अपने बच्चे के जन्म का इंतजार कर रहे अधिकांश माता-पिता की बस यही प्रार्थना होती है कि बेटा हो बेटी बस पूरी तरह से स्वस्थ हो। पर, कई दफा यह प्रार्थना सच साबित नहीं होती। नवजात से जुड़ी समस्याओं और चुनौतियों से सबसे आम चुनौती है, जन्म के वक्त शिशु का वजन औसत से कम होना। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, जिन बच्चों का वजन जन्म के वक्त ढाई किलो से कम होता है, उन्हें लो बर्थ वेट बेबी (एलबीडब्ल्यु) माना जाता है। हमारे देश में 20 प्रतिशत नवजात शिशुओं का वजन सामान्य से कम होता है। ऐसा जरूरी नहीं है। कि हमेशा समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चे का ही वजन ही कम हो। 40 सप्ताह मां के गर्भ में गुजारने वाले बच्चों का वजन भी सामान्य से कम हो सकता है। ऐसे बच्चों की देखभाल और खानपान पर विशेष नजर रखने की जरूरत होती है। इन्हें संक्रमण और दूसरी स्वास्थ्य समस्याओं की चपेट में आने का खतरा भी अधिक होता है। जिन नवजात शिशुओं का वजन 1.5 किलो से कम होता है, उन्हें तब तक एनआईसीयू (नवजात गहन देखभाल इकाई) में रखने की जरूरत होती है, जब तक उसका वजन थोड़ा बढ़ न जाए क्योंकि इतना कम वजन बच्चे के लिए घातक हो सकता है। ऐसे बच्चों का वजन बढ़ाने में किस तरह की रणनीतियां कारगर साबित हो सकती हैं, आइए जानें:
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