-भाग्य में आलोकित नीलाभ की। पावन कथा पर्व प्रसंग में, इस बार जन-जन के नाथ की, तो बोलिए हाथी, घोड़ा, पालकी...
डॉ. विवेक चौरसिया
जय कन्हैया लाल की

श्रीकृष्ण भारतभूमि की पहचान हैं, भारत की आत्मा हैं। एकमात्र श्रीकृष्ण ही हैं जिनके चरित्र में भारत की जीवनशैली और जीवन दर्शन अपनी संपूर्णता और समग्रता में अभिव्यक्त हुआ है। श्रीकृष्ण विश्व मानवता के मध्य भारतीयता के कालजयी 'राजदूत' हैं और उनके श्रीमुख से कही गई श्रीमद्भागवतगीता मानव जीवन के प्रति भारत का 'घोषणापत्र' है। श्रीकृष्ण ही हैं जिनके व्यक्तित्व और कृतित्व में प्रकृति से साहचर्य, संयुक्त परिवार, निष्काम कर्म, हर्ष-विषाद में समभाव, प्रेम, तप और त्याग, सज्जनों का उत्थान और दुर्जनों का नाश तथा विश्व बंधुत्व जैसे भारतीय जीवन मूल्यों के दर्शन एक जगह होते हैं। भारतीय संस्कृति में विष्णु, शिव, श्रीराम, बुद्ध और महावीर सहित अनेक आदर्श आदरणीय हैं किंतु कृष्ण का 'कैनवास' इन सबकी अपेक्षा सर्वाधिक वैविध्यपूर्ण और विराट है। उन्हें इसीलिए सोलह कलाओं से परिपूर्ण अवतार पुरुष कहा गया है क्योंकि अपनी लीलाओं के माध्यम से उन्होंने जीवन को पूरे 360 डिग्री में परिभाषित किया है और मनुष्य मात्र के लिए एक ऐसी जीवनशैली प्रतिपादित की है, जिसकी दूसरी मिसाल विश्वभर में दुर्लभ है।

काव्य-पुराणों से कलाओं में सुशोभित

श्रीकृष्ण महामानव हैं और अपनी उद्दात और उच्च महिमा के कारण भगवान के रूप में अपने जीवनकाल से ही पूज्य हैं। इस धरती से अपनी जीवनलीला का संवरण करने के बाद उनके सद्कर्मों तथा सद्गुणों का कीर्तन करते हुए ऋषियों से पौराणिकों तक और कवियों से कलाकारों तक ने कृष्ण का चित्रण कर अपनी कलम और कला को कृतार्थ किया है। श्रीकृष्ण के लोकप्रचलित असंख्य नामों की तरह ही उनके चरित्र की झांकी काव्य-पुराणों से कलाओं तक में अनगिनत रूपों में सजाई गई हैं। यह श्रीकृष्ण की महिमा का ही प्रताप है कि लोक ने उनके हर रूप को अंगीकार किया है और कृष्ण पथ पर चलकर जीवन के सच्चे प्रकाश की अनुभूति की है। तभी तो आज भी लोक प्रतिवर्ष हिंदू पंचाग के भाद्र मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि पर उनका जन्मदिन भक्तिभाव व हर्षोल्लास से मनाकर धन्यता का अनुभव करता है।

भाद्र के जागे भाग रात्रि में प्रकटे नंदलाल

Esta historia es de la edición August 2024 de Aha Zindagi.

Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.

Esta historia es de la edición August 2024 de Aha Zindagi.

Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.

MÁS HISTORIAS DE AHA ZINDAGIVer todo
अन्न उपजाए अंग भी उगाए
Aha Zindagi

अन्न उपजाए अंग भी उगाए

बायो टेक्नोलॉजी चमत्कार कर रही है। सुनने में भारी-भरकम लगने वाली यह तकनीक उन्नत बीजों के विकास और उत्पादों का पोषण बढ़ाने के साथ हमारे आम जीवन में भी रच बस चुकी है। अब यह सटीक दवाओं और असली जैसे कृत्रिम अंगों के निर्माण से लेकर सुपर ह्यूमन विकसित करने सरीखी फंतासियों को साकार करने की दिशा में तेज़ी से बढ़ रही है।

time-read
7 minutos  |
November 2024
इसे पढ़ने का फ़ैसला करें
Aha Zindagi

इसे पढ़ने का फ़ैसला करें

...और जीवन में ग़लत निर्णयों से बचने की प्रक्रिया सीखें। यह आपके हित में एक अच्छा निर्णय होगा, क्योंकि अच्छे फ़ैसले लेने की क्षमता ही सुखी, सफल और तनावरहित जीवन का आधार बनती है। इसके लिए जानिए कि दुविधा, अनिर्णय और ख़राब फ़ैसलों से कैसे बचा जाए...

time-read
5 minutos  |
November 2024
जहां अकबर ने आराम फ़रमाया
Aha Zindagi

जहां अकबर ने आराम फ़रमाया

लाव-लश्कर के साथ शहंशाह अकबर ने जिस जगह कुछ दिन विश्राम किया, वहां बसी बस्ती कहलाई अकबरपुर। परंतु इस जगह का इतिहास कहीं पुराना है। महाभारत कालीन राजा मोरध्वज की धरती है यह और राममंदिर के लिए पीढ़ियों तक प्राण देने वाले राजा रणविजय सिंह के वंश की भी। इसी इलाक़े की अनूठी गाथा शहरनामा में....

