कानपुर जिले में नौबस्ता चौराहे से करीब दो किलोमीटर आगे बढ़ने पर बायीं ओर एक चौड़ी सड़क मेहरबान सिंह का पुरवा की ओर जाती है. पांडु नदी के किनारे बसा पांच हजार की आबादी वाला मेहरबान सिंह का पुरवा आजादी के बाद से प्रदेश में यादव समाज की गतिविधियों का केंद्र रहा है. समाजवादी पार्टी का गढ़ रहे मेहरबान सिंह का पुरवा में अब राजनैतिक बदलाव की झलक दिखने लगी है. यहां की सड़कें और अगल-बगल की दीवारें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यादव समाज के नेताओं के पोस्टर-बैनर से पटी पड़ी हैं. रविवार, 31 जुलाई को यहां चौधरी हरमोहन सिंह सभागार में पहली बार राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का समर्पण कार्यक्रम आयोजित हुआ. कानपुर और आसपास के लोग बड़ी संख्या में इस कार्यक्रम में शामिल हुए. समाजवादी पार्टी (सपा) के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के बेहद नजदीकी लोगों में शुमार रहे चौधरी हरमोहन सिंह यादव आजादी के बाद वर्ष 1952 में मेहरबान सिंह का पुरवा (गुजैनी ग्रामसभा) के पहले प्रधान थे. दो बार विधान परिषद सदस्य रहे हरमोहन यादव ने वर्ष 1984 में कानपुर में भड़के दंगे में सिक्ख परिवारों को दंगाइयों से बचाने में बड़ी भूमिका निभाई थी. इसी योगदान के लिए वर्ष 1991 में उन्हें शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था. यादव शौर्य चक्र पाने वाले पहले 'सिविलियन' थे. इसके बाद वे एक बार सपा और एक बार राष्ट्रपति के मनोनयन से राज्यसभा सदस्य बने. उनकी जन्मतिथि 18 अक्तूबर मोहन महोत्सव और पुण्यतिथि 25 जुलाई संकल्प दिवस के रूप में मनाई जाती है.
Esta historia es de la edición August 17, 2022 de India Today Hindi.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor ? Conectar
Esta historia es de la edición August 17, 2022 de India Today Hindi.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor? Conectar
लीक से हटकर
मध्य प्रदेश में जंगली सैर से लेकर लद्दाख में पश्मीना के इतिहास को जानने तक, हमने कुछ खास यात्रा अनुभवों की सूची तैयार की है जो आपको एक अनदेखे भारत के करीब ले जाएंगे
खूबसूरत काया का जलवा
भारत की खूबसूरत बालाएं और वैश्विक सौंदर्य प्रतियोगिताएं, लगता है नब्बे के दशक से एक-दूसरे के लिए ही बनी हैं. और यह सिर्फ किस्मत की बात नहीं. खिताब जीतने वाली कई सुंदरियों ने बाद में इसके सहारे अपने करियर को बुलंदियों पर पहुंचाया
खरीदारी का मॉडर्न ठिकाना
शॉपिंग मॉल भारत में '90 के दशक की ऐसी अनूठी घटना है जिसने भारतीय मध्य वर्ग की खरीद के तौर-तरीकों को बदल दिया. 'खरीदारी के साथ-साथ मनोरंजन' केंद्र होने की वजह से वे अब कामयाब हैं. वहां हर किसी के लिए कुछ न कुछ है
छलकने लगे मस्ती भरे दिन
यूबी की किंगफिशर ने 1990 के दशक में बीयर को कूल बना दिया. तब से घरेलू अल्कोहल उद्योग के जोशीले दिन कभी थमे नहीं
डिस्को का देसी अंदाज
घर हो या कोई भी नुक्कड़-चौराहा, हर तरफ फिल्मी गानों की बादशाहत कायम थी. उसके अलावा जैसे कुछ सुनाई ही नहीं पड़ता था. तभी भारतीय ब्रिटिश गायकसंगीतकार बिट्टू ने हमें नाजिया से रू-ब-रू कराया, जिनकी आवाज ने भारतीयों को दीवाना बना दिया. सच में लोग डिस्को के दीवाने हो गए. इसके साथ एक पूरी शैली ने जन्म लिया
जिस लीग ने बनाई नई लीक
लगातार पड़ते छक्के, स्टैंड में बॉलीवुड सितारों और नामी कॉर्पोरेट हस्तियों और सत्ता- रसूखदारों की चकाचौंध, खूबसूरत बालाओं के दुमके - आइपीएल ने भद्रलोक के इस खेल को रेव पार्टी सरीखा बना डाला, जहां हर किसी की चांदी ही चांदी है
आनंद की विरासत
विश्वनाथन आनंद अचानक ही सामने आए और दुनिया फतह कर ली. गुकेश के साथ 2024 में भारत को मिली उपलब्धि उसी विरासत का हिस्सा है
जब स्वच्छता बन गया एक आंदोलन
सामूहिक शर्म से लेकर राष्ट्रीय गौरव तक, खुले में शौच का चलन खत्म करने के देश के सफर में मजबूत सियासी इच्छाशक्ति और नेतृत्व के साथ-साथ समुदाय, कॉर्पोरेट और सेलेब्रिटी के मिलकर काम करने की दास्तान शामिल
जब मौन बन गया उद्घोष
एक पनबिजली परियोजना के विरोध में पर्यावरणविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, कवियों और पत्रकारों ने मिलकर जन जागरुकता अभियान चलाया और भारत के अब बचीखुची उष्णकटिबंधीय वर्षावनों में से एक, केरल की साइलेंट वैली को बचाने में कामयाब रहे।
बताने को मजबूर हुए बाबू
जमीनी स्तर पर संघर्ष से जन्मे इस ऐतिहासिक कानून ने भारत में लाखों लोगों के हाथों में सूचना का हथियार थमाकर गवर्नेस को न सिर्फ बदल दिया, बल्कि अधिकारों की जवाबदेही भी तय करने में बड़ी भूमिका निभाई