सन 1947 से पहले लचर आर्थिक वृद्धि वाले देश से विश्व की सबसे तेज बढ़ती अर्थव्यवस्था में भारत का कायापलट कमाल का रहा है. आजादी से पहले के जमाने में भारत का वास्तविक सकल राष्ट्रीय उत्पाद (जीडीपी) औसतन महज 0.9 फीसद सालाना की दर से बढ़ा. इस जड़ता से बाहर आने के लिए आजादी के बाद देश ने नियोजित आर्थिक वृद्धि के बड़े लक्ष्य का बीड़ा उठाया.
देश को दूसरे विश्व युद्ध और बंटवारे की मार झेलनी पड़ी. इसके अलावा राष्ट्र को मजबूत बनाते हुए प्रशासनिक और राजनैतिक व्यवस्था का निर्माण भी करना पड़ा. आजादी के बाद के जमाने में वास्तविक जीडीपी औसतन 4 फीसद की सालाना दर से बढ़ी, जिसमें खास तेजी 1980 के दशक में आई. जीडीपी की क्षेत्रवार बनावट भी धीरे-धीरे बदली और पहली तीन पंचवर्षीय योजनाओं के दौरान जीडीपी में आधे से ज्यादा का योगदान देने वाले कृषि क्षेत्र का हिस्सा 1980 के दशक के आखिर में एक-तिहाई रह गया.
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