time-read
8 minutos  |
November 2024
पर्दे पर सबकुछ बेपर्दा
Aha Zindagi

पर्दे पर सबकुछ बेपर्दा

अब तो खुला खेल फ़र्रुखाबादी है। न तो अश्लील दृश्यों पर कोई लगाम है, न अभद्र भाषा पर। बीप की ध्वनि बीते ज़माने की बात हो गई है। बेलगाम-बेधड़क वेबसीरीज़ ने मूल्यों को इतना गिरा दिया है कि लिहाज़ का कोई मूल्य ही नहीं बचा है।

time-read
3 minutos  |
November 2024
चंगा करेगा मर्म पर स्पर्श
Aha Zindagi

चंगा करेगा मर्म पर स्पर्श

मर्म चिकित्सा आयुर्वेद की एक बिना औषधि वाली उपचार पद्धति है। यह सिखाती है कि महान स्वास्थ्य और ख़ुशी कहीं बाहर नहीं, आपके भीतर ही है। इसे जगाने के लिए ही 107 मर्म बिंदुओं पर हल्का स्पर्श किया जाता है।

time-read
3 minutos  |
November 2024
सदियों के शहर में आठ पहर
Aha Zindagi

सदियों के शहर में आठ पहर

क्या कभी ख़याल आया कि 'न्यू यॉर्क' है तो कहीं ओल्ड यॉर्क भी होगा? 1664 में एक अमेरिकी शहर का नाम ड्यूक ऑफ़ यॉर्क के नाम पर न्यू यॉर्क रखा गया। ये ड्यूक यानी शासक थे इंग्लैंड की यॉर्कशायर काउंटी के, जहां एक क़स्बानुमा शहर है- यॉर्क। इसी सदियों पुराने शहर में रेलगाड़ी से उतरते ही लेखिका को लगभग एक दिन में जो कुछ मिला, वह सब उन्होंने बयां कर दिया है। यानी एक मुकम्मल यायावरी!

time-read
7 minutos  |
November 2024
... श्रीनाथजी के पीछे-पीछे आई
Aha Zindagi

... श्रीनाथजी के पीछे-पीछे आई

भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं को जीवंत करती है पिछवाई कला। पिछवाई शब्द का अर्थ है, पीछे का वस्त्र । श्रीनाथजी की मूर्ति के पीछे टांगे जाने वाले भव्य चित्रपट को यह नाम मिला था। यह केवल कला नहीं, रंगों और कूचियों से ईश्वर की आराधना है। मुग्ध कर देने वाली यह कलाकारी लौकिक होते हुए भी कितनी अलौकिक है, इसकी अनुभूति के लिए चलते हैं गुरु-शिष्य परंपरा वाली कार्यशाला में....

time-read
7 minutos  |
November 2024
एक वीगन का खानपान
Aha Zindagi

एक वीगन का खानपान

अगर आप शाकाहारी हैं तो आप पहले ही 90 फ़ीसदी वीगन हैं। इन अर्थों में वीगन भोजन कोई अलग से अफ़लातूनी और अजूबी चीज़ नहीं। लेकिन एक शाकाहारी के नियमित खानपान का वह जो अमूमन 10 प्रतिशत हिस्सा है, उसे त्यागना इतना सहज नहीं । वह डेयरी पार्ट है। विशेषकर भारत के खानपान में उसका अतिशय महत्व है। वीगन होने की ऐसी ही चुनौतियों और बावजूद उनके वन होने की ज़रूरत पर यह अनुभवगत आलेख.... 1 नवंबर को विश्व वीगन दिवस के ख़ास मौके पर...

time-read
6 minutos  |
November 2024
सदा दिवाली आपकी...
Aha Zindagi

सदा दिवाली आपकी...

दीपोत्सव के केंद्र में है दीप। अपने बाहरी संसार को जगमग करने के साथ एक दीप अपने अंदर भी जलाना है, ताकि अंतस आलोकित हो। जब भीतर का अंधकार भागेगा तो सारे भ्रम टूट जाएंगे, जागृति का प्रकाश फैलेगा और हर दिन दिवाली हो जाएगी।

time-read
3 minutos  |
November 2024
'मां' की गोद भी मिले
Aha Zindagi

'मां' की गोद भी मिले

बच्चों को जन्मदात्री मां की गोद तो मिल रही है, लेकिन अब वे इतने भाग्यशाली नहीं कि उन्हें प्रकृति मां की गोद भी मिले- वह प्रकृति मां जिसके सान्निध्य में न केवल सुख है, बल्कि भावी जीवन की शांति और संतुष्टि का एक अहम आधार भी वही है। अतः बच्चों को कुदरत से प्रत्यक्ष रूप से जोड़ने के जतन अभिभावकों को करने होंगे। यह बच्चों के ही नहीं, संसार के भी हित में होगा।

time-read
7 minutos  |
November 2024