तकरीबन पिछले 500 दिनों से आखिरी बीसेक और शुरुआती तीसेक वर्ष के युवक-युवतियों का पचमेल जत्था कोलकाता के चहल-पहल भरे दफ्तरों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के केंद्र धरमतला इलाके में धरने पर बैठा है. उनके हाथों में हाथ से लिखे प्लेकार्ड हैं जिन पर ऐसी इबारतें लिखी हैं, "हमें नौकरी चाहिए, हमें इंसाफ चाहिए." उन्होंने पुलिस की लाठियां और अपमान सहा, चिलचिलाती गर्मी और भारी बारिश झेली और यहां तक कि अपने चार साथी खो दिए. तिस पर भी अपनी जगह अडिग खड़े रहे और तब तक एक इंच पीछे हटने को तैयार नहीं हैं जब तक उन 6,000 युवक-युवतियों को नौकरी नहीं मिल जाती, जो कक्षा 9 से कक्षा 12 के शिक्षकों की भर्ती के लिए पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) की तरफ से आयोजित राज्यस्तरीय चयन परीक्षा (एसएलएसटी) की मेरिट लिस्ट में आए थे. वे ज्यादा नारेबाजी नहीं करते, पर मजबूत इरादे से ओतप्रोत उनकी जबरदस्त खामोशी ने पश्चिम बंगाल के इतिहास में सबसे बड़े घोटालों में से एक को उघाड़कर रख दिया. कथित तौर पर नौकरियां बेचने वाले सरकारी तंत्र के खिलाफ लड़ाई में उनकी उम्मीद की अकेली किरण कलकत्ता हाइकोर्ट के एक अडिग जज हैं–न्यायमूर्ति अभिजित गांगुली.
लंबी कानूनी लड़ाई फलदायी हो रही है. सीबीआइ ने अनियमितताओं की जांच शुरू कर दी है, जो कथिततौर पर अब हटा दिए गए मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के वजनदार नेता पार्थ चटर्जी के इशारे पर की गईं. चटर्जी 2019 तक शिक्षा विभाग संभाल रहे थे. समानांतर जांच में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 36 वर्षीया अभिनेत्री और चटर्जी की करीबी अर्पिता मुखर्जी के घरों से 50 करोड़ रुपए नकद बरामद किए. चटर्जी और अर्पिता दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया. इससे परेशान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी चटर्जी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त और पार्टी के सभी पदों से बेदखल करने को मजबूर हुईं. यही नहीं, डैमेज कंट्रोल के तहत उन्होंने 5 अगस्त को नौ नए मंत्री भी शामिल किए. इन सभी का चयन तृणमूल के महासचिव तथा पार्टी में दूसरे नंबर के नेता अभिषेक बनर्जी ने किया.
शुरुआत
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