नेपथ्य में गूंजती आवाजें -गठबंधन टूटने की भीषण गर्जना और केंद्रीय जांच एजेंसी दल की तेज पदचाप - लंबी और थकाऊ लड़ाई बयान कर रही थीं. ठीक-ठीक तनाव तो नहीं, पर ऐक्शन से भरपूर तनातनी और जिसमें गलत कदम की गुंजाइश नहीं थी. बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल (यूनाइटेड) के मुखिया नीतीश कुमार अभी दोस्त से बने दुश्मन और दुश्मन से बने दोस्त के पास लौट गए थे. सीबीआइ टीमें निपुण तबलावादकों के दल की तरह बिल्कुल सही वक्त पर थाप देते हुए दो राज्यसभा सांसदों सहित राष्ट्रीय जनता दल के ठिकानों पर आ धमकी थीं.
यह खेल के मौजूदा पड़ाव को दर्शाने वाला काफी सटीक दृश्य है, ऐसे वक्त जब भारतीय जनता पार्टी 2024 के चुनावों की तैयारी में जुटी है. हालात में एक दिलचस्प विरोधाभास है - बड़ी तस्वीर तो काफी सहज दिखती है, विपक्ष अस्त-व्यस्त हालत में जो मैदान में उतर रहा है, पर गहरी नजर दौड़ाएं तो सत्तारूढ़ पार्टी की कई मुश्किलें नजर आती हैं. 2019 के कुछ अहम गठबंधन - बिहार में जद (यू) और पंजाब में अकाली- अब नहीं हैं; महाराष्ट्र में शिवसेना और तमिलनाडु में एआइएडीएमके सरीखे कुछ दूसरे दल छिन्न-भिन्न हैं. महाराष्ट्र में नए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुआई वाले धड़े ने भाजपा के साथ सरकार तो बना ली, पर पार्टी पर कब्जे और चुनाव चिन्ह को लेकर उद्धव धड़े के साथ कानूनी पचड़े में फंसा है. तमिलनाडु में एआइएडीएमके विधानसभा चुनाव में पराजय और गुटीय लड़ाइयों के बाद अपनी ही परछाईं बनकर रह गई है.
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शब्द हैं तो सब है
शब्द और साहित्य की जादुई दुनिया का जश्न मनाते लेखक-राजनेता शशि थरूर अपने निबंधों की किताब के साथ हाजिर
अब बड़ी भूमिका के लिए बेताब
दूरदराज की मंचीय प्रतिभाओं को निखारने का बड़ा प्लेटफॉर्म बनकर उभरा एमपीएसडी. नई सोच वाले निदेशक के साथ अब वह एक नई राह पर. लेकिन क्या वह एनएसडी जैसा मुकाम बना पाएगा?
डिजिटल डकैतों पर सख्त कार्रवाई
नया-नवेला जिला डीग तेजी से देश में ऑनलाइन ठगी का केंद्र बनता जा रहा था. राज्य सरकार और पुलिस की निरंतर कार्रवाई की वजह से राजस्थान के इस नए जिले में पिछले छह महीने के दौरान साइबर अपराध की गतिविधियों में आई काफी कमी
सनसनीखेज सफलता
पल में मजाकिया, पल में खौफनाक. हिंदी सिनेमा में हॉरर कॉमेडी फिल्मों का आया नया जमाना. चौंकने-डरने को बेताब दर्शकों के कंधों पर सवार होकर भूतों ने धूमधाम से की बॉक्स ऑफिस पर वापसी
ममता के लिए मुश्किल घड़ी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी सरकार खिन्न और प्रदर्शन करते राज्य के लोगों का भरोसा के लिए अंधाधुंध कदम उठा रही है
ठोकने की यह कैसी नीति
सुल्तानपुर में जेवर की दुकान में डकैती के आरोपी मंगेश यादव को मुठभेड़ में मार डालने के बाद विपक्षी दलों के निशाने पर योगी सरकार. फर्जी मुठभेड़ एक बार फिर बनी मुद्दा
अग्निपरीक्षा की तेज आंच
अदाणी जांच में हितों के टकराव के आरोपों में घिरीं और अपने ही स्टाफ में उभरते विद्रोह से सेबी की मुखिया से ढेरों जवाब और खुलासों की दरकार
अराजकता के गर्त में वापसी
केंद्र और राज्य के निकम्मेपन से मणिपुर में नए सिरे से उठीं लपटें, अबकी बार नफरत की दरारें और गहरी तथा चौड़ी लगने लगीं, अमन बहाली की संभावनाएं असंभव-सी दिखने लगीं
अब आई मगरमच्छों की बारी
राजस्थान में 29 जुलाई, 2024 की दोपहर विधानसभा में राजस्थान लोकसेवा आयोग (आरपीएससी) परीक्षा में पेपर लीक को लेकर सियासत गरमाई हुई थी. प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली ने पेपर लीक के मामलों को लेकर भजनलाल शर्मा सरकार पर यह आरोप जड़ दिया कि अभी तक सरकार ने छोटी-छोटी मछलियां पकड़ी हैं, मगरमच्छ तो अभी भी खुले घूम रहे हैं. इस हमले का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा, \"आप बेफिक्र रहिए जल्द ही हम उन मगरमच्छों को भी पकड़ेंगे जो बाहर घूम रहे हैं.\"
नहरें: थीं तो बेशक ये पानी के ही लिए
सीवान शहर के पास जुड़कन गांव के कृष्ण कुमार अपने गांव में खुदी पतली-सी नहर की पुलिया पर बैठे मिले. ऐन नहर के किनारे उनका पंपसेट लगा था, जिससे वे अपने खेत की सिंचाई कर रहे थे. वे नहर के बारे में पूछते ही उखड़ गए और कहने लगे, \"50 साल पहले नहर की खुदाई हुई थी. हमारे बाप-दादा ने भी इसके लिए अपनी जमीन दी. हमारा दस कट्ठा जमीन इसमें गया. जमीन का पैसा मिल गया था. मगर इस नहर में एक बूंद पानी नहीं आया. सब जीरो हो गया, जीरो पानी आता तो क्या हमको पंपसेट में डीजल फूंकना पड़ता.\"