आपका बच्चा क्या अचानक से शांत हो गया है? क्या आप उसके मूड स्विंग्स से परेशान हैं और कारण समझ नहीं पा रहीं? या अपने बच्चे के व्यवहार में आप बदलाव महसूस कर रही हैं? इन सभी सवालों के जवाब अगर हां हैं तो यकीनन इस ओर ध्यान देने की जरूरत है। मुमकिन है कि आपका लाडला सामान्य से हटकर कुछ महसूस कर रहा हो। ऐसे में यह जरूरी है कि आप उसे और उसकी जरूरत को समझें। हो सकता है कि आपका बच्चा भावनात्मक असुरक्षा के भाव से दो-चार हो रहा हो। ऐसे में आपको समझना और जानना होगा कि बच्चे की विभिन्न आवश्यकताओं में से एक है, सुरक्षा और विश्वास की भावना। इसकी पाठशाला आप अपने घर पर ही शुरू कर सकती हैं, जिसके घेरे में रहकर बच्चा खुद को सुरक्षित महसूस करता है। माता-पिता और उसके शिक्षकों का व्यवहार, स्नेह, मार्गदर्शन बच्चे को न सिर्फ सुरक्षित महसूस कराता है बल्कि उसके नजरिये और सोच को बेहतर बनाने की दिशा में काम करता है। लिहाजा, जरूरी है कि आप छुटपन से ही अपने बच्चे को सुरक्षा की भावना का अहसास करवाएं।
क्यों जरूरी है यह भाव?
सवाल उठता है कि भला क्यों बच्चों को सुरक्षा की भावना की जरूरत होती है? जानकार बताते हैं कि सुरक्षा की भावना न मिलने पर बच्चों पर ढेरों नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं। उनमें व्यवहारिक खामियां आती हैं, जैसे वह क्रोधी हो सकते हैं या फिर एकदम शांत। मुमकिन है कि ऐसे बच्चे को अपनी भावनाओं को समझने, उन्हें व्यक्त करने और लोगों से जुड़ने में परेशानी का अनुभव हो। इसकी वजह से बच्चे में मूड स्विंग की समस्या भी हो सकती है यानी सुरक्षा के भाव का सीधा असर बच्चे के व्यक्तित्व पर पड़ता है।
बच्चों को समझना है जरूरी
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